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फर्जी दस्तावेज पर बने सहायक अध्यापक पर एक लाख रुपए का हर्जाना - प्रयागराज की खबरें

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वेतन भुगतान के लिए दाखिल याचिका एक लाख रूपए हर्जाने के साथ खारिज कर दी है. साथ ही याची अध्यापक से हर्जाना एक माह में जमा करने का निर्देश दिया है. जमा नहीं करने पर जिलाधिकारी राजस्व प्रक्रिया से वसूली करेंगे.

फर्जी दस्तावेज पर बने सहायक अध्यापक पर एक लाख रुपए का हर्जाना
फर्जी दस्तावेज पर बने सहायक अध्यापक पर एक लाख रुपए का हर्जाना
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Published : Aug 31, 2021, 10:39 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि फर्जी मार्कशीट व प्रमाणपत्र के आधार पर नियुक्त सहायक अध्यापक को पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने वेतन भुगतान के लिए दाखिल याचिका एक लाख रूपए हर्जाने के साथ खारिज कर दी. और याची अध्यापक को हर्जाना एक माह में जमा करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने यह भी कहा कि हर्जाना जमा न करने पर जिलाधिकारी राजस्व प्रक्रिया से वसूली करेंगे.

कोर्ट ने कहा कि याची के पिता बीएसए कार्यालय संत कबीर नगर में लिपिक थे. फर्जी अंकपत्र व टीईटी प्रमाणपत्र की जानकारी उस समय के बीएसए महेंद्र प्रताप सिंह को भी थी. प्रबंध समिति से नियुक्ति कराकर अनुमोदन भी कर दिया. शिकायत मिलने पर जांच बैठाई गई और वेतन भुगतान रोका गया. कोर्ट ने राज्य सरकार को बीएसए रहे महेंद्र प्रताप सिंह के खिलाफ तुरंत विभागीय कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने पं दीनदयाल पूर्व माध्यमिक विद्यालय बिटिया बेलहर संत कबी रनगर के सहायक अध्यापक मंजुल कुमार की याचिका पर दिया है.

कोर्ट के आदेश पर सहायक निदेशक बेसिक व वित्त एवं लेखाधिकारी बेसिक शिक्षा संत कबीर नगर पेश हुए. हलफनामा दाखिल कर बताया कि याची की नियुक्ति 15 मार्च 16 को हुई. 17 जुलाई 16 को ज्वाइन किया. शिकायत पर 7 अप्रैल 17 को जांच बैठाई गई और वेतन रोका गया. प्रबंध समिति के विज्ञापन पर याची की नियुक्ति की गई. बीएसए ने अनुमोदित कर दिया. 5 जून 18 को कूटकरण व धोखाधड़ी के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई गई है.

याची ने महात्मा गांधी पीएस कालेज गोरखपुर से जिस अनुक्रमांक पर बीएससी का अंकपत्र पेश किया है. वह अनुक्रमांक तुफैल अहमद को आवंटित था. इंटरमीडिएट का अनुक्रमांक भी फर्जी पाया गया. याची के पिता लिपिक बीएसए कार्यालय ने 2011 का टीईटी प्रमाणपत्र भी फर्जी बनाया. अनुक्रमांक कल्पना त्रिपाठी के नाम है, जो फेल हो गई थी.

इसे भी पढ़ें- चार सप्ताह में पूरा करें स्मारक घोटाला मामले की विवेचना: हाईकोर्ट

कोर्ट की तल्ख टिप्पणी

कोर्ट ने कहा न्यायिक सिस्टम गलत लोगों को संरक्षण देने के लिए नहीं है. देश झूठ पर जीवित नहीं रह सकता. कानून के शासन को संरक्षण देने में कोर्ट की वृहद भूमिका है.

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि फर्जी मार्कशीट व प्रमाणपत्र के आधार पर नियुक्त सहायक अध्यापक को पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने वेतन भुगतान के लिए दाखिल याचिका एक लाख रूपए हर्जाने के साथ खारिज कर दी. और याची अध्यापक को हर्जाना एक माह में जमा करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने यह भी कहा कि हर्जाना जमा न करने पर जिलाधिकारी राजस्व प्रक्रिया से वसूली करेंगे.

कोर्ट ने कहा कि याची के पिता बीएसए कार्यालय संत कबीर नगर में लिपिक थे. फर्जी अंकपत्र व टीईटी प्रमाणपत्र की जानकारी उस समय के बीएसए महेंद्र प्रताप सिंह को भी थी. प्रबंध समिति से नियुक्ति कराकर अनुमोदन भी कर दिया. शिकायत मिलने पर जांच बैठाई गई और वेतन भुगतान रोका गया. कोर्ट ने राज्य सरकार को बीएसए रहे महेंद्र प्रताप सिंह के खिलाफ तुरंत विभागीय कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने पं दीनदयाल पूर्व माध्यमिक विद्यालय बिटिया बेलहर संत कबी रनगर के सहायक अध्यापक मंजुल कुमार की याचिका पर दिया है.

कोर्ट के आदेश पर सहायक निदेशक बेसिक व वित्त एवं लेखाधिकारी बेसिक शिक्षा संत कबीर नगर पेश हुए. हलफनामा दाखिल कर बताया कि याची की नियुक्ति 15 मार्च 16 को हुई. 17 जुलाई 16 को ज्वाइन किया. शिकायत पर 7 अप्रैल 17 को जांच बैठाई गई और वेतन रोका गया. प्रबंध समिति के विज्ञापन पर याची की नियुक्ति की गई. बीएसए ने अनुमोदित कर दिया. 5 जून 18 को कूटकरण व धोखाधड़ी के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई गई है.

याची ने महात्मा गांधी पीएस कालेज गोरखपुर से जिस अनुक्रमांक पर बीएससी का अंकपत्र पेश किया है. वह अनुक्रमांक तुफैल अहमद को आवंटित था. इंटरमीडिएट का अनुक्रमांक भी फर्जी पाया गया. याची के पिता लिपिक बीएसए कार्यालय ने 2011 का टीईटी प्रमाणपत्र भी फर्जी बनाया. अनुक्रमांक कल्पना त्रिपाठी के नाम है, जो फेल हो गई थी.

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कोर्ट की तल्ख टिप्पणी

कोर्ट ने कहा न्यायिक सिस्टम गलत लोगों को संरक्षण देने के लिए नहीं है. देश झूठ पर जीवित नहीं रह सकता. कानून के शासन को संरक्षण देने में कोर्ट की वृहद भूमिका है.

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