प्रयागराज: हाईकोर्ट के आदेशों के अनुपालन में लापरवाही बरतने के मामले में जमानती वारंट जारी होने के बाद प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद बुधवार को अदालत में हाजिर हुए उनके साथ प्रमुख सचिव न्याय पीके श्रीवास्तव भी मौजूद थे. कोर्ट ने उनको भी पिछली तारीख पर तलब किया था. कोर्ट ने प्रमुख सचिव का पक्ष रख रहे अपर महाधिवक्ता से सीधा सवाल पूछा कि क्या कारण है कि पुलिस और शिक्षा विभाग के अधिकारियों के खिलाफ सबसे अधिक अवमानना के मुकदमे दर्ज होते हैं. जाहिर है कि अधिकारी अदालत के आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं, जिसकी वजह से लोगों को कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल करनी पड़ रही है. इस पर मनीष गोयल का कहना था थी हाल ही में मुख्यमंत्री के साथ सभी विधि अधिकारियों और विभागों के प्रमुखों की बैठक हुई है. तय किया गया है कि 15 दिन के भीतर व्यवस्था में सुधार कर दिया जाएगा ताकि अदालत के आदेशों का अधिक से अधिक पालन किया जा सके.
कोर्ट को यह भी बताया गया कि मौजूदा मामले में हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन कर दिया गया है, इसलिए अवमानना याचिका निस्तारित की जाए हालत में सरकार का पक्ष रखने के लिए अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल के साथ मुख्य स्थाई अधिवक्ता बिपिन बिहारी पांडे भी मौजूद थे. सुरेश चंद रघुवंशी की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने दिया. अवमानना याचिका 10 नवंबर 2021 के हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन कराने के लिए दूसरी बार दाखिल की गई थी. इसमें कहा गया कि हाईकोर्ट ने याची को उसकी प्रशिक्षण अवधि जोड़ते हुए अतिरिक्त इंक्रीमेंट देने का निर्देश दिया था. मगर इस आदेश का आज तक पालन नहीं किया गया. याची ने इससे पहले भी अवमानना याचिका दाखिल की थी जिस पर कोर्ट ने प्रमुख सचिव को एक अवसर देते हुए आदेश का अनुपालन करने के लिए कहा था मगर आदेश का पालन नहीं हुआ तो दोबारा अवमानना याचिका दाखिल की गई.
इस बार कोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह को व्यक्तिगत रूप से तलब किया था मगर प्रमुख सचिव न तो स्वयं आए और ना ही आदेश का पालन किया. उनकी ओर से कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया गया. मगर उस हलफनामे में आदेश के अनुपालन के संबंध में कोई बात नहीं कही गई थी. प्रमुख सचिव की ओर से व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट देने के लिए एक प्रार्थना पत्र भी प्रस्तुत किया था. मगर उस प्रार्थना पत्र में व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट देने का कोई कारण नहीं बताया गया था
कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि प्रमुख सचिव के लिए कोर्ट के आदेश का कोई सम्मान नहीं है, उनका कृत्य जानबूझकर न्यायालय के आदेश की अवहेलना करने वाला है. कोर्ट ने प्रमुख सचिव संजय प्रसाद के खिलाफ जमानती वारंट जारी करते हुए उनको 25 जनवरी को अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि राज्य के अधिकारी जिस तरह का व्यवहार कर रहे हैं. वह बेहद अफसोस नाक है.
यह भी पढ़ें- High Court news: रोक के बावजूद ध्वस्तीकरण करने पर कमिश्नर अलीगढ़ पर 5 हजार का हर्जाना