प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि केंद्रीय सिविल सेवा नियमावली के अंतर्गत सेवारत या सेवा के लिए आते-जाते समय यदि कर्मचारी की दुर्घटना में अक्षमता आती है तो वह अशक्तता पेंशन पाने का हकदार है. यदि कर्मचारी अवकाश पर है, सेवा पर नहीं है और इस दौरान दुर्घटना में अक्षमता आती है तो उसे नियमावली के अंतर्गत अशक्तता पेंशन पाने का हक नहीं है.
यह आदेश न्यायमूर्ति विश्वनाथ सोमद्दर और न्यायमूर्ति डॉ. वाईके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने भारत संघ की तरफ से दाखिल विशेष अपील को स्वीकार करते हुए दिया है. इस मामले में अपील कर अधिवक्ता अशोक सिंह ने बहस की.
दरअसल सीआरपीएफ रामपुर में तैनात सिपाही राजबहादुर सिंह कुछ दिनों के अवकाश पर अपने घर आया था तभी दुर्घटना में अक्षमता हो गई. जिस पर उन्होंने अशक्तता पेंशन की मांग की. विभाग ने यह कहते हुए पेंशन देने से इनकार कर दिया कि उनकी यह अशक्तता सेवा के दौरान ड्यूटी पर रहते हुए नहीं हुई है. इसलिए वह अशक्तता पेंशन पाने के हकदार नहीं है.
ये भी पढ़ें- यूपी में कोरोना पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा पहुंचा 1507, अब तक 21 की मौत
विभागीय अपीलों में भी राहत नहीं मिली, जिस पर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. याची का कहना था कि अवकाश पर आया कर्मचारी सेवा में माना जाएगा. इस दौरान कोई दुर्घटना होती है और उसकी वजह से अशक्तता आती है, तो उसे अशक्तता पेंशन मिलनी चाहिए. एकल पीठ ने विभाग को नियमावली के अंतर्गत पेंशन आदि का भुगतान करने का निर्देश दिया था, जिसे केंद्र सरकार द्वारा विशेष अपील में चुनौती दी गई थी.
कोर्ट ने एकल पीठ के आदेश को विधि सम्मत न मानते हुए रद्द कर दिया और याचिका भी खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा है कि याची दुर्घटना के समय ड्यूटी पर नहीं था बल्कि व्यक्तिगत कार्य से था, इसलिए उसे सीसीएस नियम के तहत अशक्तता पेंशन पाने का हक नहीं है.