प्रयागराज: सेरेब्रल पाल्सी से ग्रसित गोरखपुर की यशी कुमारी (19) ने नीट परीक्षा पास कर ली है. उन्होंने मेडिकल में एमबीबीएस में दाखिला ले लिया है. यशी को पहले प्रयास में ही कोलकाता मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिल गया है. ऑटो ड्राइवर की दिव्यांग बेटी का मेडिकल में दाखिला होने से उनके परिजनों में खुशी है. यशी ने अपना इलाज करने वाले डॉक्टर जितेंद्र जैन से मिलकर उनका आशीर्वाद लिया. डॉक्टर ने उपहार स्वरूप मेडिकल स्टूडेंट द्वारा पहने जाने वाला एप्रिन यशी को दिया.
यशी जन्म से ही सेरेब्रल पाल्सी से ग्रसित थी. उसने पैदा होने के कुछ दिनों बाद ही परिजनों को इस बात की जानकारी हुई. परिजन यशी को डॉक्टर के पास ले गए. लेकिन, कहीं से कोई लाभ नहीं मिला. जिसके बाद जब यशी 7 साल की हुई, तो पिता को प्रयागराज के सेरेब्रल पाल्सी के एक्सपर्ट डॉक्टर जितेंद्र कुमार जैन के बारे में जानकारी हुई. जिसके बाद वो यशी को लेकर प्रयागराज आए, जहां से उनकी बेटी के जीवन से अंधकार दूर होने की उम्मीद दिखी.
सेरेब्रल पाल्सी की वजह यशी के दाहिने हाथ और पैर काम नहीं करते थे. कई सालों तक चले इलाज ने यशी के जीवन को नई राह दी. डॉक्टर जितेंद्र जैन ने यशी के अंदर के होनहार छात्रा को पहचान लिया था और उसके पिता से कहकर अंग्रेजी स्कूल में दाखिला करवा दिया था. जहां पर उसने दसवीं में 93 % से अधिक अंक हासिल किए. उसके बाद 12वीं में भी उसे 85 फीसदी से अधिक अंक मिले. बारहवीं में सफलता के साथ ही उसने मेडिकल की ऑल इंडिया लेवल की होने वाली नीट परीक्षा का भी फॉर्म भर दिया था. उसमें भी सफलता के साथ रैंक हासिल किया. जिसके बाद यशी कुमारी का दाखिला कोलकाता मेडिकल कॉलेज में हो गया है. अब वो मेडिकल की पढ़ाई पूरी कर खुद दूसरों का इलाज करेगी.
यशी मेडिकल की पढ़ाई पूरी करके आगे चलकर बच्चों का डॉक्टर बनना चाहती है. यशी पीडियाट्रिक फिजिशियन बनकर छोटे बच्चों का इलाज करना चाहती है. यशी का कहना है कि उसे बचपन से ही बच्चों से बहुत लगाव रहा है. लेकिन, उसे कोई भी अपना बच्चा नहीं देता था. जब भी किसी बच्चे को उठाने चलती लोग उसे ताना मारते थे और बच्चे को नहीं लेने देते थे. जिस वजह से वो कई बार बहुत दुखी होती थी.
पढ़ें- मेडिकल कॉलेज में देहदान की गई डेडबॉडी की चीरफाड़ से पहले क्या करते हैं डॉक्टर, जानना जरूरी है
यशी ने मेडिकल एंट्रेंस में रैंक हासिल करके सरकारी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस में दाखिला ले लिया है. यशी ने अपने माता पिता का भी नाम रोशन किया है. यशी की इस कामयाबी से उसके ऑटो चालक पिता और मां बेहद खुश हैं. यशी का 2009 से इलाज कर रहे डॉ जितेंद्र जैन का कहना है कि यशी कुमारी डिटोनिक सेरेब्रल पालसी से प्रभावित थी. जिस वजह से उसका दाहिना हाथ पैर काम नहीं करता था. डॉक्टर के मुताबिक ऐसे मरीज शरीर के प्रभावित अंग पर दिमाग से नियंत्रण नहीं कर पाते हैं.जिससे उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता था.
यशी दसवीं की पढ़ाई के बाद से ही मेडिकल की पढ़ाई पर भी ध्यान देने लगी थी. जिसका नतीजा यशी का मेडिकल में दाखिला हुआ है. यह तो सिर्फ शुरुआत है वो उस दिन का इंतजार कर रही हैं, जिस दिन यशी मेडिकल की पढ़ाई में भी झंडे गाड़कर आएंगी. डॉ जितेंद्र जैन ने बताया कि यशी ने उनसे कहा था कि जब उसका मेडिकल में प्रवेश हो जाएगा, तो वो उनसे आकर एप्रिन पहनेगी.
पढ़ें- महंत आनंद गिरी को अपने बचाव में साक्ष्य जमा करने का कोर्ट ने दिया अंतिम मौका