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धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश पर 24 फरवरी को हाईकोर्ट में होगी सुनवाई

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Published : Feb 2, 2021, 8:42 AM IST

Updated : Feb 2, 2021, 5:00 PM IST

यूपी सरकार ने कुछ वक्त पहले ही लव जिहाद जैसे मामलों को रोकने के लिए एक धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश जारी किया था. इसको लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे थे. इस मामले में सुनवाई आज होनी थी, लेकिन अब 24 फरवरी को सुनवाई होगी.

लव जिहाद मामले में आज होगी सुनवाई.
लव जिहाद मामले में आज होगी सुनवाई.

प्रयागराज : हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को धर्मांतरण कानून के खिलाफ जनहित याचिका पर पक्ष रखने के लिए समय दिया है. अगली सुनवाई 24 फरवरी को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति संजय यादव और न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने दिया. वहीं, धर्मांतरण कानून के खिलाफ जनहित याचिका पर आज सुनवाई होनी थी, लेकिन किसी कारणवश नहीं हो पाई.

सुप्रीम कोर्ट द्वारा सभी याचिकाओं को स्थानान्तरित कर एक साथ सुने जाने की राज्य सरकार की मांग अस्वीकार किए जाने के बाद अपना पक्ष रखने के लिए समय मांगा. इस पर सुनवाई स्थगित कर दी गई है. सरकार पहले ही जवाबी हलफनामा दाखिल कर चुकी है.

याचिकाओं में धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश को संविधान के खिलाफ और गैर जरूरी बताते हुए चुनौती दी गई है. याची का कहना है कि यह कानून व्यक्ति के अपनी पसंद और शर्तों पर किसी भी व्यक्ति के साथ रहने और धर्म-पंथ अपनाने के मूल अधिकारों का उल्लंघन करता है.

राज्य सरकार का कहना है कि शादी के लिए धर्म परिवर्तन से कानून व्यवस्था और सामाजिक स्थिति खराब न हो इसके लिए कानून लाया गया है. जो पूरी तरह से संविधान सम्मत है. इससे किसी के मूल अधिकारों का हनन नहीं होता, वरन नागरिक अधिकारों को संरक्षण प्रदान किया गया है. इससे छल-छद्म के जरिए धर्मान्तरण पर रोक लगाने की व्यवस्था की गई है.

प्रयागराज : हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को धर्मांतरण कानून के खिलाफ जनहित याचिका पर पक्ष रखने के लिए समय दिया है. अगली सुनवाई 24 फरवरी को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति संजय यादव और न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने दिया. वहीं, धर्मांतरण कानून के खिलाफ जनहित याचिका पर आज सुनवाई होनी थी, लेकिन किसी कारणवश नहीं हो पाई.

सुप्रीम कोर्ट द्वारा सभी याचिकाओं को स्थानान्तरित कर एक साथ सुने जाने की राज्य सरकार की मांग अस्वीकार किए जाने के बाद अपना पक्ष रखने के लिए समय मांगा. इस पर सुनवाई स्थगित कर दी गई है. सरकार पहले ही जवाबी हलफनामा दाखिल कर चुकी है.

याचिकाओं में धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश को संविधान के खिलाफ और गैर जरूरी बताते हुए चुनौती दी गई है. याची का कहना है कि यह कानून व्यक्ति के अपनी पसंद और शर्तों पर किसी भी व्यक्ति के साथ रहने और धर्म-पंथ अपनाने के मूल अधिकारों का उल्लंघन करता है.

राज्य सरकार का कहना है कि शादी के लिए धर्म परिवर्तन से कानून व्यवस्था और सामाजिक स्थिति खराब न हो इसके लिए कानून लाया गया है. जो पूरी तरह से संविधान सम्मत है. इससे किसी के मूल अधिकारों का हनन नहीं होता, वरन नागरिक अधिकारों को संरक्षण प्रदान किया गया है. इससे छल-छद्म के जरिए धर्मान्तरण पर रोक लगाने की व्यवस्था की गई है.

Last Updated : Feb 2, 2021, 5:00 PM IST
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