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प्रयागराज: 94 साल के बुजुर्ग को हत्या के आरोप में मिली आजीवन कारावास की सजा निलंबित

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा पाए गोरखपुर के 94 साल के बुजुर्ग की सजा निलंबित करते हुए उसे तत्काल जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है.

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हत्या के आरोप में मिली आजीवन कारावास की सजा निलंबित.
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Published : Mar 31, 2020, 8:36 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा पाए 94 साल के बुजुर्ग कैदी की सजा निलंबित करते हुए उसे तत्काल जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. जिला गोरखपुर थाना शिकरीगंज के सूर्यांश को 24 जनवरी 2020 को अपर जिला एवं सेशन जज एंटी करप्शन गोरखपुर ने सजा सुनाई थी.

सजा के खिलाफ दाखिल अपील पर मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने सुनवाई की. कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन से हाइकोर्ट पूरी तरह से बंद है. इसके बावजूद मुख्य न्यायाधीश ने मामले की गंभीरता और अभियुक्त की अधिक उम्र को देखते हुए उसकी अपील पर तत्काल संज्ञान लेकर सुनवाई की. साथ ही कोर्ट ने सूर्यांश को मात्र पांच हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत पर रिहा करने का भी निर्देश दिया है.

कोर्ट ने मांगी आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट
कोर्ट ने अपर शासकीय अधिवक्ता से आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट एक सप्ताह में मांगी है. थाना शिकरीगंज जिला गोरखपुर में 27 मार्च 1978 को दर्ज हत्या और मारपीट के मुकदमे में निचली अदालत ने 42 साल बाद दोषी करार देते हुए सजा सुनाई थी. इस सजा के खिलाफ अपील दाखिल कर कहा गया कि घटना के समय याची की उम्र लगभग 40 वर्ष थी, आज वह 94 वर्ष का है. इसलिए अपील लंबित रहने के दौरान उसकी सजा पर रोक लगाई जाए तथा उसे जमानत पर रिहा किया जाए.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा पाए 94 साल के बुजुर्ग कैदी की सजा निलंबित करते हुए उसे तत्काल जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. जिला गोरखपुर थाना शिकरीगंज के सूर्यांश को 24 जनवरी 2020 को अपर जिला एवं सेशन जज एंटी करप्शन गोरखपुर ने सजा सुनाई थी.

सजा के खिलाफ दाखिल अपील पर मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने सुनवाई की. कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन से हाइकोर्ट पूरी तरह से बंद है. इसके बावजूद मुख्य न्यायाधीश ने मामले की गंभीरता और अभियुक्त की अधिक उम्र को देखते हुए उसकी अपील पर तत्काल संज्ञान लेकर सुनवाई की. साथ ही कोर्ट ने सूर्यांश को मात्र पांच हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत पर रिहा करने का भी निर्देश दिया है.

कोर्ट ने मांगी आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट
कोर्ट ने अपर शासकीय अधिवक्ता से आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट एक सप्ताह में मांगी है. थाना शिकरीगंज जिला गोरखपुर में 27 मार्च 1978 को दर्ज हत्या और मारपीट के मुकदमे में निचली अदालत ने 42 साल बाद दोषी करार देते हुए सजा सुनाई थी. इस सजा के खिलाफ अपील दाखिल कर कहा गया कि घटना के समय याची की उम्र लगभग 40 वर्ष थी, आज वह 94 वर्ष का है. इसलिए अपील लंबित रहने के दौरान उसकी सजा पर रोक लगाई जाए तथा उसे जमानत पर रिहा किया जाए.

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