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Allahabad High Court: अध्यापकों के दोबारा अंतर्जनपदीय स्थानांतरण पर रोक नहींः हाई कोर्ट - Prayagraj Allahabad High Court

गोरखपुर में कार्यरत सहायक अध्यापिका अनुराधा की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court ) ने सचिव और बेसिक शिक्षा अधिकारी गोरखपुर के आदेशों को रद्द करते हुए बेसिक शिक्षा अधिकारी बाराबंकी को याची को नई नियुक्ति पर ज्वाइन कराने का निर्देश दिया है.

हाई कोर्ट
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Published : Feb 16, 2023, 10:47 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि बेसिक शिक्षा विभाग में कार्यरत अध्यापकों के दोबारा अंतर्जनपदीय स्थानांतरण पर कोई रोक नहीं है. यदि विभाग ने याची के अंतर्जनपदीय स्थानांतरण की मांग को मंजूर किया है तो उसका स्थानांतरण रोका नहीं जा सकता है. इस निर्देश के साथ कोर्ट ने बेसिक शिक्षा सचिव प्रयागराज के 24 जनवरी 2022 और 18 फरवरी 2022 के आदेशों को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने 13 सितंबर 2022 को बीएसए गोरखपुर द्वारा याची को स्थानांतरित जिले में रिलीव न करने के आदेश को भी रद्द कर दिया है तथा निर्देश दिया है कि याची को उसके स्थानांतरित जिले बाराबंकी में ज्वाइन कराया जाए.

गोरखपुर में कार्यरत सहायक अध्यापिका अनुराधा की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव सिंह ने दिया है. याची के अधिवक्ता नवीन कुमार शर्मा का कहना था कि याची 2005 में संत कबीर नगर में सहायक अध्यापिका के पद पर नियुक्त हुई थी. बाद में वह उच्च प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापिका के पद पर प्रोन्नति हुई। याची की मांग पर उसका अंतर्जनपदीय स्थानांतरण संत कबीर नगर से गोरखपुर कर दिया गया. याची के पति यूपी पुलिस के टेलीकॉम विभाग में कार्यरत हैं. तथा वह लीवर की गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं. लखनऊ एसजीपीजीआई में उनका इलाज चल रहा है. इसकी वजह से याची ने अपना स्थानांतरण लखनऊ या लखनऊ के नजदीक किसी जिले में करने की मांग की थी.

विभाग ने उसकी मांग को स्वीकार करते हुए उसका स्थानांतरण बाराबंकी के लिए कर दिया. मगर बीएसए गोरखपुर में उसे रिलीव करने से इंकार कर दिया. जिसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. हाई कोर्ट ने बीएसए के आदेश को रद्द करते हुए उन्हें अपने निर्णय पर पुनर्विचार के लिए कहा. साथ ही दूसरी बार बीएसएनए उनको रिलीव कर दिया. मगर बीएसए बाराबंकी ने ज्वाइन नहीं कराया. इस पर याची ने हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की. इस दौरान बीएसए बाराबंकी ने सचिव को पत्र लिखकर याची को ज्वाइन कराने के संबंध में निर्देश मांगे. सचिव ने याची को ज्वाइन कराने से इंकार कर दिया. उधर बीएसए गोरखपुर ने भी उसे रिलीव करने का आदेश वापस ले लिया.

अधिवक्ता का तर्क था कि एक बार जब याची का स्थानांतरण कर दिया गया तो फिर उसे ज्वाइन कराने से इनकार नहीं किया जा सकता है. कोर्ट का कहना था इस तथ्य में कोई विवाद नहीं है की अध्यापक दोबारा अंतर्जनपदीय स्थानांतरण की मांग कर सकता है. याची ने जब दोबारा स्थानांतरण की मांग की उस समय विभागीय अधिकारियों के पास उसके सारे रिकॉर्ड थे और उन्होंने उसके आवेदन पर उसे 39 क्वालिटी पॉइंट अंक दिए. एक बार जब याची को स्थानांतरित करने का आदेश पारित कर दिया गया तो फिर उसे रिलीव न करने का आदेश देना अवैधानिक है. कोर्ट ने सचिव और बेसिक शिक्षा अधिकारी गोरखपुर के आदेशों को रद्द करते हुए बेसिक शिक्षा अधिकारी बाराबंकी को निर्देश दिया है कि याची को नई नियुक्ति पर ज्वाइन कराया जाए.

यह भी पढ़ें- Road Accident UP: सड़क हादसे में इंटर की छात्रा समेत 3 लोगों की मौत, 3 लोग गंभीर रूप से घायल

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि बेसिक शिक्षा विभाग में कार्यरत अध्यापकों के दोबारा अंतर्जनपदीय स्थानांतरण पर कोई रोक नहीं है. यदि विभाग ने याची के अंतर्जनपदीय स्थानांतरण की मांग को मंजूर किया है तो उसका स्थानांतरण रोका नहीं जा सकता है. इस निर्देश के साथ कोर्ट ने बेसिक शिक्षा सचिव प्रयागराज के 24 जनवरी 2022 और 18 फरवरी 2022 के आदेशों को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने 13 सितंबर 2022 को बीएसए गोरखपुर द्वारा याची को स्थानांतरित जिले में रिलीव न करने के आदेश को भी रद्द कर दिया है तथा निर्देश दिया है कि याची को उसके स्थानांतरित जिले बाराबंकी में ज्वाइन कराया जाए.

गोरखपुर में कार्यरत सहायक अध्यापिका अनुराधा की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव सिंह ने दिया है. याची के अधिवक्ता नवीन कुमार शर्मा का कहना था कि याची 2005 में संत कबीर नगर में सहायक अध्यापिका के पद पर नियुक्त हुई थी. बाद में वह उच्च प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापिका के पद पर प्रोन्नति हुई। याची की मांग पर उसका अंतर्जनपदीय स्थानांतरण संत कबीर नगर से गोरखपुर कर दिया गया. याची के पति यूपी पुलिस के टेलीकॉम विभाग में कार्यरत हैं. तथा वह लीवर की गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं. लखनऊ एसजीपीजीआई में उनका इलाज चल रहा है. इसकी वजह से याची ने अपना स्थानांतरण लखनऊ या लखनऊ के नजदीक किसी जिले में करने की मांग की थी.

विभाग ने उसकी मांग को स्वीकार करते हुए उसका स्थानांतरण बाराबंकी के लिए कर दिया. मगर बीएसए गोरखपुर में उसे रिलीव करने से इंकार कर दिया. जिसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. हाई कोर्ट ने बीएसए के आदेश को रद्द करते हुए उन्हें अपने निर्णय पर पुनर्विचार के लिए कहा. साथ ही दूसरी बार बीएसएनए उनको रिलीव कर दिया. मगर बीएसए बाराबंकी ने ज्वाइन नहीं कराया. इस पर याची ने हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की. इस दौरान बीएसए बाराबंकी ने सचिव को पत्र लिखकर याची को ज्वाइन कराने के संबंध में निर्देश मांगे. सचिव ने याची को ज्वाइन कराने से इंकार कर दिया. उधर बीएसए गोरखपुर ने भी उसे रिलीव करने का आदेश वापस ले लिया.

अधिवक्ता का तर्क था कि एक बार जब याची का स्थानांतरण कर दिया गया तो फिर उसे ज्वाइन कराने से इनकार नहीं किया जा सकता है. कोर्ट का कहना था इस तथ्य में कोई विवाद नहीं है की अध्यापक दोबारा अंतर्जनपदीय स्थानांतरण की मांग कर सकता है. याची ने जब दोबारा स्थानांतरण की मांग की उस समय विभागीय अधिकारियों के पास उसके सारे रिकॉर्ड थे और उन्होंने उसके आवेदन पर उसे 39 क्वालिटी पॉइंट अंक दिए. एक बार जब याची को स्थानांतरित करने का आदेश पारित कर दिया गया तो फिर उसे रिलीव न करने का आदेश देना अवैधानिक है. कोर्ट ने सचिव और बेसिक शिक्षा अधिकारी गोरखपुर के आदेशों को रद्द करते हुए बेसिक शिक्षा अधिकारी बाराबंकी को निर्देश दिया है कि याची को नई नियुक्ति पर ज्वाइन कराया जाए.

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