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किन्नर के जीवन पर आधारित 'तारा एक सवाल' फिल्म का प्रमोशन - transgender

किन्नर के जीवन पर आधारित शॉर्ट फिल्म 'तारा एक सवाल' का प्रमोशन संगम नगरी प्रयागराज में किया गया. इस शॉर्ट फिल्म में मुख्य किरदार एक किन्नर ने निभाया है. किन्नर के जीवन में आनेवाली परेशानियों को बखूबी से फिल्म में दर्शाया गया है.

'तारा एक सवाल' फिल्म का प्रमोशन.
'तारा एक सवाल' फिल्म का प्रमोशन.
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Published : Jan 28, 2021, 12:42 PM IST

Updated : Jan 28, 2021, 1:49 PM IST

प्रयागराज: किन्नर के जीवन के संघर्ष पर आधारित शॉर्ट फिल्म का प्रयागराज में प्रमोशन किया गया. इस दौरान फिल्म से जुड़े कलाकारों के साथ निर्देशक मौजूद रहे. 'तारा एक सवाल' नाम की इस शॉर्ट फिल्म में मुख्य किरदार एक किन्नर ने निभाया है. साथ ही किन्नर ने फिल्म में एक गाना भी गाया है. वहीं, प्रयागराज के स्थानीय कलाकारों ने भी फिल्म में अच्छी भूमिका निभाई है. फिल्म की खास बात यह रही कि इसकी शूटिंग संगम नगरी में ही की गई है.

जानकारी देते कलाकार.

किन्नर के जीवन संघर्ष पर आधारित है शॉर्ट फिल्म
फिल्म में किन्नर के जीवन में आनेवाली परेशानियों को उजागर किया गया है. एक घंटे की इस फिल्म में किन्नर के जीवन में बचपन से लेकर युवा अवस्था तक आनेवाली परेशानियों को बताया गया है. फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह से किन्नर के जीवन की शुरूआत में उसके परिवार वाले उससे दूरी बना लेते हैं. किस तरह की विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए समाज से संघर्ष करके किन्नर को अपना जीवन बिताना पड़ता है.

समाज में किन्नर को हीन भावना से देखा जाता है
फिल्म में यह भी दिखाया गया है कि किस तरह से घर परिवार में किसी शुभ अवसर पर किन्नर के आने पर उसका सम्मान किया जाता है. उसे मान-सम्मान से बिठाने के साथ ही उसकी दुआएं ली जाती है. इसके बदले किन्नरों को उपहार और भेंट भी दिए जाने की परंपरा है, लेकिन जब अपने बीच का कोई व्यक्ति किन्नर हो ऐसी जानकारी मिलती है तो लोग उसे हीन भावना से देखने लगते हैं. मोहल्ले और आस पड़ोस के लोग ही नहीं बल्कि घर परिवार वाले भी उसका साथ नहीं देते है. इस फिल्म में किन्नरों के इस दर्द को पर्दे पर कलाकारों ने बेहद आकर्षक ढंग से निभाया है.

ये है फिल्म की खास बातें
तारा एक सवाल नाम की इस शॉर्ट फिल्म की खासियत यह है कि इस फिल्म में मुख्य किरदार किसी कलाकार ने नहीं, बल्कि उड़ीसा की रहने वाली किन्नर चिनमई बेहरा ने निभाया है. फिल्म में मुख्य किरदार(किन्नर) का नाम बताया गया है. फिल्म में दिखाया गया है कि तारा परंपरागत कार्य न करके पढ़ लिखकर जीवन में कुछ बनना चाहती है. पढ़ाई पूरी करने के बाद डिग्री हासिल करने के बावजूद किन्नर होने की वजह से तारा को कहीं नौकरी नहीं मिलती है. वहीं, तारा को जगह-जगह अपमानित भी किया जाता है जिसके बाद थक हारकर उसने समाज सेवा करने की ठानी और बच्चों को पढ़ाने का काम शुरू किया, लेकिन वहां पर भी बच्चों के अभिभावकों ने उसे अपमानित करके उसके मनोबल को तोड़ने की कोशिश की.

किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर ने निभाया तारा की मां का रोल
किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर कौशल्या नंद गिरी उर्फ टीना मां ने इस फिल्म में रोल किया है. टीना मां ने इस फिल्म में मुख्य किरदार तारा की मां का रोल किया है. टीना मां ने छोटे से रोल के जरिये ही फिल्म को जीवंत कर दिया है. उन्होंने अपने किरदार के जरिए एक घंटे की इस फिल्म में जान डाल दी है.

संगम नगरी में फिल्म की शूटिंग
शॉर्ट फिल्म की एक खासियत यह भी है कि इसकी पूरी शूटिंग संगम नगरी प्रयाग राज में हुई है. शहर के अलग-अलग हिस्सों में इसकी शूटिंग की गई है. इसके अलावा फिल्म के निर्माण के दौरान स्थानीय कलाकारों को ही वरीयता दी गई है. फिल्म में बाहर के कलाकार को नहीं बुलाया गया है. जहां किन्नर का मुख्य किरदार एक असली किन्नर ने निभाया. वहीं दूसरे सभी किरदारों को प्रयागराज के स्थानीय कलाकारों ने ही निभाया है.

फिल्म के प्रीमियर शो में पहुंचे लोगों ने की सराहना
तारा शॉर्ट मूवी का प्रयागराज के उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र में प्रीमियर शो आयोजित किया गया था. जिसमें समाज से जुड़े सभी वर्ग के लोग पहुंचे थे. शो में साहित्य जगत के साथ ही शिक्षा और राजनीति के क्षेत्र से जुड़े कई लोग शामिल हुए थे. प्रीमियर शो में पहुंचे लोगों ने इस शॉर्ट मूवी की कुछ झलकियों को देखने के बाद ही सभी ने कहानी और कलाकारों की जमकर सराहना की.

समाज में सम्मान देने के मकसद से बनाई गई फिल्म
शॉर्ट फिल्म को बनाने वाले लोगों का कहना है कि इस फिल्म के जरिए वह समाज में किन्नरों का उनका हक दिलवाने का एक प्रयास कर रहे हैं. लोगों को किन्नरों के जीवन में आने वाली परेशानियों से परिचित करवाना चाहते हैं, जिससे कि इन्हें पता चल सके कि किन्नर का जीवन कितना संघर्ष भरा और दुःखद होता है. किस तरह से किन्नर को समाज अछूत समझते हुए उसके साथ भेदभाव और उपहास करते हैं.

फिल्म बनाने का मकसद है कि समाज में महिला और पुरुष की तरह ही किन्नर समाज को भी उचित सम्मान मिल सके. इसके साथ ही सरकार को भी प्रयास करना चाहिए और पढ़ाई-लिखाई के साथ ही सरकारी नौकरियों के जरिये भी किन्नरों को आगे बढ़ने का उचित मौका दिया जाए. किन्नरों के जीवन संघर्ष पर बनी इस फिल्म के डायरेक्टर वरुण कुमार है. वहीं स्टोरी कॉन्सेप्ट नाजिम अंसारी की है और म्यूजिक डॉयरेक्टर सर्वेश सिंह है. जबकि एडिटर किशन कुमार हैं.

इसे भी पढे़ं- ट्रांसजेंडर को बिहार में मिला सम्मान, अब पुलिस की वर्दी में भी दिखेंगे किन्नर

प्रयागराज: किन्नर के जीवन के संघर्ष पर आधारित शॉर्ट फिल्म का प्रयागराज में प्रमोशन किया गया. इस दौरान फिल्म से जुड़े कलाकारों के साथ निर्देशक मौजूद रहे. 'तारा एक सवाल' नाम की इस शॉर्ट फिल्म में मुख्य किरदार एक किन्नर ने निभाया है. साथ ही किन्नर ने फिल्म में एक गाना भी गाया है. वहीं, प्रयागराज के स्थानीय कलाकारों ने भी फिल्म में अच्छी भूमिका निभाई है. फिल्म की खास बात यह रही कि इसकी शूटिंग संगम नगरी में ही की गई है.

जानकारी देते कलाकार.

किन्नर के जीवन संघर्ष पर आधारित है शॉर्ट फिल्म
फिल्म में किन्नर के जीवन में आनेवाली परेशानियों को उजागर किया गया है. एक घंटे की इस फिल्म में किन्नर के जीवन में बचपन से लेकर युवा अवस्था तक आनेवाली परेशानियों को बताया गया है. फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह से किन्नर के जीवन की शुरूआत में उसके परिवार वाले उससे दूरी बना लेते हैं. किस तरह की विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए समाज से संघर्ष करके किन्नर को अपना जीवन बिताना पड़ता है.

समाज में किन्नर को हीन भावना से देखा जाता है
फिल्म में यह भी दिखाया गया है कि किस तरह से घर परिवार में किसी शुभ अवसर पर किन्नर के आने पर उसका सम्मान किया जाता है. उसे मान-सम्मान से बिठाने के साथ ही उसकी दुआएं ली जाती है. इसके बदले किन्नरों को उपहार और भेंट भी दिए जाने की परंपरा है, लेकिन जब अपने बीच का कोई व्यक्ति किन्नर हो ऐसी जानकारी मिलती है तो लोग उसे हीन भावना से देखने लगते हैं. मोहल्ले और आस पड़ोस के लोग ही नहीं बल्कि घर परिवार वाले भी उसका साथ नहीं देते है. इस फिल्म में किन्नरों के इस दर्द को पर्दे पर कलाकारों ने बेहद आकर्षक ढंग से निभाया है.

ये है फिल्म की खास बातें
तारा एक सवाल नाम की इस शॉर्ट फिल्म की खासियत यह है कि इस फिल्म में मुख्य किरदार किसी कलाकार ने नहीं, बल्कि उड़ीसा की रहने वाली किन्नर चिनमई बेहरा ने निभाया है. फिल्म में मुख्य किरदार(किन्नर) का नाम बताया गया है. फिल्म में दिखाया गया है कि तारा परंपरागत कार्य न करके पढ़ लिखकर जीवन में कुछ बनना चाहती है. पढ़ाई पूरी करने के बाद डिग्री हासिल करने के बावजूद किन्नर होने की वजह से तारा को कहीं नौकरी नहीं मिलती है. वहीं, तारा को जगह-जगह अपमानित भी किया जाता है जिसके बाद थक हारकर उसने समाज सेवा करने की ठानी और बच्चों को पढ़ाने का काम शुरू किया, लेकिन वहां पर भी बच्चों के अभिभावकों ने उसे अपमानित करके उसके मनोबल को तोड़ने की कोशिश की.

किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर ने निभाया तारा की मां का रोल
किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर कौशल्या नंद गिरी उर्फ टीना मां ने इस फिल्म में रोल किया है. टीना मां ने इस फिल्म में मुख्य किरदार तारा की मां का रोल किया है. टीना मां ने छोटे से रोल के जरिये ही फिल्म को जीवंत कर दिया है. उन्होंने अपने किरदार के जरिए एक घंटे की इस फिल्म में जान डाल दी है.

संगम नगरी में फिल्म की शूटिंग
शॉर्ट फिल्म की एक खासियत यह भी है कि इसकी पूरी शूटिंग संगम नगरी प्रयाग राज में हुई है. शहर के अलग-अलग हिस्सों में इसकी शूटिंग की गई है. इसके अलावा फिल्म के निर्माण के दौरान स्थानीय कलाकारों को ही वरीयता दी गई है. फिल्म में बाहर के कलाकार को नहीं बुलाया गया है. जहां किन्नर का मुख्य किरदार एक असली किन्नर ने निभाया. वहीं दूसरे सभी किरदारों को प्रयागराज के स्थानीय कलाकारों ने ही निभाया है.

फिल्म के प्रीमियर शो में पहुंचे लोगों ने की सराहना
तारा शॉर्ट मूवी का प्रयागराज के उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र में प्रीमियर शो आयोजित किया गया था. जिसमें समाज से जुड़े सभी वर्ग के लोग पहुंचे थे. शो में साहित्य जगत के साथ ही शिक्षा और राजनीति के क्षेत्र से जुड़े कई लोग शामिल हुए थे. प्रीमियर शो में पहुंचे लोगों ने इस शॉर्ट मूवी की कुछ झलकियों को देखने के बाद ही सभी ने कहानी और कलाकारों की जमकर सराहना की.

समाज में सम्मान देने के मकसद से बनाई गई फिल्म
शॉर्ट फिल्म को बनाने वाले लोगों का कहना है कि इस फिल्म के जरिए वह समाज में किन्नरों का उनका हक दिलवाने का एक प्रयास कर रहे हैं. लोगों को किन्नरों के जीवन में आने वाली परेशानियों से परिचित करवाना चाहते हैं, जिससे कि इन्हें पता चल सके कि किन्नर का जीवन कितना संघर्ष भरा और दुःखद होता है. किस तरह से किन्नर को समाज अछूत समझते हुए उसके साथ भेदभाव और उपहास करते हैं.

फिल्म बनाने का मकसद है कि समाज में महिला और पुरुष की तरह ही किन्नर समाज को भी उचित सम्मान मिल सके. इसके साथ ही सरकार को भी प्रयास करना चाहिए और पढ़ाई-लिखाई के साथ ही सरकारी नौकरियों के जरिये भी किन्नरों को आगे बढ़ने का उचित मौका दिया जाए. किन्नरों के जीवन संघर्ष पर बनी इस फिल्म के डायरेक्टर वरुण कुमार है. वहीं स्टोरी कॉन्सेप्ट नाजिम अंसारी की है और म्यूजिक डॉयरेक्टर सर्वेश सिंह है. जबकि एडिटर किशन कुमार हैं.

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Last Updated : Jan 28, 2021, 1:49 PM IST
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