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माघ मेले में भीड़ पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल

प्रयागराज में लगे माघ मेले में आने वाली भीड़ पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है.पर्यावरण कार्यकर्ता उत्कर्ष मिश्र ने याचिका पर शीघ्र सुनवाई की मांग की है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Jan 13, 2022, 11:07 PM IST

प्रयागराजः माघ मेले में 14 जनवरी से शुरू होने वाले शाही स्नान के साथ श्रद्धालुओं की भीड़ पर रोक लगाने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है. याचिका में कहा गया है कि कोरोना प्रकोप को देखते हुए श्रद्धालुओं के स्नान को प्रतिबंधित किया जाए. यदि नियंत्रण नहीं किया गया तो कोरोना संक्रमण तेजी से पूरे देश में फैल जायेगा. याचिका में कल्पवासियों और अखाड़ों के संतों को छोड़कर बाकी श्रद्धालुओं की इंट्री पर पाबंदी लगाए जाने की मांग की गई है. पर्यावरण कार्यकर्ता उत्कर्ष मिश्र की तरफ से दाखिल जनहित याचिका को अर्जेंट मामला बताकर शीघ्र सुनवाई की मांग में निबंधक लिस्टिंग के समक्ष अर्जी दाखिल की गई है.


जनहित याचिका में कहा गया है कि लाखों की भीड़ के बीच कोविड प्रोटोकॉल का पालन करा पाना कतई संभव नहीं होगा. न सभी की टेस्टिंग की जा सकती है और न ही कोविड की जांच कराई जा सकती है. दाखिल याचिका में कहा गया है पिछले साल हरिद्वार में हुए महाकुंभ में संक्रमण न फैलने के ऐसे ही दावे किए गए थे. बाद में हालात बिगड़ने पर मेले को बीच में ही रोकना पड़ा था. अगर प्रयागराज के माघ मेले में भी रोक लगाकर श्रद्धालुओं की संख्या को सीमित नहीं किया गया तो यहां भी हालात बिगड़ सकते हैं. तमाम लोगों की जिंदगी और सेहत खतरे में डालने से पहले ही मेले में पर रोक लगा देनी चाहिए.

इसे भी पढ़ें-हाईकोर्ट के वर्चुअल सुनवाई से नाराज वकीलों का अनशन जारी, चीफ जस्टिस से पुलिस फोर्स हटाने की मांग

सिर्फ कल्पवासियों को ही रहने की इजाजत देनी चाहिए. कल्पवासियों व अखाड़े के संतों को ही स्नान करने की अनुमति देनी चाहिए. आम श्रद्धालुओं को मेले में आने की अनुमति नहीं देनी चाहिए. याचिका में कहा गया है कि अगर श्रद्धालुओं की भीड़ को नहीं रोका गया तो कोरोना के हालात देश में बेकाबू हो सकते हैं. कहा गया है कि या तो मेले के आयोजन पर रोक लगाई जाए या सरकार से कोविड प्रोटोकॉल के सभी नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित कराया जाए.

प्रयागराजः माघ मेले में 14 जनवरी से शुरू होने वाले शाही स्नान के साथ श्रद्धालुओं की भीड़ पर रोक लगाने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है. याचिका में कहा गया है कि कोरोना प्रकोप को देखते हुए श्रद्धालुओं के स्नान को प्रतिबंधित किया जाए. यदि नियंत्रण नहीं किया गया तो कोरोना संक्रमण तेजी से पूरे देश में फैल जायेगा. याचिका में कल्पवासियों और अखाड़ों के संतों को छोड़कर बाकी श्रद्धालुओं की इंट्री पर पाबंदी लगाए जाने की मांग की गई है. पर्यावरण कार्यकर्ता उत्कर्ष मिश्र की तरफ से दाखिल जनहित याचिका को अर्जेंट मामला बताकर शीघ्र सुनवाई की मांग में निबंधक लिस्टिंग के समक्ष अर्जी दाखिल की गई है.


जनहित याचिका में कहा गया है कि लाखों की भीड़ के बीच कोविड प्रोटोकॉल का पालन करा पाना कतई संभव नहीं होगा. न सभी की टेस्टिंग की जा सकती है और न ही कोविड की जांच कराई जा सकती है. दाखिल याचिका में कहा गया है पिछले साल हरिद्वार में हुए महाकुंभ में संक्रमण न फैलने के ऐसे ही दावे किए गए थे. बाद में हालात बिगड़ने पर मेले को बीच में ही रोकना पड़ा था. अगर प्रयागराज के माघ मेले में भी रोक लगाकर श्रद्धालुओं की संख्या को सीमित नहीं किया गया तो यहां भी हालात बिगड़ सकते हैं. तमाम लोगों की जिंदगी और सेहत खतरे में डालने से पहले ही मेले में पर रोक लगा देनी चाहिए.

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सिर्फ कल्पवासियों को ही रहने की इजाजत देनी चाहिए. कल्पवासियों व अखाड़े के संतों को ही स्नान करने की अनुमति देनी चाहिए. आम श्रद्धालुओं को मेले में आने की अनुमति नहीं देनी चाहिए. याचिका में कहा गया है कि अगर श्रद्धालुओं की भीड़ को नहीं रोका गया तो कोरोना के हालात देश में बेकाबू हो सकते हैं. कहा गया है कि या तो मेले के आयोजन पर रोक लगाई जाए या सरकार से कोविड प्रोटोकॉल के सभी नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित कराया जाए.

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