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World Earth Day 2022: धरती बचानी है तो पेड़ लगाना जरूरी, एक लाख पेड़ लगाकर ग्रीन मैन ने दिया संदेश

विश्व भर में हर साल 22 अप्रैल को वर्ल्ड अर्थ डे (world earth day) मनाया जाता है.वक्त के साथ सभी जरूरी प्राकृतिक संसाधनों का दोहन इस कदर हो रहा है कि समय से पहले ही सभी संसाधन खत्म हो सकते हैं. ऐसे में मनुष्य के लिए पृथ्वी पर जीवित रहना मुश्किल हो जाएगा.

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प्रोफेसर से बने ग्रीन मैन
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Published : Apr 22, 2022, 4:04 PM IST

Updated : Apr 22, 2022, 5:45 PM IST

प्रयागराज: विश्व भर में हर साल 22 अप्रैल को वर्ल्ड अर्थ डे (पृथ्वी दिवस) मनाया जाता है. इस दिन को दुनिया भर में पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्थन प्रदर्शित करने के लिए आयोजित किया जाता है. मनुष्य ने अपनी जिंदगी को आसान बनाने के लिए पर्यावरण को कई तरह से नुकसान पहुंचाया है और अब भी पहुंचा रहा है.

धरती (पृथ्वी ) सभी जीवों के लिए जीवनदायिनी है. जीवन जीने के लिए जिन प्राकृतिक संसाधनों की जरूरत हम सब को होती है, वह सब हमें पृथ्वी से ही मिलती है. हालांकि वक्त के साथ सभी जरूरी प्राकृतिक संसाधनों का दोहन (exploitation of natural resources) इस कदर हो रहा है कि समय से पहले ही सभी संसाधन खत्म हो सकते हैं. ऐसे में मनुष्य के लिए पृथ्वी पर जीवित रहना मुश्किल हो जाएगा.

प्रोफेसर से बने ग्रीन मैन

इसी मुश्किल को हल करने के लिए प्रकृति प्रदत्त चीजों का संरक्षण करने की आवश्यकता है. पर्यावरण की इस विकराल समस्या से निपटने के लिए सभी देश की सरकार, एजेंसियां लाखों ग्रीन कैम्पेन चला रही हैं. लेकिन यूपी के एक छोटे से गांव सुलतानपुर के रहने वाले एक पर्यावरण प्रहरी प्रो. एनबी सिंह ने ग्लोबल वार्मिंग से निपटने का एक ऐसा अभियान चलाया है, जिसके चलते लोग उन्हें 'ग्रीन मैन' के नाम से पुकारते हैं, साथ ही उनको विद्यालय की ओर से सुंदरीकरण और ग्रीन कवर को बढ़ाने के लिए सम्मानित गया था.

इसे भी पढ़ेंः 300 साल पुराने शिव मंदिर पर चला बुलडोजर, बीजेपी ने पूछा- यही है कांग्रेस का सेक्युलरिज्म

कर्म तेरी अच्छी है तो किस्मत तेरी दासी, मन तेरा साफ है तो यहीं मथुरा, यहीं काशी. इलाहाबाद विश्वविद्यालय के वनस्पति विभाग के प्रोफेसर एनबी सिंह के ऊपर यह कहावत सटीक बैठती है. पिता से मिली प्रेरणा को आगे बढ़ाते हुए 6 वर्ष की उम्र से ही पर्यावरण संरक्षण के लिए कदम आगे बढ़ाना शुरू किया था. वर्तमान में अब तक 1 लाख से अधिक प्लांट लगाकर संगम नगरी को हराभरा रखने में मुख्य भूमिका निभाते हैं.

इसके साथ ही संगम नगरी में पाए जाने वाले जहीरले सांपों को पकड़ कर उनकी जिंदगी बचाने का काम करते हैंं. कई वर्षों से लगातार प्लांट लगाने की वजह से अब इलाहाबाद के लोग प्रोफेसर एनबी सिंह को संगम नगरी के हरियाली गुरु और ग्रीन मैन के नाम से जानते हैं. पर्यावरण और वन्यप्राणी की सुरक्षा के लिए निरंतर यह प्रयास जारी है.

एक लाख से अधिक लगाया प्लांट, 37 हजार वृक्षों का किया नामकरण

प्रोफेसर एनबी सिंह (Professor NB Singh) ने कहा कि प्रयागराज में लगभग एक लाख से अधिक प्लांट लगा चुंका हूं. 60 सालों में बहुत से ऐसे प्लांट हैं, जो बड़े होकर वृक्ष बन गए हैं. उन वृक्षों को चिन्हित करके उनका नामकरण करने काम किया. प्रयागराज के सड़कों के किनारे उनके द्वारा लगाए गए वृक्ष लगे हैं. पेडों के संरक्षण के लिए लगातार छात्रों को मोटिवेट और अलग-बगल के लोगों को जागरूक करने का काम करते आए है.

पर्यावरण है तो जीवन है

प्रोफेसर एनबी सिंह ने कहा कि जीवन को बचाना है तो देश हर व्यक्ति को हर दिन एक वृक्ष लगाना चाहिए और उसके देखभाल के लिए आगे आना होगा. पर्यावरण सुरक्षित रहेगा तो प्रदूषण मुक्त शहर, राज्य और देश रहेगा. मानव के लिए जितना ज्यादा जरूरी रोटी, कपड़ा और मकान है .उससे कई गुना ज्यादा जरूरी ऑक्सीजन की है. इसीलिए हर किसी को पर्यावरण को बचाने और प्लांट लगाने के लिए आगे आना होगा.

सांपों और वन्यजीव को बचाना है जिम्मेदारी

प्रोफेसर एन.बी सिंह ने कहा कि जिस तरह पर्यावरण से प्यार है उसी तरह लगभग 13 सालों से वन्यजीव को बचाने का काम कर रहा हूँ. प्रयागराज में पाए जाने वाले जहरीले सांपों को पकड़कर उनको सुरक्षित जगह पर छोड़ता हूं. प्रकृति से जुड़े हुए वन्यजीव भी हैं, इसीलिए उनकी सुरक्षा के लिए घर-घर जाकर सांप पकड़ता हूं.

साइकिल से तय करते हैं दूरी

प्रोफेसर एनबी सिंह ने कहा कि वे इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का प्रोफेसर होने के बावजूद भी साइकिल से दूरी तय करते हैं. घर से इलाहाबाद विश्वविद्यालय से लेकर दूर-दूर तक साइकिल से सफर तय करता हूं. साइकिल चलाने का मेन उद्देश्य है पर्यावरण प्रदूषित न हो और स्वास्थ्य भी फिट रहे.

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प्रयागराज: विश्व भर में हर साल 22 अप्रैल को वर्ल्ड अर्थ डे (पृथ्वी दिवस) मनाया जाता है. इस दिन को दुनिया भर में पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्थन प्रदर्शित करने के लिए आयोजित किया जाता है. मनुष्य ने अपनी जिंदगी को आसान बनाने के लिए पर्यावरण को कई तरह से नुकसान पहुंचाया है और अब भी पहुंचा रहा है.

धरती (पृथ्वी ) सभी जीवों के लिए जीवनदायिनी है. जीवन जीने के लिए जिन प्राकृतिक संसाधनों की जरूरत हम सब को होती है, वह सब हमें पृथ्वी से ही मिलती है. हालांकि वक्त के साथ सभी जरूरी प्राकृतिक संसाधनों का दोहन (exploitation of natural resources) इस कदर हो रहा है कि समय से पहले ही सभी संसाधन खत्म हो सकते हैं. ऐसे में मनुष्य के लिए पृथ्वी पर जीवित रहना मुश्किल हो जाएगा.

प्रोफेसर से बने ग्रीन मैन

इसी मुश्किल को हल करने के लिए प्रकृति प्रदत्त चीजों का संरक्षण करने की आवश्यकता है. पर्यावरण की इस विकराल समस्या से निपटने के लिए सभी देश की सरकार, एजेंसियां लाखों ग्रीन कैम्पेन चला रही हैं. लेकिन यूपी के एक छोटे से गांव सुलतानपुर के रहने वाले एक पर्यावरण प्रहरी प्रो. एनबी सिंह ने ग्लोबल वार्मिंग से निपटने का एक ऐसा अभियान चलाया है, जिसके चलते लोग उन्हें 'ग्रीन मैन' के नाम से पुकारते हैं, साथ ही उनको विद्यालय की ओर से सुंदरीकरण और ग्रीन कवर को बढ़ाने के लिए सम्मानित गया था.

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कर्म तेरी अच्छी है तो किस्मत तेरी दासी, मन तेरा साफ है तो यहीं मथुरा, यहीं काशी. इलाहाबाद विश्वविद्यालय के वनस्पति विभाग के प्रोफेसर एनबी सिंह के ऊपर यह कहावत सटीक बैठती है. पिता से मिली प्रेरणा को आगे बढ़ाते हुए 6 वर्ष की उम्र से ही पर्यावरण संरक्षण के लिए कदम आगे बढ़ाना शुरू किया था. वर्तमान में अब तक 1 लाख से अधिक प्लांट लगाकर संगम नगरी को हराभरा रखने में मुख्य भूमिका निभाते हैं.

इसके साथ ही संगम नगरी में पाए जाने वाले जहीरले सांपों को पकड़ कर उनकी जिंदगी बचाने का काम करते हैंं. कई वर्षों से लगातार प्लांट लगाने की वजह से अब इलाहाबाद के लोग प्रोफेसर एनबी सिंह को संगम नगरी के हरियाली गुरु और ग्रीन मैन के नाम से जानते हैं. पर्यावरण और वन्यप्राणी की सुरक्षा के लिए निरंतर यह प्रयास जारी है.

एक लाख से अधिक लगाया प्लांट, 37 हजार वृक्षों का किया नामकरण

प्रोफेसर एनबी सिंह (Professor NB Singh) ने कहा कि प्रयागराज में लगभग एक लाख से अधिक प्लांट लगा चुंका हूं. 60 सालों में बहुत से ऐसे प्लांट हैं, जो बड़े होकर वृक्ष बन गए हैं. उन वृक्षों को चिन्हित करके उनका नामकरण करने काम किया. प्रयागराज के सड़कों के किनारे उनके द्वारा लगाए गए वृक्ष लगे हैं. पेडों के संरक्षण के लिए लगातार छात्रों को मोटिवेट और अलग-बगल के लोगों को जागरूक करने का काम करते आए है.

पर्यावरण है तो जीवन है

प्रोफेसर एनबी सिंह ने कहा कि जीवन को बचाना है तो देश हर व्यक्ति को हर दिन एक वृक्ष लगाना चाहिए और उसके देखभाल के लिए आगे आना होगा. पर्यावरण सुरक्षित रहेगा तो प्रदूषण मुक्त शहर, राज्य और देश रहेगा. मानव के लिए जितना ज्यादा जरूरी रोटी, कपड़ा और मकान है .उससे कई गुना ज्यादा जरूरी ऑक्सीजन की है. इसीलिए हर किसी को पर्यावरण को बचाने और प्लांट लगाने के लिए आगे आना होगा.

सांपों और वन्यजीव को बचाना है जिम्मेदारी

प्रोफेसर एन.बी सिंह ने कहा कि जिस तरह पर्यावरण से प्यार है उसी तरह लगभग 13 सालों से वन्यजीव को बचाने का काम कर रहा हूँ. प्रयागराज में पाए जाने वाले जहरीले सांपों को पकड़कर उनको सुरक्षित जगह पर छोड़ता हूं. प्रकृति से जुड़े हुए वन्यजीव भी हैं, इसीलिए उनकी सुरक्षा के लिए घर-घर जाकर सांप पकड़ता हूं.

साइकिल से तय करते हैं दूरी

प्रोफेसर एनबी सिंह ने कहा कि वे इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का प्रोफेसर होने के बावजूद भी साइकिल से दूरी तय करते हैं. घर से इलाहाबाद विश्वविद्यालय से लेकर दूर-दूर तक साइकिल से सफर तय करता हूं. साइकिल चलाने का मेन उद्देश्य है पर्यावरण प्रदूषित न हो और स्वास्थ्य भी फिट रहे.

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Last Updated : Apr 22, 2022, 5:45 PM IST
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