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अटल जी की जयंती पर राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्याल में राष्ट्रीय संगोष्ठी - national seminar cum lecture in rajarshi tandon open university

प्रयागराज के राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय में अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर राष्ट्रीय संगोष्ठी सह- व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी ने अटल जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला.

राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन
राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन
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Published : Dec 25, 2020, 3:50 PM IST

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय में बुधवार को अटल जन्मोत्सव समारोह के उद्घाटन अवसर पर लोकतांत्रिक मूल्य एवं भारतीय राजनीति विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी सह-व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया. यह आयोजन अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन पीठ की ओर से किया गया.


समारोह के मुख्य अतिथि बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र ने लोकतांत्रिक मूल्य स्वतंत्रता, समानता और वैधानिक न्याय को अपने अंदर समाहित किया है. इनकी जड़ें अन्य देशों की अपेक्षा भारत में बहुत ही गहरी हैं. इसका सबसे अच्छा उदाहरण भारतीय परिवार है जोकि सहमति और असहमति का सम्मान करते हुए आपस में एक-दूसरे को जोड़े रखता है.


अटल जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर डाला प्रकाश

डॉक्टर द्विवेदी ने कहा कि परिवार से समाज और समाज से राष्ट्र का निर्माण होता है. राष्ट्र के संदर्भ में यह मूल्य अटल जी के राजनीतिक जीवन में दिखाई पड़ते हैं. इसका एक जीता जागता उदाहरण 24 दलों को लेकर सरकार बनाना है. वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति में भारतीय लोकतांत्रिक मूल्य का दर्शन किसान आंदोलन में दिखाई पड़ता है. उन्होंने कहा कि उद्योगपतियों का विरोध देश में नए संकट को जन्म देगा क्योंकि उद्योगपति और किसान एक-दूसरे पर निर्भर हैं.


डॉ द्विवेदी ने अटल जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनका जीवन लोकतांत्रिक मूल्यों पर ही आधारित रहा है. लोकतांत्रिक व्यवस्था और मूल्यों पर पाश्चात्य विचारक जॉन लॉक का सहमति सिद्धांत, माण्टेस्क्यू के शक्ति पृथक्करण सिद्धांत और रूसो के सामाजिक समझौता सिद्धांत का उल्लेख करते हुए इनके विचारों की तुलना भारतीय संस्कृति एवं दर्शन परंपरा से की. डॉ द्विवेदी ने अटल जी के नारे जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान का उल्लेख करते हुए बताया कि तीनों के परस्पर सामंजस्य से सशक्त लोकतंत्र का निर्माण किया जा सकता है.

दीप प्रज्ज्वलित कर किया कार्यक्रम का शुभारंभ
कार्यक्रम के प्रारंभ में मुख्य अतिथि डॉक्टर द्विवेदी एवं कुलपति प्रोफेसर सिंह ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया. इस अवसर पर अतिथियों ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए. अटल जन्मोत्सव के साप्ताहिक समारोह की रूपरेखा अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन पीठ के अध्यक्ष प्रोफेसर पीके पांडे ने प्रस्तुत की. प्रोफेसर पांडेय ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था एक राजनीतिक व्यवस्था ही नहीं है, बल्कि एक सामाजिक व्यवस्था भी है.

समारोह का संचालन डॉ सुरेंद्र कुमार ने किया. अतिथियों का स्वागत डॉ जीके द्विवेदी एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ दिनेश सिंह ने किया. इस अवसर पर प्रोफेसर पी पी दुबे, प्रोफेसर जी एस शुक्ल, प्रोफेसर सुधांशु त्रिपाठी, प्रोफेसर सत्यपाल तिवारी, प्रोफेसर एस कुमार, प्रोफेसर रुचि बाजपेई, प्रोफेसर विनोद कुमार गुप्ता, कुलसचिव डॉ एके गुप्ता, परीक्षा नियंत्रक डीपी सिंह एवं अन्य शिक्षक परामर्शदाता उपस्थित रहे और 100 से अधिक प्रतिभागी ऑनलाइन जूम से जुड़े रहे.

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय में बुधवार को अटल जन्मोत्सव समारोह के उद्घाटन अवसर पर लोकतांत्रिक मूल्य एवं भारतीय राजनीति विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी सह-व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया. यह आयोजन अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन पीठ की ओर से किया गया.


समारोह के मुख्य अतिथि बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र ने लोकतांत्रिक मूल्य स्वतंत्रता, समानता और वैधानिक न्याय को अपने अंदर समाहित किया है. इनकी जड़ें अन्य देशों की अपेक्षा भारत में बहुत ही गहरी हैं. इसका सबसे अच्छा उदाहरण भारतीय परिवार है जोकि सहमति और असहमति का सम्मान करते हुए आपस में एक-दूसरे को जोड़े रखता है.


अटल जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर डाला प्रकाश

डॉक्टर द्विवेदी ने कहा कि परिवार से समाज और समाज से राष्ट्र का निर्माण होता है. राष्ट्र के संदर्भ में यह मूल्य अटल जी के राजनीतिक जीवन में दिखाई पड़ते हैं. इसका एक जीता जागता उदाहरण 24 दलों को लेकर सरकार बनाना है. वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति में भारतीय लोकतांत्रिक मूल्य का दर्शन किसान आंदोलन में दिखाई पड़ता है. उन्होंने कहा कि उद्योगपतियों का विरोध देश में नए संकट को जन्म देगा क्योंकि उद्योगपति और किसान एक-दूसरे पर निर्भर हैं.


डॉ द्विवेदी ने अटल जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनका जीवन लोकतांत्रिक मूल्यों पर ही आधारित रहा है. लोकतांत्रिक व्यवस्था और मूल्यों पर पाश्चात्य विचारक जॉन लॉक का सहमति सिद्धांत, माण्टेस्क्यू के शक्ति पृथक्करण सिद्धांत और रूसो के सामाजिक समझौता सिद्धांत का उल्लेख करते हुए इनके विचारों की तुलना भारतीय संस्कृति एवं दर्शन परंपरा से की. डॉ द्विवेदी ने अटल जी के नारे जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान का उल्लेख करते हुए बताया कि तीनों के परस्पर सामंजस्य से सशक्त लोकतंत्र का निर्माण किया जा सकता है.

दीप प्रज्ज्वलित कर किया कार्यक्रम का शुभारंभ
कार्यक्रम के प्रारंभ में मुख्य अतिथि डॉक्टर द्विवेदी एवं कुलपति प्रोफेसर सिंह ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया. इस अवसर पर अतिथियों ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए. अटल जन्मोत्सव के साप्ताहिक समारोह की रूपरेखा अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन पीठ के अध्यक्ष प्रोफेसर पीके पांडे ने प्रस्तुत की. प्रोफेसर पांडेय ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था एक राजनीतिक व्यवस्था ही नहीं है, बल्कि एक सामाजिक व्यवस्था भी है.

समारोह का संचालन डॉ सुरेंद्र कुमार ने किया. अतिथियों का स्वागत डॉ जीके द्विवेदी एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ दिनेश सिंह ने किया. इस अवसर पर प्रोफेसर पी पी दुबे, प्रोफेसर जी एस शुक्ल, प्रोफेसर सुधांशु त्रिपाठी, प्रोफेसर सत्यपाल तिवारी, प्रोफेसर एस कुमार, प्रोफेसर रुचि बाजपेई, प्रोफेसर विनोद कुमार गुप्ता, कुलसचिव डॉ एके गुप्ता, परीक्षा नियंत्रक डीपी सिंह एवं अन्य शिक्षक परामर्शदाता उपस्थित रहे और 100 से अधिक प्रतिभागी ऑनलाइन जूम से जुड़े रहे.

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