प्रयागराज : कोरोना महामारी ने ऐसा वक्त ला दिया है कि लोग रिश्तों की भी अनदेखी करने लगे हैं. ऐसा ही एक मामला प्रयागराज जिले में सामने आया है, जहां पर हाईकोर्ट के ज्वॉइंट रजिस्ट्रार हेम सिंह की कोरोना से मौत होने के बाद अपनों ने अंतिम संस्कार करने तक से इंकार कर दिया. जिसके बाद हेम सिंह के दोस्त चौधरी सिराज अहमद ने इटावा से आकर दोस्ती का फर्ज निभाते हुए हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार किया.
24 अप्रैल को प्रयागराज पहुंचकर सिराज ने हेम सिंह के करीबी रिश्तेदारों को फोन करके अंतिम संस्कार करने को कहा. लेकिन रिश्तेदारों ने अंतिम संस्कार करना तो दूर अर्थी को कंधा देने से भी इंकार कर दिया. इसके बाद सिराज अहमद ने मुस्लिम होने के बावजूद फाफामऊ घाट पर शव ले जाकर लोगों की मदद से अंतिम संस्कार किया. यही नहीं, इस दौरान अंतिम संस्कार से लेकर क्रिया कर्म तक जो भी खर्च हुआ, सब कुछ सिराज ने अपनी जेब से किया.
इकलौती बेटी और पत्नी की हो चुकी है मौत
हेम सिंह की इकलौती बेटी की कई साल पहले तो पत्नी की डेढ़ साल पहले मौत हो चुकी है. इस वक्त उनके करीबी रिश्तेदार प्रयागराज में हैं, जो हमेशा उनसे मिलते जुलते थे. लेकिन उनके कोरोना संक्रमित होने की जानकारी मिलने के साथ ही सब दूर हो गए.
पिछले साल लॉकडाउन में की थी लोगों की मदद
पिछले साल लॉकडाउन में हेम सिंह ने लोगों की खूब मदद की थी. लेकिन उनके अंतिम समय में कोई भी अपना साथ देने नहीं आया. यहां तक कि चार रिश्तेदारों ने मिलकर कंधा भी नहीं दिया.
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पेश की दोस्ती की मिसाल
इटावा के रहने वाले चौधरी सिराज अहमद ने जिस तरह से दोस्ती का फर्ज दोस्त की जिंदगी के साथ भी और जिंदगी के बाद तक निभाया, वह दूसरे लोगों के लिए मिसाल से कम नहीं है. कोरोना की वजह से मरने वालों के परिजन भी इस दौरान कई बार शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए आगे नहीं आते हैं. ऐसे लोगों को सिराज अहमद से सीख लेने की जरूरत है, जिन्होंने महामारी के इस काल में दोस्त का अंतिम संस्कार करने के लिए सैकड़ों किलोमीटर का लंबा सफर तय किया और इटावा से प्रयागराज आकर दोस्त का अंतिम संस्कार किया.