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कभी नहीं बुझता इस रसोई का चूल्हा, हर दिन लाखों लोग करते हैं भोजन

प्रयागराज में इन दिनों संगम तट पर माघ मेला चल रहा है. रोजाना लाखों की संख्या में श्रद्धालु संगम स्नान करने पहुंच रहे हैं. इस दौरान मेले में जगह-जगह श्रद्धालुओं के खाने-पीने के लिए भंडारे का आयोजन किया गया है, लेकिन इस पूरे माघ मेला क्षेत्र में ओम नमः शिवाय नाम की संस्था का भंडारा सबसे बड़ा है. इस भंडारे की खासियत है कि इसकी जो रसोई है, वह 24 घंटे चलती है, जिस वजह से इसे अखंड रसोई कहा जाता है. देखिए ये रिपोर्ट...

om namah shivay sanstha feeding food to million people
अखंड रसोई.
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Published : Feb 19, 2021, 8:28 PM IST

प्रयागराज : माघ मेले में भूखे लोगों को भरपेट भोजन करवाने का बीड़ा ओम नमः शिवाय नाम की संस्था ने उठाया है. इस संस्था से जुड़े लोग मेला क्षेत्र में पहुंचे श्रद्धालुओं को भंडारे में प्रसाद रूपी भोजन लेने के लिए आमंत्रित करते रहते हैं. मेला क्षेत्र में कई स्थानों पर चलने वाले भंडारे में रोजाना हजारों श्रद्धालु भोजन करते हैं. लाखों लोगों का भोजन को बनाने के लिए इस भंडारे की रसोई को मेला क्षेत्र की अखंड रसोई कहा जाने लगा है. क्योंकि इस रसोई में दिन-रात चूल्हा जलता ही रहता है. संस्था प्रमुख ओम नमः शिवाय प्रभु जी का कहना है कि भूखे लोगों को भोजन कराके मानव सेवा करने के साथ मातृ शक्ति को बढ़ावा देना ही उनका उद्देश्य है.

अखंड रसोई.
इस वजह से कहा जाता है अखंड रसोई
इन दिनों संगम तट पर माघ मेला चल रहा है. सनातन धर्म के इस मेले में रोजाना लाखों की संख्या में श्रद्धालु संगम स्नान करने पहुंचते हैं. इस दौरान मेले में जगह-जगह श्रद्धालुओं के खाने-पीने के लिए भंडारे का आयोजन किया जाता है, लेकिन इस पूरे माघ मेला क्षेत्र में ओम नमः शिवाय नाम की संस्था का भंडारा सबसे बड़ा है. इस भंडारे की खासियत है कि इसकी जो रसोई है, वह 24 घंटे चलती है. दिन में जहां श्रद्धालुओं के लिए भोजन बनता है, वहीं रात में अगले दिन के भंडारे की तैयारी शुरू हो जाती है. जिस वजह से इस रसोई में चूल्हा बुझाया ही नहीं जाता है. यही वजह है कि ओम नमः शिवाय संस्था की इस रसोई को अखंड रसोई भी कहा जा रहा है.
om namah shivay sanstha feeding food to million people
रसोई.

अखंड रसोई में दिन-रात बड़े-बड़े चूल्हों पर कुछ न कुछ बनता ही रहता है. दिनभर जहां श्रद्धालुओं के लिए दाल, चावल, कढ़ी, पूड़ी, सब्जी, हलवा बनता है तो वहीं रात के समय अगले दिन की तैयारी के लिए आलू, मटर, चना को उबालने का काम किया जाता है.

नर सेवा ही नारायण सेवा
ओम नमः शिवाय नाम की संस्था की शुरुआत करने वाले बाबा का कहना है कि वह मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को भरपेट खाना खिलाने को ही सच्ची मानव सेवा मानते हैं. उनका मानना है कि नर सेवा ही नारायण सेवा है. इसलिए भूखे लोगों को भोजन कराना ही सबसे बड़ा पुण्य का काम है. इसी कारण से वह प्रयागराज में लगने वाले माघ मेला के साथ ही कुंभ मेले में भी इसी तरह भंडारे का आयोजन करते चले आ रहे हैं. इस बार के माघ मेला क्षेत्र में अलग-अलग स्थानों पर उनकी संस्था की तरफ से भंडारा चलाया जा रहा है, जहां पर प्रतिदिन मेला क्षेत्र में आने-वाले श्रद्धालुओं को बुला बुलाकर भोजन करवाया जाता है.

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रसोई.

बाबा की मानें तो उनकी संस्था के द्वारा मेला क्षेत्र में प्रतिदिन एक लाख से ज्यादा लोगों को भोजन कराया जाता है और मुख्य स्नान पर्व पर यह संख्या कई लाख में हो जाती है. ओम नमः शिवाय बाबा यह भी कहते हैं कि मेला क्षेत्र में आने वाला कोई भी व्यक्ति भूखा न सोए, इसलिए मेला क्षेत्र में अलग-अलग स्थानों पर उनकी संस्था के वालंटियर लोगों को भंडारे का प्रसाद लेने के लिए आमंत्रित करते रहते हैं. संस्था के सेवादार श्रद्धालुओं को बताते हैं कि मेला क्षेत्र में किन-किन स्थानों पर ओम नमः शिवाय का भंडारा चल रहा है, जिससे कि लोग वहां पर जाकर भरपेट भोजन कर सकें.

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श्रद्धालु.
आटा गूंथने और रोटी पूड़ी बेलने के लिए लगी है मशीन
माघ मेले की इस अखंड रसोई में आटा गूंथने वाली मशीन लगाई गई है, जिसमें आटा और पानी डालने के बाद गूंथा हुआ आटा तैयार हो जाता है, जिसके बाद इस गूंथे हुए आटा को बेलने के लिए दूसरी मशीन में डाला जाता है, जिसमें से बेली हुई रोटी और पूड़ी बाहर निकलती है, जिसके बाद जहां बड़ी कड़ाही में पूड़ी छानी जाती है तो वहीं रोटी सेंकने का काम होता है.
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श्रद्धालुओं को बांटा जा रहा प्रसाद.
भंडारे में प्रसाद ग्रहण कर आशीर्वाद लेते है श्रद्धालु
भंडारे में आने वाले लोगों का भी कहना है कि वह हर साल माघ मेला में ओम नमः शिवाय के भंडारे में जाकर प्रसाद रूपी भोजन करते हैं. कई लोग तो ऐसे है कि वे जब भी मेला क्षेत्र में आते हैं, ओम नमः शिवाय के भंडारे में जाकर प्रसाद जरूर लेते हैं. लोगों का कहना है कि भंडारे में मिलने वाला भोजन प्रसाद के रूप में ग्रहण करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. पहले मेला क्षेत्र कुछ स्तनों पर मुख्य स्नान पर्वों के दिन ही भंडारे का आयोजन होता था. लेकिन जब से ओम नमः शिवाय का भंडारा मेला क्षेत्र में शुरू हुआ है. मेले में हर दिन हजारों लोग सुबह से लेकर रात तक भंडारे में प्रसाद लेते रहते हैं.

प्रयागराज : माघ मेले में भूखे लोगों को भरपेट भोजन करवाने का बीड़ा ओम नमः शिवाय नाम की संस्था ने उठाया है. इस संस्था से जुड़े लोग मेला क्षेत्र में पहुंचे श्रद्धालुओं को भंडारे में प्रसाद रूपी भोजन लेने के लिए आमंत्रित करते रहते हैं. मेला क्षेत्र में कई स्थानों पर चलने वाले भंडारे में रोजाना हजारों श्रद्धालु भोजन करते हैं. लाखों लोगों का भोजन को बनाने के लिए इस भंडारे की रसोई को मेला क्षेत्र की अखंड रसोई कहा जाने लगा है. क्योंकि इस रसोई में दिन-रात चूल्हा जलता ही रहता है. संस्था प्रमुख ओम नमः शिवाय प्रभु जी का कहना है कि भूखे लोगों को भोजन कराके मानव सेवा करने के साथ मातृ शक्ति को बढ़ावा देना ही उनका उद्देश्य है.

अखंड रसोई.
इस वजह से कहा जाता है अखंड रसोई
इन दिनों संगम तट पर माघ मेला चल रहा है. सनातन धर्म के इस मेले में रोजाना लाखों की संख्या में श्रद्धालु संगम स्नान करने पहुंचते हैं. इस दौरान मेले में जगह-जगह श्रद्धालुओं के खाने-पीने के लिए भंडारे का आयोजन किया जाता है, लेकिन इस पूरे माघ मेला क्षेत्र में ओम नमः शिवाय नाम की संस्था का भंडारा सबसे बड़ा है. इस भंडारे की खासियत है कि इसकी जो रसोई है, वह 24 घंटे चलती है. दिन में जहां श्रद्धालुओं के लिए भोजन बनता है, वहीं रात में अगले दिन के भंडारे की तैयारी शुरू हो जाती है. जिस वजह से इस रसोई में चूल्हा बुझाया ही नहीं जाता है. यही वजह है कि ओम नमः शिवाय संस्था की इस रसोई को अखंड रसोई भी कहा जा रहा है.
om namah shivay sanstha feeding food to million people
रसोई.

अखंड रसोई में दिन-रात बड़े-बड़े चूल्हों पर कुछ न कुछ बनता ही रहता है. दिनभर जहां श्रद्धालुओं के लिए दाल, चावल, कढ़ी, पूड़ी, सब्जी, हलवा बनता है तो वहीं रात के समय अगले दिन की तैयारी के लिए आलू, मटर, चना को उबालने का काम किया जाता है.

नर सेवा ही नारायण सेवा
ओम नमः शिवाय नाम की संस्था की शुरुआत करने वाले बाबा का कहना है कि वह मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को भरपेट खाना खिलाने को ही सच्ची मानव सेवा मानते हैं. उनका मानना है कि नर सेवा ही नारायण सेवा है. इसलिए भूखे लोगों को भोजन कराना ही सबसे बड़ा पुण्य का काम है. इसी कारण से वह प्रयागराज में लगने वाले माघ मेला के साथ ही कुंभ मेले में भी इसी तरह भंडारे का आयोजन करते चले आ रहे हैं. इस बार के माघ मेला क्षेत्र में अलग-अलग स्थानों पर उनकी संस्था की तरफ से भंडारा चलाया जा रहा है, जहां पर प्रतिदिन मेला क्षेत्र में आने-वाले श्रद्धालुओं को बुला बुलाकर भोजन करवाया जाता है.

om namah shivay sanstha feeding food to million people
रसोई.

बाबा की मानें तो उनकी संस्था के द्वारा मेला क्षेत्र में प्रतिदिन एक लाख से ज्यादा लोगों को भोजन कराया जाता है और मुख्य स्नान पर्व पर यह संख्या कई लाख में हो जाती है. ओम नमः शिवाय बाबा यह भी कहते हैं कि मेला क्षेत्र में आने वाला कोई भी व्यक्ति भूखा न सोए, इसलिए मेला क्षेत्र में अलग-अलग स्थानों पर उनकी संस्था के वालंटियर लोगों को भंडारे का प्रसाद लेने के लिए आमंत्रित करते रहते हैं. संस्था के सेवादार श्रद्धालुओं को बताते हैं कि मेला क्षेत्र में किन-किन स्थानों पर ओम नमः शिवाय का भंडारा चल रहा है, जिससे कि लोग वहां पर जाकर भरपेट भोजन कर सकें.

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श्रद्धालु.
आटा गूंथने और रोटी पूड़ी बेलने के लिए लगी है मशीन
माघ मेले की इस अखंड रसोई में आटा गूंथने वाली मशीन लगाई गई है, जिसमें आटा और पानी डालने के बाद गूंथा हुआ आटा तैयार हो जाता है, जिसके बाद इस गूंथे हुए आटा को बेलने के लिए दूसरी मशीन में डाला जाता है, जिसमें से बेली हुई रोटी और पूड़ी बाहर निकलती है, जिसके बाद जहां बड़ी कड़ाही में पूड़ी छानी जाती है तो वहीं रोटी सेंकने का काम होता है.
om namah shivay sanstha feeding food to million people
श्रद्धालुओं को बांटा जा रहा प्रसाद.
भंडारे में प्रसाद ग्रहण कर आशीर्वाद लेते है श्रद्धालु
भंडारे में आने वाले लोगों का भी कहना है कि वह हर साल माघ मेला में ओम नमः शिवाय के भंडारे में जाकर प्रसाद रूपी भोजन करते हैं. कई लोग तो ऐसे है कि वे जब भी मेला क्षेत्र में आते हैं, ओम नमः शिवाय के भंडारे में जाकर प्रसाद जरूर लेते हैं. लोगों का कहना है कि भंडारे में मिलने वाला भोजन प्रसाद के रूप में ग्रहण करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. पहले मेला क्षेत्र कुछ स्तनों पर मुख्य स्नान पर्वों के दिन ही भंडारे का आयोजन होता था. लेकिन जब से ओम नमः शिवाय का भंडारा मेला क्षेत्र में शुरू हुआ है. मेले में हर दिन हजारों लोग सुबह से लेकर रात तक भंडारे में प्रसाद लेते रहते हैं.
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