प्रयागराज: दिल्ली-हावड़ा रूट पर यमुना नदी के ऊपर बने अंग्रेजों के जमाने का पुल इंजीनियरिंग का बेजोड़ नमूना पेश करता है. 14 पिलर पर खड़ा हुआ यह पुल प्रयागराज की धरोहर में से एक है. इस पुल के ऊपर से रेलगाड़ियों का आवागमन होता है और नीचे से मोटर-कार का.
रेलवे विभाग इस पुल के मेंटेनेंस और विशेष अवसर पर सजावट करने के लिए साल में करोड़ों रुपये खर्च करता है. 150 साल पूरा करने वाले इस पुल को देखने के लिए दूर से दूर पर्यटक संगमनगरी पहुंचते हैं. साल 1859 में पुल का निर्माण हुआ था. 15 अगस्त 1965 में ट्रेनों का आवागमन शुरू हो गया था.
देश के दस सर्वश्रेष्ठ पुलों में शामिल
नैनी रेलवे पुल प्रयागराज की एक धरोहर के रूप में जाना जाता है. इस पुल का निर्माण अंग्रेजी हुकूमत द्वारा कराया गया था, लेकिन इस पुल का रखरखाव रेलवे करता है. रेलवे ने जितने भी पुल बनाएं हैं, उन पुलों में यह टॉप टेन के अंतर्गत आता है, इसलिए रेलवे इस पुल की टॉप जिम्मेदारी के साथ रखरखाव और मेंटेनेंस समय-समय पर करता है. लोहे के बने इस पुल के मेंटेनेंस की बात करें तो हर वर्ष एक करोड़ रुपये का बजट दिया जाता है.
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दिल्ली-हवाड़ा रूट पर यमुना नदी के ऊपर बने इस पुल की सेफ्टी को लेकर मेंटेनेंस करने के साथ ही विशेष पर्व या फिर किसी अवसर इसकी सजावट की जाती है. 15 अगस्त हो, यह फिर 26 जनवरी हो, यह फिर कुंभ, माघ मेला हो सभी मुख्य पर्व और अवसरों पर पुल को रंगीन लाइटिंग के साथ साजसज्जा की जाती है.
-अजीत कुमार सिंह, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, उत्तर मध्य रेलवे