प्रयागराज: जिले में नगर निगम कूड़े से सीएनजी गैस बनाने की नई पहल करने जा रहा है. नगर निगम शहर से निकलने वाले गीले कूड़े से आने वाले दिनों में सीएनजी गैस बनाने का प्लांट शुरू करने जा रहा है. पब्लिक प्राइवेट पार्टनशिप के आधार पर आने वाले दिनों में प्रयागराज में सीएनजी गैस कूड़े से बनायी जाएगी. इससे एक तरफ शहर के पर्यवारण में सुधार होगा वहीं नगर निगम की आय भी बढ़ेगी.
नगर निगम के पर्यवारण अभियंता का कहना है कि नगर निगम जल्द ही गीले कूड़े से सीएनजी गैस तैयार करने वाले प्लांट को लगाने के लिए टेंडर निकालने वाला है. इस टेंडर के जारी होने के बाद जिस भी कंपनी को टेंडर मिलेगा. पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत वो कंपनी गीले कूड़े से सीएनजी गैस बनाने का काम शुरू कंरेगी. गीले कूड़े से दो एकड़ में बनने वाले प्लांट में सीएनजी गैस का उत्पादन शुरू हो जाएगा. शहर से दूर नैनी इलाके में प्लांट के लिए जमीन तलाश ली गयी है. प्लांट बनाने के लिए टेंडर निकाला जाने वाला है. टेंडर में जो एजेंसी सेलेक्ट होगी उसे ही गीले कूड़े गैस बनाने का काम दिया जाएगा. कंपनी अपने संशाधनों से कूड़े से गैस बनाने का प्लांट स्थापित करेगी. इसमें 80 करोड़ रुपये तक कि लागत आ सकती है. टेंडर पाने वाली कंपनी इस प्लांट की करीब 30 सालों तक रख रखाव की जिम्मेदारी भी संभालेगी.
200 टन कूड़े से रोज बनेगी सीएनजी गैस : नगर निगम के पर्यावरण अभियंता उत्तम कुमार वर्मा ने कहा कि शहरभर से रोजाना 200 टन गीला कूड़ा निकलता है. अब इसी 200 टन कूड़े से रोजाना 7 से 8 टन सीएनजी गैस बनेगी. इससे न सिर्फ शहर के पर्यावरण में सुधार होगा बल्कि नगर निगम की आय बढ़ेगी और सीएनजी गैस की प्राप्ति होगी.
गीला और सूखा कूड़ा अलग अलग कलेक्ट करना है चुनौती : निगम अधिकारियों के सामने वर्तमान में सबसे बड़ी चुनौती शहर वासियों को गीला और सूखा कूड़ा अलग-अलग कर उन्हें उपलब्ध करवाने की है. कूड़ा कलेक्शन में लगी कंपनी लोगों को अलग-अलग कूड़े के बारे में जानकारी देती रहती है ताकि लोग गीला और सूखा कूड़ा अलग-अलग पैकेट में रखकर दिया करें. गीले और सूखे कूड़े के कलेक्शन के लिए नीला और हरे रंग का डस्टबिन भी अलग-अलग लगाया जाता है.
गीला कूड़ा और सूखा कूड़ा में अंतर : नगर निगम शहर के हर घर से निकलने वाले कूड़े को इकट्ठा करके उसे आबादी से दूर ले जाकर डंप करती है. सरकार की तरफ से पर्यावरण में प्रदूषण को कम करने के लिए तमाम योजनाएं चलाई जा रही हैं. उसी के तहत कूड़े का भी वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण करने का निर्देश है. इसके बाद नगर निगम कूड़े को बसवार में बने कूड़ा प्लांट में ले जाता है जहां पर अलग-अलग कूड़े का अलग-अलग तरीके से निस्तारण किया जाता है.
अब शहर से निकलने वाले गीले और सूखे कूड़े को अलग-अलग के जाया जाता है. इसमें गीले कूड़े के तहत फल, फूल, पेड़, पौधे की पत्तियां खाने-पीने का सामान या प्रकृति द्वारा बनाई गई हर वस्तु को गीले कूड़े की श्रेणी में रखा गया है जबकि इंसान द्वारा निर्मित प्लास्टिक व इलेक्ट्रानिक सामान से निकलने वाले सभी तरह के कचरे को सूखे कूड़े की श्रेणी में रखा गया है. अब इसी गीले कूड़े से सीएनजी बनाये जाने की नगर निगम तैयारी कर चुका है. जल्द ही शहर से निकलने वाले कूड़े से ये गैस बनना शुरू हो जाएगी.
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