प्रयागराज: 2022 के चुनाव से पहले कांग्रेस ने महिलाओं को साधने के लिए विधानसभा चुनाव में 40 फीसदी टिकट देने का ऐलान किया है. जबकि भाजपा महिला मतदाताओं को साधने के लिए उनके लिए शुरू की गई तमाम योजनाओं की दुहाई दे रही है. वहीं, बसपा के महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा का कहना है कि बसपा ने महिला सम्मेलन की शुरुआत की है. जिसके बाद ही कांग्रेस, भाजपा और दूसरे दल उसकी नकल कर रहे हैं, लेकिन उन्हें इसका कोई लाभ नहीं मिलने वाला है. गौरतलब है कि बसपा के मंडलीय सम्मेलन में सैकड़ों महिलाओं की भीड़ तो थी, लेकिन मंच पर 60 से अधिक पुरुष नेताओं के बीच सिर्फ एक महिला नेत्री को सबसे किनारे बैठने को जगह मिल पाई थी.
बसपा नेता के दावे और मंच की हकीकत में बड़ा अंतर
बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा का दावा है कि उनकी पार्टी ने महिला सम्मेलन की शुरुआत की, जिसमें उनकी पत्नी भी शामिल हो रही हैं. उनका यह भी कहना है कि महिला सम्मेलन की शुरुआत बसपा ने की है. जिसकी नकल दूसरी पार्टियां अब कर रही हैं. बसपा के मंडलीय सम्मेलन में मंच पर 60 से अधिक नेता बैठे दिख रहे हैं. जबकि 60 पुरुष नेताओं के बीच सिर्फ एक अकेली बसपा की महिला नेत्री मंच पर मौजूद थी. वो भी उस महिला नेत्री को कौशांबी से बसपा ने उम्मीदवार बनाया है. जिसकी घोषणा सतीश चंद्र मिश्रा को मंच से करनी थी. इस वजह से एकमात्र महिला नेत्री को बसपा के मंडलीय सम्मेलन में मंच पर जगह दी गई थी.
बहुजन समाज पार्टी का ये मंडलीय सम्मेलन बताता है कि बसपा में महिला नेत्रियों को कितनी अहमियत दी जा रही है. बसपा के कार्यक्रमों में भीड़ के रूप शामिल होने के लिए तो महिलाओं को बुलाया जाता है, लेकिन पार्टी में नेतृत्व करने के लिए महिलानेत्रियों की या तो कमी है या फिर उनकी अनदेखी की जा रही है. जिस कारण से बसपा के कार्यक्रम में मंच पर बहुत ही कम संख्या में महिलाओं की मौजूदगी दिखती है, लेकिन पार्टी के नेता महिलाओं को बराबर हक देने का हवाई दावा जरूर करते हैं.
कार्यक्रम में शामिल थीं सैकड़ों महिला कार्यकर्ता, मंच पर नहीं मिली जगह
बसपा के मंडलीय सम्मेलन में शामिल होने पहुंची महिलाओं ने इस मामले पर कैमरे पर तो बात नहीं किया, लेकिन दबी जुबान से पार्टी में हो रही अनदेखी पर नाराजगी जरूर जाहिर करती हैं. जनसभा में शामिल होने पहुंची भीड़ का हिस्सा बनी महिलाओं का कहना है कि पार्टी नेतृत्व को महिलाओं की भागीदारी को तय करना चाहिए. शीर्ष नेताओं को सोचना चाहिए कि एक तरफ सभी राजनैतिक दलों में महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिया जा रहा है, लेकिन बसपा के मंच पर नेताओं की भीड़ में तलाशना पड़ता है कि किसी महिला नेत्री को मंच पर जगह दी गई है या नहीं. महिलाओं को सिर्फ भीड़ का हिस्सा समझने वाली पार्टियां और लोग सभी सिमटते जा रहे हैं. ऐसे में समय रहते बीएसपी में महिलाओं को पार्टी संगठन में उनकी सही जगह नहीं दी गई तो उसका नुकसान पार्टी को उठाना पड़ सकता है.
बसपा भी देगी महिलाओं को विधानसभा चुनाव में टिकट
बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा से जब चुनाव में महिलाओं की भागीदारी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि बसपा आने वाले चुनाव में सिर्फ महिलाओं ही नहीं बल्कि युवाओं को भी टिकट देगी. उनका कहना है कि बसपा बेदाग छवि वाले नेताओं को टिकट देगी. जिसमें महिलाओं के साथ ही युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी.
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