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सूखे की चपेट में आई धान की फसल, किसानों को मिलेगा मुआवजा

प्रयागराज जिले में किसान जिले को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग कर रहे हैं. वहीं, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि फसलों को हुए नुकसान का आंकलन कर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना व अन्य योजनाओं से किसानों को लाभांवित किया जाएगा.

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धान की फसल
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Published : Sep 4, 2022, 8:06 PM IST

प्रयागराजः संगम नगरी में गंगा और यमुना नदियों में आई बाढ़ से जनता को भारी परेशान झेलनी पड़ी है. वहीं, इसके बावजूद जिले में औसत से कम बारिश होने से भी किसान परेशान हैं. किसान अब जिले को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि इस बार अच्छी वर्षा न होने की वजह से उनकी धान की फसल की नर्सरी देर से लगी है, जिससे अच्छी पैदावार होने की उम्मीद नहीं है और उत्पादन घटने की भी पूरी संभावना है. सूखे को देखते हुए जिले को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग भी जोर शोर से उठने लगी है. किसान सरकार से जिले को सूखाग्रस्त घोषित कर मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं.

वहीं, कृषि विभाग का भी मानना है कि प्रयागराज जिले में औसत से बहुत कम बारिश हुई है. कृषि विभाग के उपनिदेशक विनोद कुमार ने बताया कि जिले में 31 अगस्त तक 684.3 मिलीमीटर वर्षा होनी चाहिए थी, लेकिन इसके सापेक्ष महज 296.3 मिलीमीटर वर्षा ही हुई है. उनके मुताबिक इस बार 43.3 फीसदी ही बारिश हुई है, जिससे निश्चित तौर पर धान की फसल के उत्पादन पर इसका असर पड़ने की संभावना है. उपनिदेशक ने बताया कि जिले में 1 लाख 53 हजार 617 हेक्टेयर भूमि पर धान की रोपाई का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन बारिश न होने के चलते इसके सापेक्ष एक लाख 39 हजार 553 हेक्टेयर ही धान की रोपाई हुई है.

किसान

उपनिदेशक विनोद कुमार के मुताबिक प्रयागराज जिले में 5 लाख मिट्रिक टन धान का उत्पादन होता है, लेकिन धान की रोपाई कम होने और बारिश न होने का असर उत्पादन पर भी पड़ेगा. इसलिए धान की फसल का उत्पादन भी घटने की पूरी संभावना है. प्रयागराज जिला धान की फसल के उत्पादन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां पर यमुनापार इलाके कोरांव और शंकरगढ़ क्षेत्र में धान की अच्छी पैदावार होती है. खास तौर पर कोरांव क्षेत्र को धान का कटोरा भी कहा जाता है.

पढ़ेंः प्रयागराज में गंगा और यमुना का जलस्तर खतरे के निशान के पार, NDRF की टीम तैनात

वहीं, जिले में आई बाढ़ से किसानों की फसलों को भारी नुकसान भी हुआ है. गंगा, यमुना और टोंस नदियों में आयी बाढ़ ने 134 गांव को प्रभावित किया है. किसानों की सैकड़ों हेक्टेयर भूमि पर लगी धान की फसल बर्बाद हो गई है. इससे भी निश्चित तौर पर धान के उत्पादन पर जबरदस्त असर पड़ेगा. उपनिदेशक कृषि विनोद कुमार के मुताबिक बाढ़ से हुए नुकसान का आंकलन कराया जा रहा है. उन्होंने कहा कि शासन की नीति और नियमों के मुताबिक किसानों को उनकी फसल का मुआवजा दिया जाए.

वहीं, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने जिले में सूखे के हालात को देखते हुए कहा है कि फसलों को हुए नुकसान का आंकलन कर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना व अन्य योजनाओं से किसानों को लाभांवित किया जाएगा.

पढ़ेंः प्रयागराज में जलस्तर बढ़ने से कई गांवों का संपर्क टूटा, ग्रामीण नावों के भरोसे

प्रयागराजः संगम नगरी में गंगा और यमुना नदियों में आई बाढ़ से जनता को भारी परेशान झेलनी पड़ी है. वहीं, इसके बावजूद जिले में औसत से कम बारिश होने से भी किसान परेशान हैं. किसान अब जिले को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि इस बार अच्छी वर्षा न होने की वजह से उनकी धान की फसल की नर्सरी देर से लगी है, जिससे अच्छी पैदावार होने की उम्मीद नहीं है और उत्पादन घटने की भी पूरी संभावना है. सूखे को देखते हुए जिले को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग भी जोर शोर से उठने लगी है. किसान सरकार से जिले को सूखाग्रस्त घोषित कर मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं.

वहीं, कृषि विभाग का भी मानना है कि प्रयागराज जिले में औसत से बहुत कम बारिश हुई है. कृषि विभाग के उपनिदेशक विनोद कुमार ने बताया कि जिले में 31 अगस्त तक 684.3 मिलीमीटर वर्षा होनी चाहिए थी, लेकिन इसके सापेक्ष महज 296.3 मिलीमीटर वर्षा ही हुई है. उनके मुताबिक इस बार 43.3 फीसदी ही बारिश हुई है, जिससे निश्चित तौर पर धान की फसल के उत्पादन पर इसका असर पड़ने की संभावना है. उपनिदेशक ने बताया कि जिले में 1 लाख 53 हजार 617 हेक्टेयर भूमि पर धान की रोपाई का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन बारिश न होने के चलते इसके सापेक्ष एक लाख 39 हजार 553 हेक्टेयर ही धान की रोपाई हुई है.

किसान

उपनिदेशक विनोद कुमार के मुताबिक प्रयागराज जिले में 5 लाख मिट्रिक टन धान का उत्पादन होता है, लेकिन धान की रोपाई कम होने और बारिश न होने का असर उत्पादन पर भी पड़ेगा. इसलिए धान की फसल का उत्पादन भी घटने की पूरी संभावना है. प्रयागराज जिला धान की फसल के उत्पादन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां पर यमुनापार इलाके कोरांव और शंकरगढ़ क्षेत्र में धान की अच्छी पैदावार होती है. खास तौर पर कोरांव क्षेत्र को धान का कटोरा भी कहा जाता है.

पढ़ेंः प्रयागराज में गंगा और यमुना का जलस्तर खतरे के निशान के पार, NDRF की टीम तैनात

वहीं, जिले में आई बाढ़ से किसानों की फसलों को भारी नुकसान भी हुआ है. गंगा, यमुना और टोंस नदियों में आयी बाढ़ ने 134 गांव को प्रभावित किया है. किसानों की सैकड़ों हेक्टेयर भूमि पर लगी धान की फसल बर्बाद हो गई है. इससे भी निश्चित तौर पर धान के उत्पादन पर जबरदस्त असर पड़ेगा. उपनिदेशक कृषि विनोद कुमार के मुताबिक बाढ़ से हुए नुकसान का आंकलन कराया जा रहा है. उन्होंने कहा कि शासन की नीति और नियमों के मुताबिक किसानों को उनकी फसल का मुआवजा दिया जाए.

वहीं, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने जिले में सूखे के हालात को देखते हुए कहा है कि फसलों को हुए नुकसान का आंकलन कर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना व अन्य योजनाओं से किसानों को लाभांवित किया जाएगा.

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