प्रयागराज: उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग राज्य/ प्रवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा 2018 के अभ्यर्थियों का प्राप्तांक जारी किया है. संघ लोक सेवा आयोग की तर्ज पर यूपीपीएससी ने बदले पैटर्न पर यह परीक्षा कराई थी. यूपीपीएससी ने बदले पैटर्न पर यह परीक्षा कराई थी. इसका परिणाम सितम्बर में जारी किया गया था. लेकिन अभ्यर्थियों का पदवार व श्रेणी वार कटऑफ अंक जानने की उत्कृष्टता थी. अभ्यर्थियों का आरोप है कि आयोग ने परीक्षा में स्केलिंग नहीं की. पद अधिक होने के बावजूद मेरिट में ज्यादा अंतर नहीं है.
यूपीपीएससी ने जारी किया था परिणाम
यूपीपीएससी ने पीसीएस 2018 का अंतिम परिणाम 11 सितंबर 2020 को जारी किया था. इसमें 988 पदों के सापेक्ष 976 अभ्यर्थी सफल हुए थे. प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति का कहना है कि पीसीएस 2016 तक स्केल्ड व नानस्केल नंबर जारी किया जाता था. पीसीएस 2017 में सिर्फ स्केल्ड नंबर जारी किया गया. क्षैतिज आरक्षण के तहत महिला ,स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व दिव्यांगों का अलग से ब्यौरा जारी नहीं हुआ. इससे पूरी प्रक्रिया सवालों के घेरे में है.
अभ्यर्थियों ने लगाया आरोप
पीसीएस 2017 में सामान्य वर्ग का कटऑफ अंक 877.27 व ओबीसी का 855.36 था. वही पीसीएस 2016 में सामान्य का कट ऑफ 897.04 ओबीसी का 893. 04 था. अभ्यर्थियों का आरोप है कि स्केलिंग न होने से हिंदी माध्यम छात्रों को नुकसान हुआ है, वहींअंग्रेजी माध्यम से पढ़ने वालों को फायदा पहुंचाया गया है. अभ्यर्थियों का आरोप है कि इस बार कट ऑफ में दशमलव नहीं है. आयोग का यह निर्णय सर्वोच्च न्यायालय की अवहेलना है. स्केलिंग न करने का ही परिणाम है कि हिंदी पट्टी के प्रतियोगी छात्रों का चयन सूची से सफाया हो गया. पहली बार महिला वर्ग का अलग से कट ऑफ घोषित नहीं किया गया है. समिति को पहले से ही आशंका थी इसलिए आयोग को ज्ञापन देकर रिजल्ट जारी करने की मांग करता रहा है. इसलिए समिति हर स्तर पर इसका विरोध करेगी. समिति समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय ने भी परिणाम की सीबीआई जांच की मांग की है. उनका कहना है कि मार्कशीट देखने से पूरी तरह स्पष्ट है कि आयोग ने विषयों में स्केलिंग नहीं की है.