प्रयागराजः धार्मिक और आस्था की नगरी प्रयागराज का नाम पूरे विश्व मे विख्यात है. यही संगम की मिट्टी से जुड़े अपना घर द्वार 35 वर्ष पहले छोड़ चुके ऊँ नमः शिवाय रोज लगभग 1 लाख लोगों को भोजन करा रहे हैं. कुंभ और माघ मेले के अलावा आम दिनों में भी कोई भूखा न सोये इसका संकल्प लिए हुए ऊँ नमः शिवाय 24 घंटे भोले का भंडारा चलाते हैं. ऊँ नमः शिवाय बताते हैं कि वह लोगों से एक-एक मुट्ठी अनाज दान करने के लिए प्रेरित करते हैं. इसी एक-एक मुट्ठी अनाज से वह भंडारा चलाते औंर रोज हजारों लोग भोजन करते हैं. उन्होंने बताया कि कढ़ाई में एक बार में 40 कुंटल भोजन 5 सौ स्वयंसेवक मिलकर बनाते हैं.
माघ मेले के शुरुआत होते ही आने वाले कल्पवासियों की भोजन के लिए भोले का भंडारा शुरू हो जाता है. इस भंडारे में संस्था के लोग रास्ते मे गुजर रहे श्रद्धालुओं और आम लोगों को बाकायदा आग्रह करके बुलाकर भोजन कराते हैं. भोले का भंडारा संस्था के संचालक ऊं नमः शिवाय ने बताया कि 35 वर्ष पहले अपने घर के साथ अपना नाम भी छोड़ आया हूं. तभी से इस कार्य को अंजाम दे रहे हैं. संस्था के स्वयंसेवक पूरे मेला छेत्र में हर सेक्टरों में सक्रिय रहते हैं. हर सेक्टरों में भंडारे का एक केंद्र रहता है. इस भंडारे में अलग-अलग समय में सब्जी पूड़ी, सब्जी, छोला भटूरा, कढ़ी चावल, दाल चावल, रायता, गुलाब जामुन रोज परोसा जाता है. इसके लिए किसी से कोई चंदा नहीं लिया जाता है. जो स्वेछा से दे दिया वह ले लिया जाता है. ओम नमः शिवाय का कहना है कि अगर हर व्यक्ति परिवार के साथ भोजन करते समय एक मुट्ठी उन भूखे और असहाय के लिए निकाले तो मुट्ठी-मुट्ठी अनाज एक विशाल रूप धारण कर लेता है.
संस्था के दो करोड़ अनुयायी
संस्था में स्वंय का कहना है कि यहां आने वाले हर व्यक्ति हमारे लिए भगवान होता है. जिनकी सेवा कर हम पुण्य को प्राप्त करते हैं. ये संस्था गरीब असहाय संत महात्माओं श्रद्धालुओं को भोजन कराती है. आम दिनों के मेले में 2 से ढाई लाख लोगों को भोजन कराते थे. इस समय भोजन करने वालो की संख्या 1 लगभग हो गई है. पूरे कोरोना काल मे शहर के 8 थानों पर 30 से 35 हजार लोगों को भोजन कराया. प्रयागराज, लखनऊ, कानपुर से जितनी ट्रेने गुजरी उन भूखे यात्रियों को भोजन कराने का काम किया. इस संस्था में 2 करोड़ अनुयायी हैं. हर भक्त अपनी स्वेछा से एक एक मुट्ठी अनाज देते हैं तब जाकर इतना बड़ा भंडारा चलता है.