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प्रयागराज: माघ मेले में आने वाले श्रद्धालु क्यों हाथ में लेकर चलते हैं डंडे, जानिए खास वजह - श्रद्धालु पहचान लेकर चलते है

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में माघ मेला में लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान करने पहुंच रहे हैं. मेले में बाहर से आए हुए लोग अपनों से अलग न हो जाएं इसके लिए वह अब एक पहचान लेकर चल रहे हैं.

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माघ में श्रद्धालु साथ ले आते है पताका.
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Published : Jan 26, 2020, 10:03 AM IST

Updated : Jan 26, 2020, 1:27 PM IST

प्रयागराज: संगमनगरी में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी है. माघ मेला को लेकर दूर-दूर से लोग संगम में डुबकी लगाने आ रहे हैं. लाखों की तादात में लोग इस मेले में आकर मां गंगा की पूजा-अर्चना कर स्नान कर रहे हैं.

माघ में श्रद्धालु साथ ले आते है पताका.

बिछड़े न इसलिए निकाला उपाय
वहीं इतनी भीड़ होने के कारण आए हुए श्रद्धालु कभी-कभी बिछड़ भी जाते हैं. इस बड़े से मेले में कई लोग एक साथ तो आते हैं, मगर भीड़ के कारण कभी-कभी अपनों से अलग हो जाते हैं. इसके चलते लोगों ने एक उपाय निकाला है. जी हां काफी लोगों की भीड़ के कारण टोली के लोग एक पहचान लेकर चलते हैं. पहचान में वह डंडे में कुछ ऐसी चीज बांधते हैं, जिससे अगर कोई टोली का व्यक्ति बिछ़ड़े तो उस पहचान को देखकर वह वापस टोली तक आ जाए.

लोग हाथों में लेकर चलते हैं डंडा
माघ मेले में आने वाले भक्त एक दूसरे से बिछड़ न जाएं इसके लिए अपने हाथों में एक डंडा लेकर चलते हैं. उस डंडे में कोई तिरंगा झंडा लगाकर चलता है तो कोई पानी की बोतल, तो कोई रंग-बिरंगा कपड़ा. उस टोली का एक आदमी उस डंडे को लेकर आगे-आगे चलता है और उसके पीछे-पीछे लोग चलते जाते. इससे अगर कोई व्यक्ति बिछड़ता भी है तो उस झंडे को देखकर वापस अपनों के पास आ जाता है.

इस दौरान संगम में आने वाले श्रद्धालुओं से ईटीवी भारत ने बात की. श्रद्धालुओं ने बताया कि मेले में कोई अपना कहीं भटक न जाए इसलिए टोली का एक सदस्य हाथ में पहचान लेकर चलता है.

दूर से होती है पहचान
माघ मेले में स्नान करने आए श्रद्धालु महेंद्र सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि कुशीनगर से 30 लोग एक साथ माघ मेले में संगम स्नान करने आए हैं. मेले में टीम का एक सदस्य कहीं भटके न इसलिए पहचान के रूप डंडे में झंडा लगाकर ऊपर करके चलते हैं. डंडा और झंडा को देखकर सभी सदस्य पीछे-पीछे चलते हैं. अगर कोई ग्रुप से कहीं भटक जाता है तो इसी पहचान को देखकर दोबारा से वह मिल जाता है.

डंडे को देखकर बढ़ते हैं आगे
माघ मेले में मध्यप्रदेश से संगम स्नान करने आए रामप्रसाद पटेल ने जानकारी देते हुए बताया कि यात्रियों की चिन्हारी के रूप में यह काम करता है. जितने भी भक्त ग्रुप में आते हैं तो उसमें एक मुख्य व्यक्ति हाथ में चिन्हारी लेकर आगे-आगे चलता है और उसी के पीछे-पीछे हम सभी चलते हैं.

बिछड़ों को मिलाने के लिए है कारगर
श्रद्धालु बृजमोहन पटेल ने जानकारी देते हुए बताया कि हाथ में चिन्हारी लेकर चलने से सभी साथी एक दूसरे से अलग नहीं होते हैं. स्नान करने के बाद भी ग्रुप के सभी लोग इसी चिन्हारी को देखकर दुबारा मिलते हैं.

इसे भी पढ़ें- उत्तर प्रदेश में चढ़ेगा पारा, लोगों को मिलेगी ठिठुरन से राहत

प्रयागराज: संगमनगरी में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी है. माघ मेला को लेकर दूर-दूर से लोग संगम में डुबकी लगाने आ रहे हैं. लाखों की तादात में लोग इस मेले में आकर मां गंगा की पूजा-अर्चना कर स्नान कर रहे हैं.

माघ में श्रद्धालु साथ ले आते है पताका.

बिछड़े न इसलिए निकाला उपाय
वहीं इतनी भीड़ होने के कारण आए हुए श्रद्धालु कभी-कभी बिछड़ भी जाते हैं. इस बड़े से मेले में कई लोग एक साथ तो आते हैं, मगर भीड़ के कारण कभी-कभी अपनों से अलग हो जाते हैं. इसके चलते लोगों ने एक उपाय निकाला है. जी हां काफी लोगों की भीड़ के कारण टोली के लोग एक पहचान लेकर चलते हैं. पहचान में वह डंडे में कुछ ऐसी चीज बांधते हैं, जिससे अगर कोई टोली का व्यक्ति बिछ़ड़े तो उस पहचान को देखकर वह वापस टोली तक आ जाए.

लोग हाथों में लेकर चलते हैं डंडा
माघ मेले में आने वाले भक्त एक दूसरे से बिछड़ न जाएं इसके लिए अपने हाथों में एक डंडा लेकर चलते हैं. उस डंडे में कोई तिरंगा झंडा लगाकर चलता है तो कोई पानी की बोतल, तो कोई रंग-बिरंगा कपड़ा. उस टोली का एक आदमी उस डंडे को लेकर आगे-आगे चलता है और उसके पीछे-पीछे लोग चलते जाते. इससे अगर कोई व्यक्ति बिछड़ता भी है तो उस झंडे को देखकर वापस अपनों के पास आ जाता है.

इस दौरान संगम में आने वाले श्रद्धालुओं से ईटीवी भारत ने बात की. श्रद्धालुओं ने बताया कि मेले में कोई अपना कहीं भटक न जाए इसलिए टोली का एक सदस्य हाथ में पहचान लेकर चलता है.

दूर से होती है पहचान
माघ मेले में स्नान करने आए श्रद्धालु महेंद्र सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि कुशीनगर से 30 लोग एक साथ माघ मेले में संगम स्नान करने आए हैं. मेले में टीम का एक सदस्य कहीं भटके न इसलिए पहचान के रूप डंडे में झंडा लगाकर ऊपर करके चलते हैं. डंडा और झंडा को देखकर सभी सदस्य पीछे-पीछे चलते हैं. अगर कोई ग्रुप से कहीं भटक जाता है तो इसी पहचान को देखकर दोबारा से वह मिल जाता है.

डंडे को देखकर बढ़ते हैं आगे
माघ मेले में मध्यप्रदेश से संगम स्नान करने आए रामप्रसाद पटेल ने जानकारी देते हुए बताया कि यात्रियों की चिन्हारी के रूप में यह काम करता है. जितने भी भक्त ग्रुप में आते हैं तो उसमें एक मुख्य व्यक्ति हाथ में चिन्हारी लेकर आगे-आगे चलता है और उसी के पीछे-पीछे हम सभी चलते हैं.

बिछड़ों को मिलाने के लिए है कारगर
श्रद्धालु बृजमोहन पटेल ने जानकारी देते हुए बताया कि हाथ में चिन्हारी लेकर चलने से सभी साथी एक दूसरे से अलग नहीं होते हैं. स्नान करने के बाद भी ग्रुप के सभी लोग इसी चिन्हारी को देखकर दुबारा मिलते हैं.

इसे भी पढ़ें- उत्तर प्रदेश में चढ़ेगा पारा, लोगों को मिलेगी ठिठुरन से राहत

Intro:प्रयागराज: माघ मेले में आने वाले श्रद्धालु क्यों हाथ में लेकर चलते हैं डंडा, जानें खास वजह

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प्रयागराज: देश का सबसे बड़ा धर्मिक आयोजन माघ मेला संगमनगरी में चल रहा है. देश के अलग-अलग कोने से श्रद्धालु संगमनगरी पहुंच रहे हैं. माघ में पूरे माह श्रद्धालुओं का आगमन होता है. माघ मेले में आने वाले भक्त एक दूसरे बिछड़ न जाए इसके लिए अपने हाथों में एक डंडा लेकर चलते हैं. कोई डंडे में तिरंगा झंडा लगाकर चलता है तो कोई पानी का बोतल तो कोई रंग बिरंगा कपड़ा लेकर आगे-आगे चलता है. संगम में आने वाले श्रद्धालुओं ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए बताया कि मेला में अपने कही भटक न जाए इसलिए अपनी टोली का एक सदस्य हाथ में पहचान लेकर चलता है.


Body:दूर से होती है पहचान

माघ मेले में स्नान करने आए श्रद्धालु महेंद्र सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि कुशीनगर से 30 लोग एक साथ माघ मेले में संगम स्नान करने आया हूँ. मेले टीम का कोई सदस्य कहीं भटके न इसलिए पहचान के रूप डंडे में झंडा लगाकर ऊपर करके चलते हैं. डंडा और झंडा को देखकर सभी सदस्य पीछे-पीछे चलते हैं. अगर कोई ग्रुप से कहीं भटक जाता है तो इसी पहचान को देखकर दुबारा मिल जाते हैं.





Conclusion:डंडे को देखकर बढ़ते हैं आगे

माघ मेले में मध्यप्रदेश से संगम स्नान करने आए रामप्रसाद पटेल ने जानकारी देते हुए बताया कि यात्रियों की चिन्हारी के रूप में यह काम करता है. जितने भी भक्त ग्रुप में आते हैं तो उसमें एक मुख्य व्यक्ति हाथ में चिन्हारी लेकर आगे-आगे चलता है और उसी के पीछे-पीछे हम सभी चलते हैं.

बिछड़ों को मिलाने के लिए है कारगर

श्रद्धालु बृजमोहन पटेल ने जानकारी देते हुए बताया कि हाथ में चिन्हारी लेकर चलने से सभी साथी एक दूसरे से अलग नहीं होते हैं. स्नान करने के बाद भी ग्रुप के सभी लोग इसी चिन्हारी को देखकर दुबारा मिलते हैं.

बाईट-1-महेन्द्र सिंह, श्रद्धालु
बाईट-2- बृजमोहन पटेल, श्रद्धालु
बाईट-3-रामप्रसाद पटेल, श्रद्धालु
Last Updated : Jan 26, 2020, 1:27 PM IST
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