प्रयागराज: हिंदू पंचांग के अनुसार साल का आठवां महीना कार्तिक होता है. पुराणों में कार्तिक मास को स्नान, व्रत और तप की दृष्टि से मोक्ष प्रदान करने वाला बताया गया है. इस बार कार्तिक मास का स्नान 1 नवम्बर से शुरू हो गया है. पूरे माह स्नान, दान, दीपदान, तुलसी विवाह, कार्तिक कथा का माहात्म्य आदि सुनते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है और पापों का नाश होता है. पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति इस माह में स्नान, दान और व्रत करते हैं, उनके पापों का अन्त हो जाता है.
कार्तिक माह में स्नान और दान का महत्व
धार्मिक कार्यों के लिए यह माह सर्वश्रेष्ठ माना गया है. आश्विन शुक्ल पक्ष से कार्तिक शुक्ल पक्ष तक पवित्र यमुना नदी में स्नान-ध्यान करना श्रेष्ठ माना गया है. श्रद्धालु यमुना नदी में सुबह- सवेरे स्नान करते हैं. जो लोग यमुना में स्नान नहीं कर पाते, वे सुबह अपने घर में स्नान और पूजा पाठ करते हैं. कार्तिक माह में मंदिरों में दीप जलाने तथा प्रकाश करने का अत्यधिक महत्व माना गया है. मान्यता है कि इस माह में भगवान विष्णु का पुष्पों से अभिनन्दन करना चाहिए. ऐसा करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य मिलता है. कर्तिक माह की षष्ठी को कार्तिकेय व्रत का अनुष्ठान किया जाता है. कहा जाता है कि इस दिन अपनी क्षमतानुसार किसी भी जरूरतमंद व्यक्ति को दान भी करना चाहिए.
कार्तिक स्नान पूजा
पुराणों के अनुसार कार्तिक मास में सुबह स्नान करने के पश्चात राधा-कृष्ण, तुलसी, पीपल, आंवले आदि का पूजन करना चाहिए. माना जाता है कि कार्तिक माह में सूर्य तथा चन्द्रमा की किरणों का प्रभाव मनुष्य पर अनुकूल पडता है. यह किरणें मनुष्य के मन तथा मस्तिष्क को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है.