प्रयागराज: नगर निगम ने शहर के घरों में कुत्तों को पालने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य कर दिया है. नगर निगम ने सभी को कुत्तों के रजिस्ट्रेशन का फरमान भी जारी कर दिया है. निगम के मुताबिक जून माह की 30 तारीख तक पालतू कुत्तों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया है. रजिस्ट्रेशन नहीं होने पर लेट फीस भी देनी होगी. साथ ही बिना रजिस्ट्रेशन के घर में कुत्ता पालने और सड़कों पर टहलाते समय पकड़े जाने पर जुर्माना देना होगा. साथ ही कानूनी कार्रवाई भी झेलनी पड़ सकती है.
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद प्रदेश के दूसरे नगर निगम के साथ ही प्रयागराज में भी पालतू कुत्तों के रजिस्ट्रेशन की शुरुआत कर दी गई है. अब शहरी क्षेत्र में नगर निगम सीमा के अंदर कुत्ते पालने वाले सभी लोगों को अपने कुत्ते का रजिस्ट्रेशन नगर निगम में करवाना होगा. जिसमें कुत्ते के टीकाकरण की डिटेल्स देने के अलावा अन्य जानकारी भी देनी होगी. इसके साथ ही रजिस्ट्रेशन फीस के रूप में 630 रुपए भी अदा करना पड़ेगा. इतना ही नहीं 30 जून के बाद ये रजिस्ट्रेशन फीस 60 रुपये विलंब शुल्क के साथ 690 रुपए हो जाएगी. पालतू कुत्तों को एआरवी टीका लगवाना भी अनिवार्य रहेगा. जिन लोगों के पास टीका लगे होने का प्रमाणपत्र या साक्ष्य होगा उनका ही रजिस्ट्रेशन किया जाएगा.
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रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर देना होगा जुर्माना: नगर निगम के पशुधन अधिकारी डॉ. विजय अमृतराज के मुताबिक अप्रैल से शुरू हुए वित्तीय वर्ष से लेकर अब तक सिर्फ 105 लोगों ने अपने कुत्ते का नगर निगम में रजिस्ट्रेशन करावाया है. नगर निगम के सफाई निरीक्षकों को निगरानी की जिम्मेदारी दी गई है. बिना रजिस्ट्रेशन वाले कुत्ते पार्क और सड़कोx पर टहलते हुए गंदगी करते मिलें तो उनके मालिकों से नगर निगम जुर्माना वसूलने की रणनीति बना चुका है. निगम के सफाई निरीक्षक ही अब बिना रजिस्ट्रेशन वाले कुत्तों के मालिकों से जुर्माना वसूलने का कार्य भी करेंगे. पशुधन अधिकारी के मुताबिक नगर निगम ने पालतू कुत्तों का सर्वे करने के लिए अलग-अलग जोन में टीमें भी बनाई गई हैं. जो घरों का सर्वे कर सभी पालतू कुत्तों का पंजीकरण करवाने का प्रयास करेंगे.
निगम के फैसले पर सवाल: नगर निगम के इस फैसले को लेकर लोगों ने विरोध भी शुरू कर दिया है. झूंसी इलाके में रहने वाली स्मृति का कहना है की जो घर में कुत्तों को पालते हैं उनकी सेवा करते हैं. उनसे नगर निगम रजिस्ट्रेशन करवाने को कह रहा है. जबकि भारी संख्या में पूरे शहर में आवारा कुत्ते घूमते हैं और गंदगी करते हैं. इतना ही नहीं लोगों को दौड़ाकर काटते भी हैं. उस पर नगर निगम के अफसर या सरकार क्यों कुछ नहीं सोचती है. नगर निगम के इस फैसले की निंदा करते हुए जनता से टैक्स वसूलने का एक और जरिया बताया है. वहीं सड़कों पर घूमने वाले आवारा कुत्तों के सवाल पर निगम के पशुधन अधिकारी ने कहा की उनके लिए सरकार की तरफ से कोई योजना बनेगी तो उसी के अनुसार कार्य किया जाएगा.
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