प्रयागराज: धर्म और आस्था की नगरी प्रयागराज के झूसी तट पर मंगलवार को स्वामी शारदानंद गिरी उत्थान समिति (Swami Shardanand Giri Utthan Samiti) ने नागछत्र हनुमान की मूर्ति की पुनर्स्थापना (Nagchatra Hanuman statue restored) कर जलाअभिषेक किया. इस दौरान सुंदरकांड का आयोजन हुआ. 200 वर्ष पुराने इस मंदिर के जीर्णोद्धार के अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी.
मंदिर के पीठाधीश्वर शरद जी महाराज बताते हैं कि एक बार शारदानंद गिरी जी महाराज संगम तट पर ध्यान लगाकर बैठे हुए थे. उनको ज्ञात हुआ कि झूसी के किनारे नागों का क्षेत्र है और यहीं पर हनुमान जी का एक मंदिर होना चाहिए. उन्होंने यहां पूजा-अर्चना शुरू की और छोटे से मंदिर का निर्माण किया. लेकिन, हर वर्ष बाढ़ के दिनों में यहां पानी भर जाता है. चूंकि पहले तो मंदिर बनना संभव नहीं था. लेकिन, शारदानंद गिरी उत्थान समिति द्वारा पुनः मंदिर का निर्माण कराया गया. खास बात यह है कि इसमें हनुमान जी का छत्र स्वयं नाग देवता है. संगम तट पर लेटे हनुमानजी हैं तो वहीं, झूसी तट पर नाग देवता के छत्र से सुशोभित बैठे हनुमान जी हैं.
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ब्रह्मचारिणी कनक माता बताती हैं कि मौनी आश्रम लगभग 200 वर्ष पुराना आश्रम है. यहां साधु-संतों और तपस्वियों की परंपरा रही है. ब्रह्मलीन स्वामी शारदानंद जी महाराज इसके संस्थापक रहे हैं. इस मंदिर को पुनः स्थापित करने का उद्देश है कि यहां के निवासियों को नई दिशा मिले. स्वामी जी ने पुराणों का अध्ययन करके इस नागछत्र मंदिर की स्थापना की.
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