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प्रयागराज: पीएम मोदी जिस संस्थान की कर चुके हैं तारीफ, वहां गाय के गोबर से बन रहा मॉस्किटो कॉइल और धूपबत्ती

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Published : Dec 8, 2019, 6:20 AM IST

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में बायोवेद संस्थान में छात्रों को गाय के गोबर से मॉस्किटो कॉइल, अगरबत्ती और धूपबत्ती जैसे तमाम आइटम बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है.

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गाय के गोबर से छात्र बना रहे मॉस्किटो कॉइल और धूपबत्ती.

प्रयागराज: जिले के कौंधियारा स्थित बायोवेद संस्थान में गाय के गोबर और लाख धातु के प्रयोग से मॉस्किटो कॉइल, अगरबत्ती और धूपबत्ती जैसे तमान आइटम बनाए जाते हैं. इन आइटमों की डिमांड उत्तर प्रदेश से लेकर कई प्रदेशों में देखने को मिल रही है. संस्थान के स्टूडेंट्स प्रशिक्षण के समय गाय के गोबर से अलग-अलग आइटम तैयार करते हैं. हैंड मेड मशीनों की मदद से लाभकारी मॉस्किटो कॉइल, धूपबत्ती और हवन सामग्री जैसे तमाम तरह की सामग्री गाय के गोबर से तैयार की जा रही हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस संस्थान की तारीफ कर चुके हैं.

गाय के गोबर से छात्र बना रहे मॉस्किटो कॉइल और धूपबत्ती.

कृषि क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए दी जाती है ट्रेनिंग
प्रयागराज शहर से 45 किलोमीटर दूर बायोवेद इंस्टिट्यूट एंड रिसर्च सेंटर में गाय के गोबर से मॉस्किटो कॉइल, अगरबत्ती, साबुन, हवन सामग्री, गोबर की लकड़ी, एनर्जी केक, गमला जैसे तमाम रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाली चीज बनाई जा रही हैं. इस संस्थान में किसानों और कृषि में कैरियर बनाने वाले छात्रों को ट्रेनिंग दी जाती है.

गोबर से बनाए जाते हैं घरेलू यूज के आइटम
बायोवेद संस्थान तकनीकी सहायक अरविंद कुमार सरोज ने बताया कि गोबर उपयोग किस प्रकार से किया जाए. इसी को ध्यान में रखते हुए गोबर से कई तरह के घरेलू यूज के आइटम बनाए जाते हैं. इसके साथ ही जितने भी लोग इंस्टिट्यूट में विजिट करने आते हैं. वे छात्रों द्वारा तैयार किये गए आइटम को खरीदते हैं.

स्वास्थ्य के लिए है लाभकारी
संस्थान के तकनीकी सहायक अरविंद सरोज ने बताया कि गोबर और लाख धातु के बने मॉस्किटो कॉइल किसी भी तरह से स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है. मार्केट में आने वाले कॉइल में जहरीला रसायन का प्रयोग किया जाता है, जो हानिकारक होता है. गोबर के कॉइल में किसी भी तरह के जहरीले रसायन का प्रयोग नहीं किया जाता है. गोबर के कॉइल से मच्छर मरते नहीं है बल्कि घर से बाहर भाग जाते हैं.

ये भी पढ़ें- प्रयागराज में जोरों पर माघ मेला की तैयारियां, दो जनवरी से होगा शुभारंभ

कई प्रदेशों के छात्र ले रहे हैं ट्रेनिंग
संस्थान के डॉक्टर हिमांशु द्विवेदी ने बताया कि बायोवेद संस्थान में उत्तर प्रदेश के कई जिले के साथ ही अलग-अलग प्रदेशों के छात्र यहां ट्रेनिंग लेते हैं. इस तरह की ट्रेनिंग लेने से छात्र अपने घर पर ही रोजगार का अवसर प्राप्त कर सकता है.

प्रयागराज: जिले के कौंधियारा स्थित बायोवेद संस्थान में गाय के गोबर और लाख धातु के प्रयोग से मॉस्किटो कॉइल, अगरबत्ती और धूपबत्ती जैसे तमान आइटम बनाए जाते हैं. इन आइटमों की डिमांड उत्तर प्रदेश से लेकर कई प्रदेशों में देखने को मिल रही है. संस्थान के स्टूडेंट्स प्रशिक्षण के समय गाय के गोबर से अलग-अलग आइटम तैयार करते हैं. हैंड मेड मशीनों की मदद से लाभकारी मॉस्किटो कॉइल, धूपबत्ती और हवन सामग्री जैसे तमाम तरह की सामग्री गाय के गोबर से तैयार की जा रही हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस संस्थान की तारीफ कर चुके हैं.

गाय के गोबर से छात्र बना रहे मॉस्किटो कॉइल और धूपबत्ती.

कृषि क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए दी जाती है ट्रेनिंग
प्रयागराज शहर से 45 किलोमीटर दूर बायोवेद इंस्टिट्यूट एंड रिसर्च सेंटर में गाय के गोबर से मॉस्किटो कॉइल, अगरबत्ती, साबुन, हवन सामग्री, गोबर की लकड़ी, एनर्जी केक, गमला जैसे तमाम रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाली चीज बनाई जा रही हैं. इस संस्थान में किसानों और कृषि में कैरियर बनाने वाले छात्रों को ट्रेनिंग दी जाती है.

गोबर से बनाए जाते हैं घरेलू यूज के आइटम
बायोवेद संस्थान तकनीकी सहायक अरविंद कुमार सरोज ने बताया कि गोबर उपयोग किस प्रकार से किया जाए. इसी को ध्यान में रखते हुए गोबर से कई तरह के घरेलू यूज के आइटम बनाए जाते हैं. इसके साथ ही जितने भी लोग इंस्टिट्यूट में विजिट करने आते हैं. वे छात्रों द्वारा तैयार किये गए आइटम को खरीदते हैं.

स्वास्थ्य के लिए है लाभकारी
संस्थान के तकनीकी सहायक अरविंद सरोज ने बताया कि गोबर और लाख धातु के बने मॉस्किटो कॉइल किसी भी तरह से स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है. मार्केट में आने वाले कॉइल में जहरीला रसायन का प्रयोग किया जाता है, जो हानिकारक होता है. गोबर के कॉइल में किसी भी तरह के जहरीले रसायन का प्रयोग नहीं किया जाता है. गोबर के कॉइल से मच्छर मरते नहीं है बल्कि घर से बाहर भाग जाते हैं.

ये भी पढ़ें- प्रयागराज में जोरों पर माघ मेला की तैयारियां, दो जनवरी से होगा शुभारंभ

कई प्रदेशों के छात्र ले रहे हैं ट्रेनिंग
संस्थान के डॉक्टर हिमांशु द्विवेदी ने बताया कि बायोवेद संस्थान में उत्तर प्रदेश के कई जिले के साथ ही अलग-अलग प्रदेशों के छात्र यहां ट्रेनिंग लेते हैं. इस तरह की ट्रेनिंग लेने से छात्र अपने घर पर ही रोजगार का अवसर प्राप्त कर सकता है.

Intro:प्रयागराज: पीएम मोदी की पसंद ये संस्था गाय के गोबर से बना रहे हैं मॉस्किटो कोइल और धूपबत्ती, कई प्रदेशों के छात्र ले रहें है ट्रेनिंग 7000668169 स्पेशल रिपोर्ट प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में कौंधियारा स्थित बायोवेद संस्थान में गाय के गोबर और लाख धातु के प्रयोग से मॉस्किटो कोइल, अगरबत्ती और धूपबत्ती जैसे तमान आइटम बनाई जाती है. इन आइटमों की डिमांड उत्तर प्रदेश से लेकर कई प्रदेशों में देखने को मिल रहा है. बायोवेद के स्टूडेंट्स प्रशिक्षण के समय गाय के गोबर से अलग-अलग आइटम तैयार कर रहे हैं. हैंडमेड मशीनों की मदद से लाभकारी मॉस्किटो कोइल,धूपबत्ती और हवन सामग्री जैसे तमान तरह के सामग्री गाय के गोबर से तैयार किया जाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस संस्थान की तारीफ कर चूंके है.


Body:कृषि क्षेत्र में करियर बनाने के लिए छात्रों को दी जाती ट्रेनिंग प्रयागराज शहर से 45 किलोमीटर दूर बायॉवेद इंस्टिट्यूट एंड रिसर्च सेंटर में गाय के गोबर से मॉस्किटो कोइल, अगरबत्ती, साबुन, हवन सामग्री, गोबर की लकड़ी, एनर्जी केक, गमला जैसे तमाम रोज़मर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाली चीज़ बनाई जा रही हैं. इस संस्थान में किसानों और कृषि में कॅरियर बनाने वाले छात्रों को ट्रेनिंग दी जाती है. बायोवेद संस्थान के टेक्निकल असिस्टेंट अरविंद कुमार सरोज ने बताया कि गोबर उपयोग किस प्रकार से किया जाए इसी को ध्यान में रखते हुए गोबर से कई तरह के घरेलू यूज के आइटम बनाया जाता है. इसके साथ ही जिनते भी लोग इंस्टिट्यूट में विजिट करने आते हैं वह छात्रों द्वारा तैयार किये गए आइटम को खरीदते हैं.


Conclusion:स्वास्थ्य के लिए है लाभकारी संस्थान के तकनीकी सहायक अरविंद सरोज ने जानकारी देते हुए बताया कि गोबर और लाख धातु के बने मॉस्किटो कोइल किसी भी तरह से स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है बल्कि स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है. जिस तरह से मार्केट में आने वाले कोइल में जहरीला रसायन का प्रयोग किया जाता है इसलिए वह हानिकारक होता है. गोबर से बने कोइल में किसी भी तरह के जहरीले रसायन का प्रयोग नहीं किया जाता है. गोबर से बने कोइल से मच्छर मरते नहीं है बल्कि घर बाहर भाग जाते हैं. कई प्रदेशों के छात्र ले रहे हैं ट्रेनिंग संस्थान के डॉक्टर हिमांशू द्विवेदी ने बताया कि बायोवेद संस्थान में उत्तर प्रदेश के कई जिले के साथ ही अलग-अलग प्रदेशों के छात्र यहां ट्रेनिंग लेते हैं. इस तरह के ट्रेनिंग लेने से छात्र अपने घर मे ही रोजगार का अवसर प्राप्त कर सकता है. बाईट-1- अरविंद सरोज, तकनीकी सहायक बाईट-2- डॉक्टर हिमांशू द्विवेदी, रिसर्चर बीओवेद संस्थान
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