प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोमवार को भगवान शिव को लेकर फेसबुक पर आपत्तिजनक पोस्ट करने के आरोपी खिलाफ आपराधिक कार्रवाई रद्द करने से इनकार कर दिया है. हाई कोर्ट ने कहा कि जिस अपराध से समुदायों व वर्गों के बीच नफरत को बढ़ावा देने की प्रवृत्ति होती है. उसे सख्ती से खत्म करना होगा. ऐसे अपराधों को समाज में फलने-फूलने की अनुमति नहीं दी जा सकती.
यह टिप्पणी न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने आरोपी आसिफ की याचिका को खारिज करते हुए की है. याची के खिलाफ आईपीसी की धारा 153-ए, 295-ए और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 66 के तहत अलीगढ़ के छर्रा थाने में मुकदमा दर्ज है. उस पर भगवान शिव को लेकर फेसबुक पर आपत्तिजनक पोस्ट करने और हिंदू समुदाय की भावनाओं को आहत करने का आरोप है. इस मामले की सुनवाई सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट में हुई. जिस पर कोर्ट ने आपराधिक कार्रवाई रद्द करने से इनकार कर दिया.
याची की ओर से इलाहाबाद हाई कोर्ट में कहा गया कि याची के फेसबुक पर पोस्ट की गईं कथित टिप्पणियां केवल अंजलि सिंह द्वारा फॉरवर्ड की गई थी. यह टिप्पणियां याची द्वारा नहीं लिखी गई है. इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि यदि कोई ऐसी टिप्पणी है. जिसमें विभिन्न वर्गों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने की प्रवृत्ति है तो धर्म के आधार पर इसे किसी के फेसबुक पर पोस्ट करना निश्चित रूप से एक अपराध होगा.
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