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97वीं जयंती पर कर्पूरी ठाकुर को दी गई श्रद्धांजलि

समाजवादी चिंतक कर्पूरी ठाकुर की 97वीं जयंती के मौके पर प्रयागराज के करछना में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें लोगों ने उन्हें श्रद्धाजंलि दी.

कर्पूरी ठाकुर की मनाई गई 97वी जयंती
कर्पूरी ठाकुर की मनाई गई 97वी जयंती
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Published : Jan 25, 2021, 8:51 AM IST

प्रयागराज: जिले के करछना क्षेत्र में रेलवे ओवर ब्रिज के नीचे चंद्रिका भवन हरदुआ में ऑल इंडिया महापद्मनंद कम्युनिटी एजुकेटेड एसोसिएशन की तरफ से बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की 97वीं जयंती के मौके पर रविवार को करछना में बड़े धूम से मनाई गई. इस दौरान पदाधिकारियों ने दीप प्रज्जलित कर उनके चित्र पर पुष्प अर्पण कर उनके योगदान को याद किया.

कार्यक्रम का संचालन कर रहे सुनील शर्मा ने कहा कि जननायक कर्पूरी ठाकुर बिहार के एक ऐसे सीएम के रूप में जाने जाते हैं जिनके उपर पदों का प्रभाव कभी हावी नहीं हो सका. जब देश आजादी के लिए लड़ रहा था उस समय बिहार जातिवाद की दंश झेल रहा था. इससे आजादी हासिल करना भी बिहार का एक बड़ा उद्देश्य बन चुका था. बिहार को आगे ले जाने के लिए एक जननायक ने इस माटी में जन्म लिया, जिन्हें कर्पूरी ठाकुर के नाम से जाना गया.

बिहार विधानसभा का चुनाव कभी नहीं हारे
मंडल प्रभारी आदित्य नारायण सेन ने कहा कि 24 जनवरी 1924 को समस्तीपुर के पितौंझिया (कर्पूरीग्राम) में जन्मे कर्पूरी ठाकुर एक बार बिहार के उप-मुख्यमंत्री और बार मुख्यमंत्री रहे. इसके साथ ही कई सालों तक वे विधायक और विरोधी दल के नेता रहे. 1952 की पहली विधानसभा में चुनाव जीतने के बाद वे बिहार विधानसभा का चुनाव कभी नहीं हारे. राजनीति में इतना लंबा सफर बिताने के बाद जब वो मरे तो अपने परिवार को विरासत में देने के लिए एक मकान तक उनके नाम नहीं था.

कर्पूरी ठाकुर की ईमानदारी किस्से आज भी मशहूर

उन्होंने बताय कि उनकी ईमानदारी के कई किस्से आज भी बिहार में सुनने को मिलते हैं. उनसे जुड़े कुछ लोग बताते हैं कि कर्पूरी ठाकुर राज्य के मुख्यमंत्री थे तो उनके बहनोई उनके पास नौकरी के लिए गए थे. उनकी बात सुनकर कर्पूरी ठाकुर गंभीर हो गए. उसके बाद अपनी जेब से पचास रुपये निकालकर उन्हें दिए और कहा, जाइए, उस्तरा आदि खरीद लीजिए और अपना पुश्तैनी काम शुरू कीजिए.

मुख्यमंत्री बनने के बाद बेटे को लिखते थे खत

कर्पूरी ठाकुर जीतनी बार उपमुख्यमंत्री या फिर मुख्यमंत्री बने अपने बेटे रामनाथ को खत लिखना नहीं भूला. इस खत में तीन ही बातें लिखी होती थीं, तुम इससे प्रभावित नहीं होना. कोई लोभ लालच देगा, तो उस लोभ में मत आना. मेरी बदनामी होगी. रामनाथ ठाकुर इन दिनों भले राजनीति में हैं, लेकिन कर्पूरी ठाकुर ने अपने जीवन में उन्हें राजनीतिक तौर पर आगे बढ़ाने का काम नहीं किया.

कार्यक्रम में ये लोग रहे मौजूद

वहीं इस कार्यक्रम में आदित्य नारायण सेन, धर्मेंद्र कुमार शर्मा, अर्चना बृजेश कुमार, सचिव मोहनलाल शर्मा, डॉक्टर लक्ष्मीकांत शर्मा, शिवदास शर्मा, गिरीश कुमार शर्मा, अयोध्या सिंह, डॉ. अश्वनी कुमार सिंह, चंद्रिका प्रसाद शर्मा, एडवोकेट बीके शर्मा, ओम प्रकाश, रामनाथ शर्मा, रामजी, सविता देवेंद्र कुमार शर्मा, राम बहादुर शर्मा, कृपाशंकर सेन, आदि लोग उपस्थित रहे.

प्रयागराज: जिले के करछना क्षेत्र में रेलवे ओवर ब्रिज के नीचे चंद्रिका भवन हरदुआ में ऑल इंडिया महापद्मनंद कम्युनिटी एजुकेटेड एसोसिएशन की तरफ से बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की 97वीं जयंती के मौके पर रविवार को करछना में बड़े धूम से मनाई गई. इस दौरान पदाधिकारियों ने दीप प्रज्जलित कर उनके चित्र पर पुष्प अर्पण कर उनके योगदान को याद किया.

कार्यक्रम का संचालन कर रहे सुनील शर्मा ने कहा कि जननायक कर्पूरी ठाकुर बिहार के एक ऐसे सीएम के रूप में जाने जाते हैं जिनके उपर पदों का प्रभाव कभी हावी नहीं हो सका. जब देश आजादी के लिए लड़ रहा था उस समय बिहार जातिवाद की दंश झेल रहा था. इससे आजादी हासिल करना भी बिहार का एक बड़ा उद्देश्य बन चुका था. बिहार को आगे ले जाने के लिए एक जननायक ने इस माटी में जन्म लिया, जिन्हें कर्पूरी ठाकुर के नाम से जाना गया.

बिहार विधानसभा का चुनाव कभी नहीं हारे
मंडल प्रभारी आदित्य नारायण सेन ने कहा कि 24 जनवरी 1924 को समस्तीपुर के पितौंझिया (कर्पूरीग्राम) में जन्मे कर्पूरी ठाकुर एक बार बिहार के उप-मुख्यमंत्री और बार मुख्यमंत्री रहे. इसके साथ ही कई सालों तक वे विधायक और विरोधी दल के नेता रहे. 1952 की पहली विधानसभा में चुनाव जीतने के बाद वे बिहार विधानसभा का चुनाव कभी नहीं हारे. राजनीति में इतना लंबा सफर बिताने के बाद जब वो मरे तो अपने परिवार को विरासत में देने के लिए एक मकान तक उनके नाम नहीं था.

कर्पूरी ठाकुर की ईमानदारी किस्से आज भी मशहूर

उन्होंने बताय कि उनकी ईमानदारी के कई किस्से आज भी बिहार में सुनने को मिलते हैं. उनसे जुड़े कुछ लोग बताते हैं कि कर्पूरी ठाकुर राज्य के मुख्यमंत्री थे तो उनके बहनोई उनके पास नौकरी के लिए गए थे. उनकी बात सुनकर कर्पूरी ठाकुर गंभीर हो गए. उसके बाद अपनी जेब से पचास रुपये निकालकर उन्हें दिए और कहा, जाइए, उस्तरा आदि खरीद लीजिए और अपना पुश्तैनी काम शुरू कीजिए.

मुख्यमंत्री बनने के बाद बेटे को लिखते थे खत

कर्पूरी ठाकुर जीतनी बार उपमुख्यमंत्री या फिर मुख्यमंत्री बने अपने बेटे रामनाथ को खत लिखना नहीं भूला. इस खत में तीन ही बातें लिखी होती थीं, तुम इससे प्रभावित नहीं होना. कोई लोभ लालच देगा, तो उस लोभ में मत आना. मेरी बदनामी होगी. रामनाथ ठाकुर इन दिनों भले राजनीति में हैं, लेकिन कर्पूरी ठाकुर ने अपने जीवन में उन्हें राजनीतिक तौर पर आगे बढ़ाने का काम नहीं किया.

कार्यक्रम में ये लोग रहे मौजूद

वहीं इस कार्यक्रम में आदित्य नारायण सेन, धर्मेंद्र कुमार शर्मा, अर्चना बृजेश कुमार, सचिव मोहनलाल शर्मा, डॉक्टर लक्ष्मीकांत शर्मा, शिवदास शर्मा, गिरीश कुमार शर्मा, अयोध्या सिंह, डॉ. अश्वनी कुमार सिंह, चंद्रिका प्रसाद शर्मा, एडवोकेट बीके शर्मा, ओम प्रकाश, रामनाथ शर्मा, रामजी, सविता देवेंद्र कुमार शर्मा, राम बहादुर शर्मा, कृपाशंकर सेन, आदि लोग उपस्थित रहे.

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