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हर वर्ग में बढ़ता मानसिक अवसाद खींच रहा मौत की ओर..जानें कैसे - मोती लाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय

जब किसी व्यक्ति के अंदर तनाव चरम पर पहुंच जाता है तो उसके मन में आत्महत्या का ख्याल आने लगता है. ऐसे लोगों को लगने लगता है कि जिंदगी खत्म कर लेने से ही इससे मुक्ति मिलेगी. ऐसे में लोगों के अंदर शुरुआती लक्षण दिखने पर ही डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए.

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तनाव के कारण
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Published : Mar 30, 2022, 5:59 PM IST

प्रयागराज : जनपद में मार्च में कुछ ज्यादा ही लोगों ने आत्महत्या (suicide) कर लिया है. मार्च महीने में बीस से अधिक लोगों ने खुद की जीवनलीला समाप्त कर ली. अलग-अलग तरीके से आत्महत्या करने वालों में दसवीं के छात्र से लेकर पीएचडी के छात्रों के साथ ही गरीब, मजदूर और शहर के बड़े व्यापारी तक शामिल हैं. इसे देखते हुए मोतीलाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय ( Motilal Nehru Divisional Hospital) की मनोवैज्ञानिक (psychologist) ने तनावग्रस्त व अवसाद पीड़ितों के लक्षण बताने के साथ ही समय से उनको मनोचिकित्सक के पास ले जाने की अपील की है.

तनाव की वजह से हर उम्र हर वर्ग के लोग दे रहे जान

मनोवैज्ञानिक का कहना है कि जब किसी व्यक्ति के अंदर तनाव अवसाद चरम पर पहुंच जाता है तो उसके मन में आत्महत्या (suicide) का ख्याल आता है. ऐसे लोगों को लगने लगता है कि जिंदगी खत्म कर लेने से ही इससे मुक्ति मिलेगी. ऐसे में लोगों के अंदर शुरुआती लक्षण दिखने पर ही डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए. घर का कोई सदस्य ज्यादा परेशान, चिंतित या तनावग्रस्त दिखे तो परिवार वालों को उसके साथ बातचीत कर जरूरत पड़ने पर डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए.

तनाव की वजह से हर उम्र हर वर्ग के लोग दे रहे जान
तनाव की वजह से हर उम्र हर वर्ग के लोग दे रहे जान

हाईस्कूल के छात्र ने जहां बोर्ड की परीक्षा शुरू होने के पहले जान दे दी, वहीं प्रेमिका की शादी होने के बाद पीएचडी के छात्र ने भी फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली. दूसरी तरफ गरीबी और तंगहाली से परेशान गरीब मजदूर ने अपनी जान दे दी. वहीं, शहर के बड़े नामी व्यापारी आशा एंड कंपनी के बुजुर्ग मालिक ने घर के अंदर कमरे में फंदे पर लटककर जान दे दी.

मनोवैज्ञानिक ने लक्षण दिखने पर डॉक्टरी सलाह को बताया जरूरी
प्रयागराज में बढ़ते हुए सुसाइड के मामलों को देखते हुए मोती लाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय की मनोवैज्ञानिक डॉक्टर इशान्या राज का कहना है कि घर का कोई भी एक्टिव सदस्य तनावग्रस्त दिखने लगे तो उसे मनोचिकित्सक के पास जरूर ले जाएं ताकि इससे समय रहते उसका उचित उपचार कर उसकी जिंदगी को सुरक्षित किया जा सके.

डॉक्टर का कहना है कि घर का कोई सदस्य जो हमेशा एक्टिव रहता हो, अचानक से उसके व्यवहार में बदलाव दिखने लगे, वो गुमसुम या एकांत में रहने लगे, तनावग्रस्त और चिड़चिड़ापन उसके व्यवहार में दिखने लगे तो यह एक गंभीर स्थिति है, इसके अलावा लोगों से दूरी बनाने के साथ ही नकारात्मक बातें ज्यादा करने लगे तो उस व्यक्ति को तत्काल डॉक्टरी परामर्श के लिए मनोवैज्ञानिक के पास ले जाएं. ऐसे में व्यक्ति खुद को नुकसान पहुंचाने के साथ ही अपनी जिंदगी को समाप्त करने के बारे में भी सोचने लगता है. ऐसे लोगों को सही समय पर काउंसिलिंग करके उनके मन के अंदर के विचारों को बदला जा सकता है. थोड़े दिनों बाद वो फिर से पूरी तरह स्वस्थ हो सकता है.

यह भी पढ़ें:लखनऊ में खास तकनीकी से बन रही सड़कें, 20 वर्ष से भी अधिक समय तक चलेंगी
तनावग्रस्त व्यक्ति के लक्षण
कई बार व्यक्ति गृहकलेश या झगड़े की वजह से तुरंत आवेश में आकर जान दे देता है. ज्यादातर दूसरे मामलों में व्यक्ति तनाव और तमाम तरह की परेशानियों और नकारात्मक सोच की वजह से आत्महत्या (suicide) करने का फैसला लेता है. ऐसे लोगों के अंदर शुरुआती लक्षण दिखने पर ही उनकी समस्या का इलाज हो जाए या उन्हें सही तरीके से समझा दिया जाए तो उस व्यक्ति की जिंदगी को बचाया जा सकता है. मनोवैज्ञानिक डॉक्टर इशान्या राज ने आत्महत्या (suicide) करने वाले के अंदर दिखने वाले कुछ प्रमुख लक्षणों को बताया है जो तीन प्रकार के है.

उन्होंने पहला लक्षण के बारे में बताया कि जब कोई व्यक्ति बार-बार अपने को खत्म कर लेने की बातों को कहे और उसके साथ ही यह भी कहे कि जीने की इच्छा नहीं है. मैं मर जाता तो अच्छा होता. इसके अलावा आजकल सोशल मीडिया में लगातार दुःख भरे पोस्ट करना और मौत से जुड़ी बातों को शेयर करने को भी इन्ही लक्षणों में से एक बताया है.

दूसरा लक्षण व्यवहारिक होता है जो व्यक्ति के व्यवहार में दिखने लगता है. नशा करने वाला व्यक्ति अत्यधिक नशा करने लगता है. उसे लगता है कि नशे की डोज़ ज्यादा लेने से ही उसकी मौत हो जाये तो अच्छा रहेगा. ऐसे में लोग आत्महत्या करने के तरीक़े जानने की कोशिश भी करने लगते हैं. खुद को लोगों से दूर कर लेने के साथ ही बहुत कम या बहुत ज्यादा सोने लगते हैं.अपनी प्यारी वस्तुओं को दूसरों को देने के साथ ही अंतिम बार मिलने की बात कहते हैं.

इसी तरह से तीसरे लक्षण के रूप में भावनात्मक लक्षणों को बताया है जिसमें व्यक्ति उदास होने के साथ ही बेचैन और परेशान दिखता है. उसके मन मे हमेशा रोने जैसी भावनाएं रहती हैं और गुस्सा भी खूब दिखता है. ऐसे लक्षण दिखने वाले व्यक्ति को लेकर घरवालों को डॉक्टरों के पास जाना चाहिए. मनोवैज्ञानिक काउंसिलिंग (psychological counseling) के जरिये ही बहुत से मरीजों को ठीक कर देते हैं. उसके बावजूद दवा की जरूरत पड़ती है तो उसे देकर भी मरीजों के तनाव अवसाद को दूर करने की कोशिश की जाती है.

वहीं, मनोचिकित्सक के पास अपने बच्चे को लेकर दिखाने पहुंचे अभिभावक का भी यही कहना है कि बच्चे के अंदर तनाव दिखने पर उसे डॉक्टरी सलाह के लिए मनोवैज्ञानिक के पास ले जाना बेहद जरूरी है. युवाओं की खास निगरानी उनके माता-पिता और घरवालों को करनी चाहिए.
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प्रयागराज : जनपद में मार्च में कुछ ज्यादा ही लोगों ने आत्महत्या (suicide) कर लिया है. मार्च महीने में बीस से अधिक लोगों ने खुद की जीवनलीला समाप्त कर ली. अलग-अलग तरीके से आत्महत्या करने वालों में दसवीं के छात्र से लेकर पीएचडी के छात्रों के साथ ही गरीब, मजदूर और शहर के बड़े व्यापारी तक शामिल हैं. इसे देखते हुए मोतीलाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय ( Motilal Nehru Divisional Hospital) की मनोवैज्ञानिक (psychologist) ने तनावग्रस्त व अवसाद पीड़ितों के लक्षण बताने के साथ ही समय से उनको मनोचिकित्सक के पास ले जाने की अपील की है.

तनाव की वजह से हर उम्र हर वर्ग के लोग दे रहे जान

मनोवैज्ञानिक का कहना है कि जब किसी व्यक्ति के अंदर तनाव अवसाद चरम पर पहुंच जाता है तो उसके मन में आत्महत्या (suicide) का ख्याल आता है. ऐसे लोगों को लगने लगता है कि जिंदगी खत्म कर लेने से ही इससे मुक्ति मिलेगी. ऐसे में लोगों के अंदर शुरुआती लक्षण दिखने पर ही डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए. घर का कोई सदस्य ज्यादा परेशान, चिंतित या तनावग्रस्त दिखे तो परिवार वालों को उसके साथ बातचीत कर जरूरत पड़ने पर डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए.

तनाव की वजह से हर उम्र हर वर्ग के लोग दे रहे जान
तनाव की वजह से हर उम्र हर वर्ग के लोग दे रहे जान

हाईस्कूल के छात्र ने जहां बोर्ड की परीक्षा शुरू होने के पहले जान दे दी, वहीं प्रेमिका की शादी होने के बाद पीएचडी के छात्र ने भी फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली. दूसरी तरफ गरीबी और तंगहाली से परेशान गरीब मजदूर ने अपनी जान दे दी. वहीं, शहर के बड़े नामी व्यापारी आशा एंड कंपनी के बुजुर्ग मालिक ने घर के अंदर कमरे में फंदे पर लटककर जान दे दी.

मनोवैज्ञानिक ने लक्षण दिखने पर डॉक्टरी सलाह को बताया जरूरी
प्रयागराज में बढ़ते हुए सुसाइड के मामलों को देखते हुए मोती लाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय की मनोवैज्ञानिक डॉक्टर इशान्या राज का कहना है कि घर का कोई भी एक्टिव सदस्य तनावग्रस्त दिखने लगे तो उसे मनोचिकित्सक के पास जरूर ले जाएं ताकि इससे समय रहते उसका उचित उपचार कर उसकी जिंदगी को सुरक्षित किया जा सके.

डॉक्टर का कहना है कि घर का कोई सदस्य जो हमेशा एक्टिव रहता हो, अचानक से उसके व्यवहार में बदलाव दिखने लगे, वो गुमसुम या एकांत में रहने लगे, तनावग्रस्त और चिड़चिड़ापन उसके व्यवहार में दिखने लगे तो यह एक गंभीर स्थिति है, इसके अलावा लोगों से दूरी बनाने के साथ ही नकारात्मक बातें ज्यादा करने लगे तो उस व्यक्ति को तत्काल डॉक्टरी परामर्श के लिए मनोवैज्ञानिक के पास ले जाएं. ऐसे में व्यक्ति खुद को नुकसान पहुंचाने के साथ ही अपनी जिंदगी को समाप्त करने के बारे में भी सोचने लगता है. ऐसे लोगों को सही समय पर काउंसिलिंग करके उनके मन के अंदर के विचारों को बदला जा सकता है. थोड़े दिनों बाद वो फिर से पूरी तरह स्वस्थ हो सकता है.

यह भी पढ़ें:लखनऊ में खास तकनीकी से बन रही सड़कें, 20 वर्ष से भी अधिक समय तक चलेंगी
तनावग्रस्त व्यक्ति के लक्षण
कई बार व्यक्ति गृहकलेश या झगड़े की वजह से तुरंत आवेश में आकर जान दे देता है. ज्यादातर दूसरे मामलों में व्यक्ति तनाव और तमाम तरह की परेशानियों और नकारात्मक सोच की वजह से आत्महत्या (suicide) करने का फैसला लेता है. ऐसे लोगों के अंदर शुरुआती लक्षण दिखने पर ही उनकी समस्या का इलाज हो जाए या उन्हें सही तरीके से समझा दिया जाए तो उस व्यक्ति की जिंदगी को बचाया जा सकता है. मनोवैज्ञानिक डॉक्टर इशान्या राज ने आत्महत्या (suicide) करने वाले के अंदर दिखने वाले कुछ प्रमुख लक्षणों को बताया है जो तीन प्रकार के है.

उन्होंने पहला लक्षण के बारे में बताया कि जब कोई व्यक्ति बार-बार अपने को खत्म कर लेने की बातों को कहे और उसके साथ ही यह भी कहे कि जीने की इच्छा नहीं है. मैं मर जाता तो अच्छा होता. इसके अलावा आजकल सोशल मीडिया में लगातार दुःख भरे पोस्ट करना और मौत से जुड़ी बातों को शेयर करने को भी इन्ही लक्षणों में से एक बताया है.

दूसरा लक्षण व्यवहारिक होता है जो व्यक्ति के व्यवहार में दिखने लगता है. नशा करने वाला व्यक्ति अत्यधिक नशा करने लगता है. उसे लगता है कि नशे की डोज़ ज्यादा लेने से ही उसकी मौत हो जाये तो अच्छा रहेगा. ऐसे में लोग आत्महत्या करने के तरीक़े जानने की कोशिश भी करने लगते हैं. खुद को लोगों से दूर कर लेने के साथ ही बहुत कम या बहुत ज्यादा सोने लगते हैं.अपनी प्यारी वस्तुओं को दूसरों को देने के साथ ही अंतिम बार मिलने की बात कहते हैं.

इसी तरह से तीसरे लक्षण के रूप में भावनात्मक लक्षणों को बताया है जिसमें व्यक्ति उदास होने के साथ ही बेचैन और परेशान दिखता है. उसके मन मे हमेशा रोने जैसी भावनाएं रहती हैं और गुस्सा भी खूब दिखता है. ऐसे लक्षण दिखने वाले व्यक्ति को लेकर घरवालों को डॉक्टरों के पास जाना चाहिए. मनोवैज्ञानिक काउंसिलिंग (psychological counseling) के जरिये ही बहुत से मरीजों को ठीक कर देते हैं. उसके बावजूद दवा की जरूरत पड़ती है तो उसे देकर भी मरीजों के तनाव अवसाद को दूर करने की कोशिश की जाती है.

वहीं, मनोचिकित्सक के पास अपने बच्चे को लेकर दिखाने पहुंचे अभिभावक का भी यही कहना है कि बच्चे के अंदर तनाव दिखने पर उसे डॉक्टरी सलाह के लिए मनोवैज्ञानिक के पास ले जाना बेहद जरूरी है. युवाओं की खास निगरानी उनके माता-पिता और घरवालों को करनी चाहिए.
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