प्रयागराज : पूरब का आक्सफोर्ड के नाम से मशहूर इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 23 साल बाद पांच सितंबर को दीक्षांत समारोह आयोजित होना है. दीक्षांत समारोह में दिए जाने वाली मानद उपाधि पर पहले ही सवाल उठने लगा है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय संस्कृति विभाग के भूतपूर्व आचार्य एवं अध्यक्ष प्रोफेसर राम किशोर शास्त्री ने सोमवार को एक प्रेस वार्ता की. प्रेस वार्ता के दौरान मानद उपाधियां प्रदान किए जाने में नियमों और प्रक्रियाओं पर उन्होंने सवाल उठाया है.
प्रोफेसर ने विश्वविद्यालय की नीतियों पर उठाए सवाल -
मीडिया से बात करते हुए प्रोफेसर राम किशोर शास्त्री ने मानद उपाधि के लिए चयनित किए गए नाम पर व्यक्तिगत हित का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि डॉक्टर ऑफ लाज की डिग्री देने के लिए यहां की समृद्धि परम्परा का विचार नहीं किया गया. प्रोफेसर शास्त्री का कहना है, जिस विश्वविद्यालय में माननीय पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर रिचर्ड अर्नेस्ट जैसे वैज्ञानिकों को उपाधियां दी गईं थी. वहां आज एक स्थानीय राजनेता और उत्तर प्रदेश के डीजीपी को मानद उपाधि प्रदान करने का निर्णय लिया जा रहा है, जोकि विश्वविद्यालय की स्थापित गरिमा के अनुकूल नहीं है.
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महामहिम को लिखा पत्र -
प्रोफेसर राम किशोर शास्त्री ने इस संबंध में महामहिम को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की है. उनका कहना है कि विश्वविद्यालय की परंपरा रही है कि ज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में योगदान करने वालों को ही मानद उपाधियां दी जाएं. विश्वविद्यालय की विद्वत परिषद और कार्य परिषद की सामान्य बैठकों में ही कारण सहित गंभीर विचार मंथन के पश्चात मानद उपाधियां दी जानी चाहिए.