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इस बीमारी में महिलाएं खाने लगती हैं अपना बाल, डॉक्टर ने कहा- यह है 'चुड़ैल के बाल'

प्रयागराज में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां एक बच्ची को ऐसी बीमारी थी, जिसमें वह अपना बाल खाती थी. मेडिकल सांइस में इसे 'चुड़ैल के बाल' (chudail ke bal) के नाम से भी जाना जाता है. डॉक्टरों की माने तो महिलाओं में यह बिमारी होती है, लेकिन बच्ची में यह बिमारी, दुनिया का पहला केस है.

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Published : Sep 20, 2021, 1:32 PM IST

Updated : Sep 20, 2021, 2:22 PM IST

chudail ke bal
चुड़ैल के बाल

प्रयागराज: जिले में एक चार साल की बच्ची ट्ररैकोविजोर विथ रिपुंजल सिंड्रोम (Trachovigor with Ripunjal Syndrome) नाम की बीमारी से पीड़ित थी. ये बीमारी दिमागी रूप से कमजोर महिलाओं को होती हैं, जिसे मेडिकल सांइस में 'चुड़ैल के बाल' (chudail ke bal) के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि पीड़ित महिलाएं अपने बालों को खाती रहती हैं, लेकिन प्रयागराज में दिमागी रूप से स्वस्थ्य चार साल की बच्ची में ये बीमारी हो गई, जो दुनिया का पहला केस है. बच्ची के पेट का ऑपरेशन करके 400 ग्राम के वजन वाला बालों का गुच्छा निकाला गया. फिलहाल बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ है और अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर जा चुकी है.

जानकारी देते डॉक्टर और पीड़ित की मां.
बच्ची का ऑपरेशन करने वाले पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. धनेश अग्रहरि का कहना है कि जब बच्ची उनके पास आयी तो उन्हें भी इस बीमारी का अंदाजा नहीं था, क्योंकि ये बीमारी आमतौर पर इतने छोटे बच्चों में अभी तक नहीं मिली थी. लेकिन सिटी स्कैन और अल्ट्रासाउंड की जांच के बाद पता चला कि बच्ची के पेट में बालों के साथ ही धागों का बड़ा गुच्छा बन चुका है, जिसके बाद पूरी तैयारी के साथ कई घंटे तक ऑपरेशन किया गया. ऑपरेशन के दौरान बच्ची के पेट में खाने की थैली और आंत के अंदर से बालों का गुच्छा और उसकी 2 फीट लंबी पूंछ निकाली गई.
चार साल की बच्ची के ट्ररैकोविजोर विथ रिपुंजल सिंड्रोम (Trachovigor with Ripunjal Syndrome) नाम की बीमारी से ग्रसित थी, जो अपने आप में अलग इसलिए है, क्योंकि मेडिकल साइंस में अभी तक चार साल की बच्ची के अंदर इस बीमारी के होने का देश दुनिया का पहला मामला है. अभी तक ये बीमारी देश दुनिया में दिमागी रूप से कमजोर किशोरी या युवा उम्र की महिलाओं में ही ज्यादा मिलता रहा है.

ट्ररैकोविजोर विथ रिपुंजल सिंड्रोम नाम की इस बीमारी को मेडिकल साइंस में 'चुड़ैल के बाल' (chudail ke bal) के नाम से भी जाना जाता है. इस बीमारी से ग्रसित महिलाएं अपने बालों को नोचकर खाती रहती हैं, जिस कारण मेडिकल साइंस में इसे चुड़ैल के बाल नाम से भी जाना जाता है.


ये बीमारी दिमागी रूप से कमजोर अथवा विक्षिप्त किस्म की महिलाओं में ही होती है, जबकि चार साल की ये बच्ची दिमागी रूप से बिल्कुल स्वस्थ है. इसी कारण इस बीमारी से ग्रसित बच्ची दुनिया की पहली ऐसी मरीज है, जो सबसे कम उम्र की होने के अलावा दिमागी रूप से भी स्वस्थ्य है, उसके बावजूद ट्ररैकोविजोर विथ रिपुंजल सिंड्रोम का शिकार बन गई. यही कारण है कि अब इस केस को पूरी डिटेल के साथ मेडिकल जर्नल में भी दर्ज किया जाएगा.

चार की मासूम बच्ची अलीमा की मां ने बताया कि वह घर में पड़े हुए बालों को उठाकर उससे खेलती थी और उसी बीच चोरी से उन बालों को खा जाती थी. यही नहीं वह खेलते समय पड़ोसियों के घर के अंदर और बाहर मिले बालों को भी खाती थी, जब ये बात घरवालों को पता चला तो उन्होंने उसे रोकना टोकना शुरू किया. इसके बाद वह मौका पाने पर बालों के अलावा धागों को भी खाने लगी. इस वजह से अक्सर उसके पेट में दर्द होने के साथ ही उल्टियां होती थी.

आस-पास में इलाज करवाने के बाद भी आराम न मिलने पर घर वाले उसे लेकर डॉक्टर पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. धनेश अग्रहरि के पास पहुंचे, तो जांच के बाद पता चला कि बच्ची के पेट में बड़ा सा बालों का गुच्छा बन गया है. बाल पेट में पचता नहीं है, इसी कारण लगातार बाल खाते रहने की वजह से पेट में बालों का गुच्छा बन गया. इसे बाहर निकालने पर बालों के साथ धागे भी निकले.


डॉ. धनेश अग्रहरी ने बताया कि 1 सितंबर को बच्ची को अस्पताल में भर्ती किया गया. इसके बाद 5 डॉक्टरों की टीम ने कई घंटे तक ऑपरेशन करके बच्ची के पेट में खाने की थैली और आंतों के अंदर से बालों के इस गुच्छे और उसके 2 फीट लंबे पूंछ को बाहर निकाला. बच्ची के पेट से बालों के गुच्छे के साथ आंतों में फैली 2 फीट लंबी उसकी पूंछ को निकालने के लिए खाने की थैली के अलावा आंतों को कई जगह से काटकर जोड़ना पड़ा. सफल ऑपरेशन होने के बाद बच्ची को अस्पताल से डिस्चार्ज करके घर भेज दिया गया है, जहां पर बच्ची अभी पूरी तरह से स्वस्थ्य है.


डॉ. धनेश अग्रहरी ने खासतौर से उन लोगों से अपील की है, जिनके घरों में छोटे बच्चे हैं. उनका कहना है कि छोटे बच्चे अक्सर जमीन पर पड़ी चीजों को उठाकर मुंह में डालते हैं. इसलिए घरवालों को इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे के अंदर जमीन से उठाकर खाने की आदत न पड़े. ज्यादातर बच्चे जमीन पर पड़ी चीजों को उठाकर मुंह में डाल लेते हैं. ऐसा करने पर बच्चे को रोकें टोंके और प्यार से समझाएं कि जमीन पर पड़ी किसी भी वस्तु को उठाकर मुंह में न डालें.


इसके अलावा लगातार छोटे बच्चों की निगरानी करते रहे कि आखिर वह मुंह में क्या डाल रहे हैं, क्योंकि अक्सर छोटे बच्चे जमीन पर पड़ी हुई सभी वस्तुओं को उठाकर चबाते हैं, जिससे इस तरह की गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अक्सर इस तरह के मामले सामने आते हैं, जिसमें बच्चे सिक्के व धातुओं से बनी दूसरी वस्तुओं को निगल लेते हैं, जिस वजह से कई बार पेट से उसे निकालने के लिए बच्चों का ऑपरेशन करना पड़ जाता है. इसलिए उन्होंने छोटे बच्चों वाले घरों में देखभाल करते समय खास निगरानी करने की सभी से अपील की है.

इसे भी पढ़ें- अकबरपुर रनिया विधानसभा सीट: सपा-बसपा के गढ़ में 2017 में पहली बार बीजेपी ने मारी थी बाजी

प्रयागराज: जिले में एक चार साल की बच्ची ट्ररैकोविजोर विथ रिपुंजल सिंड्रोम (Trachovigor with Ripunjal Syndrome) नाम की बीमारी से पीड़ित थी. ये बीमारी दिमागी रूप से कमजोर महिलाओं को होती हैं, जिसे मेडिकल सांइस में 'चुड़ैल के बाल' (chudail ke bal) के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि पीड़ित महिलाएं अपने बालों को खाती रहती हैं, लेकिन प्रयागराज में दिमागी रूप से स्वस्थ्य चार साल की बच्ची में ये बीमारी हो गई, जो दुनिया का पहला केस है. बच्ची के पेट का ऑपरेशन करके 400 ग्राम के वजन वाला बालों का गुच्छा निकाला गया. फिलहाल बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ है और अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर जा चुकी है.

जानकारी देते डॉक्टर और पीड़ित की मां.
बच्ची का ऑपरेशन करने वाले पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. धनेश अग्रहरि का कहना है कि जब बच्ची उनके पास आयी तो उन्हें भी इस बीमारी का अंदाजा नहीं था, क्योंकि ये बीमारी आमतौर पर इतने छोटे बच्चों में अभी तक नहीं मिली थी. लेकिन सिटी स्कैन और अल्ट्रासाउंड की जांच के बाद पता चला कि बच्ची के पेट में बालों के साथ ही धागों का बड़ा गुच्छा बन चुका है, जिसके बाद पूरी तैयारी के साथ कई घंटे तक ऑपरेशन किया गया. ऑपरेशन के दौरान बच्ची के पेट में खाने की थैली और आंत के अंदर से बालों का गुच्छा और उसकी 2 फीट लंबी पूंछ निकाली गई.
चार साल की बच्ची के ट्ररैकोविजोर विथ रिपुंजल सिंड्रोम (Trachovigor with Ripunjal Syndrome) नाम की बीमारी से ग्रसित थी, जो अपने आप में अलग इसलिए है, क्योंकि मेडिकल साइंस में अभी तक चार साल की बच्ची के अंदर इस बीमारी के होने का देश दुनिया का पहला मामला है. अभी तक ये बीमारी देश दुनिया में दिमागी रूप से कमजोर किशोरी या युवा उम्र की महिलाओं में ही ज्यादा मिलता रहा है.

ट्ररैकोविजोर विथ रिपुंजल सिंड्रोम नाम की इस बीमारी को मेडिकल साइंस में 'चुड़ैल के बाल' (chudail ke bal) के नाम से भी जाना जाता है. इस बीमारी से ग्रसित महिलाएं अपने बालों को नोचकर खाती रहती हैं, जिस कारण मेडिकल साइंस में इसे चुड़ैल के बाल नाम से भी जाना जाता है.


ये बीमारी दिमागी रूप से कमजोर अथवा विक्षिप्त किस्म की महिलाओं में ही होती है, जबकि चार साल की ये बच्ची दिमागी रूप से बिल्कुल स्वस्थ है. इसी कारण इस बीमारी से ग्रसित बच्ची दुनिया की पहली ऐसी मरीज है, जो सबसे कम उम्र की होने के अलावा दिमागी रूप से भी स्वस्थ्य है, उसके बावजूद ट्ररैकोविजोर विथ रिपुंजल सिंड्रोम का शिकार बन गई. यही कारण है कि अब इस केस को पूरी डिटेल के साथ मेडिकल जर्नल में भी दर्ज किया जाएगा.

चार की मासूम बच्ची अलीमा की मां ने बताया कि वह घर में पड़े हुए बालों को उठाकर उससे खेलती थी और उसी बीच चोरी से उन बालों को खा जाती थी. यही नहीं वह खेलते समय पड़ोसियों के घर के अंदर और बाहर मिले बालों को भी खाती थी, जब ये बात घरवालों को पता चला तो उन्होंने उसे रोकना टोकना शुरू किया. इसके बाद वह मौका पाने पर बालों के अलावा धागों को भी खाने लगी. इस वजह से अक्सर उसके पेट में दर्द होने के साथ ही उल्टियां होती थी.

आस-पास में इलाज करवाने के बाद भी आराम न मिलने पर घर वाले उसे लेकर डॉक्टर पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. धनेश अग्रहरि के पास पहुंचे, तो जांच के बाद पता चला कि बच्ची के पेट में बड़ा सा बालों का गुच्छा बन गया है. बाल पेट में पचता नहीं है, इसी कारण लगातार बाल खाते रहने की वजह से पेट में बालों का गुच्छा बन गया. इसे बाहर निकालने पर बालों के साथ धागे भी निकले.


डॉ. धनेश अग्रहरी ने बताया कि 1 सितंबर को बच्ची को अस्पताल में भर्ती किया गया. इसके बाद 5 डॉक्टरों की टीम ने कई घंटे तक ऑपरेशन करके बच्ची के पेट में खाने की थैली और आंतों के अंदर से बालों के इस गुच्छे और उसके 2 फीट लंबे पूंछ को बाहर निकाला. बच्ची के पेट से बालों के गुच्छे के साथ आंतों में फैली 2 फीट लंबी उसकी पूंछ को निकालने के लिए खाने की थैली के अलावा आंतों को कई जगह से काटकर जोड़ना पड़ा. सफल ऑपरेशन होने के बाद बच्ची को अस्पताल से डिस्चार्ज करके घर भेज दिया गया है, जहां पर बच्ची अभी पूरी तरह से स्वस्थ्य है.


डॉ. धनेश अग्रहरी ने खासतौर से उन लोगों से अपील की है, जिनके घरों में छोटे बच्चे हैं. उनका कहना है कि छोटे बच्चे अक्सर जमीन पर पड़ी चीजों को उठाकर मुंह में डालते हैं. इसलिए घरवालों को इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे के अंदर जमीन से उठाकर खाने की आदत न पड़े. ज्यादातर बच्चे जमीन पर पड़ी चीजों को उठाकर मुंह में डाल लेते हैं. ऐसा करने पर बच्चे को रोकें टोंके और प्यार से समझाएं कि जमीन पर पड़ी किसी भी वस्तु को उठाकर मुंह में न डालें.


इसके अलावा लगातार छोटे बच्चों की निगरानी करते रहे कि आखिर वह मुंह में क्या डाल रहे हैं, क्योंकि अक्सर छोटे बच्चे जमीन पर पड़ी हुई सभी वस्तुओं को उठाकर चबाते हैं, जिससे इस तरह की गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अक्सर इस तरह के मामले सामने आते हैं, जिसमें बच्चे सिक्के व धातुओं से बनी दूसरी वस्तुओं को निगल लेते हैं, जिस वजह से कई बार पेट से उसे निकालने के लिए बच्चों का ऑपरेशन करना पड़ जाता है. इसलिए उन्होंने छोटे बच्चों वाले घरों में देखभाल करते समय खास निगरानी करने की सभी से अपील की है.

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Last Updated : Sep 20, 2021, 2:22 PM IST
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