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High Court: 11 माह की बच्ची से दुराचार के अभियुक्त की उम्रकैद की सजा बरकरार

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 11 माह की बच्ची के साथ दुराचार करने वाले अभियुक्त की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी है.

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11 माह की बच्ची के साथ दुराचार करने वाले को कोई राहत नहीं - हाईकोर्ट ने खारिज की अपील, उम्र कैद की सजा बरकरार
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Published : Jul 15, 2022, 9:14 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 11 माह की बच्ची से दुराचार करने वाले अभियुक्त को कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया है. न्यायालय ने उसकी अपील को खारिज करते हुए उसको सत्र अदालत द्वारा सुनाई गई उम्रकैद की सजा बरकरार रखी है.

यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने अभियुक्त श्रवण कुमार मौर्या की अपील पर दिया. मामले में सीतापुर जनपद के मछरेटा थाने में बच्ची के पिता ने 19 मार्च 2006 को एफआईआर दर्ज कराई थी. एफआईआर में कहा गया कि घटना के दिन उसकी बेटी घर के बाहर चबूतरे पर खेल रही थी. इसी दौरान अभियुक्त उसे टॉफी दिलाने का बहानाकर फूस के बने घर में ले गया था. वहां उसने बच्ची से दुष्कर्म किया था. बच्ची का रोना सुनकर वादी, पत्नी, साला तथा गांव के अन्य लोग भागकर अभियुक्त के घर पहुंचे थे. वहां से वह भाग गया था.

बच्ची वहीं पड़ी हुई थी व उसकी हालत काफी गंभीर थी. अभियुक्त की ओर से दलील दी गई कि उसे झूठा फंसाया गया है. कहा गया कि गवाह शरदेंदु दीक्षित उससे अपने खेत में काम करवाना चाहता था लेकिन उसने इनकार कर दिया था, इसी वजह से उसे इस मामले में झूठा फंसाया गया है.

यह भी दलील दी गई कि अभियोजन के मुताबिक बच्ची काफी गंभीर अवस्था में थी लेकिन उसे छह घंटे बाद अस्पताल ले जाया गया. दलील दी गई कि इतनी छोटी बच्ची ऐसी गंभीर अवस्था में सर्वाइव नहीं कर सकती. हालांकि न्यायालय ने अपीलार्थी की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि मेडिकल रिपोर्ट और डॉक्टरों के बयानों से बच्ची के साथ दुष्कर्म की पुष्टि होती है. साथ ही घटना के चश्मदीदों ने अभियुक्त की संलिप्तता को पुष्ट किया है.
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लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 11 माह की बच्ची से दुराचार करने वाले अभियुक्त को कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया है. न्यायालय ने उसकी अपील को खारिज करते हुए उसको सत्र अदालत द्वारा सुनाई गई उम्रकैद की सजा बरकरार रखी है.

यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने अभियुक्त श्रवण कुमार मौर्या की अपील पर दिया. मामले में सीतापुर जनपद के मछरेटा थाने में बच्ची के पिता ने 19 मार्च 2006 को एफआईआर दर्ज कराई थी. एफआईआर में कहा गया कि घटना के दिन उसकी बेटी घर के बाहर चबूतरे पर खेल रही थी. इसी दौरान अभियुक्त उसे टॉफी दिलाने का बहानाकर फूस के बने घर में ले गया था. वहां उसने बच्ची से दुष्कर्म किया था. बच्ची का रोना सुनकर वादी, पत्नी, साला तथा गांव के अन्य लोग भागकर अभियुक्त के घर पहुंचे थे. वहां से वह भाग गया था.

बच्ची वहीं पड़ी हुई थी व उसकी हालत काफी गंभीर थी. अभियुक्त की ओर से दलील दी गई कि उसे झूठा फंसाया गया है. कहा गया कि गवाह शरदेंदु दीक्षित उससे अपने खेत में काम करवाना चाहता था लेकिन उसने इनकार कर दिया था, इसी वजह से उसे इस मामले में झूठा फंसाया गया है.

यह भी दलील दी गई कि अभियोजन के मुताबिक बच्ची काफी गंभीर अवस्था में थी लेकिन उसे छह घंटे बाद अस्पताल ले जाया गया. दलील दी गई कि इतनी छोटी बच्ची ऐसी गंभीर अवस्था में सर्वाइव नहीं कर सकती. हालांकि न्यायालय ने अपीलार्थी की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि मेडिकल रिपोर्ट और डॉक्टरों के बयानों से बच्ची के साथ दुष्कर्म की पुष्टि होती है. साथ ही घटना के चश्मदीदों ने अभियुक्त की संलिप्तता को पुष्ट किया है.
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