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कालिंदी महोत्सव: मां यमुना में दीप जलाकर श्रद्धालु करेंगे कोरोना के समूल नाश के लिए प्रार्थना - kalindi mahotsav organized in prayagraj

प्रयागराज में यमुना किनारे मौजगिरी घाट पर जूना अखाड़ा के संतों द्वारा कालिंदी महोत्सव का आयोजन किया जाता है. इस आयोजन में घाटों को आकर्षक तरीके से दीपों से सजाया जाता है और फिर श्रद्धालु यहां यमुना में दीपदान करते हैं. इसमें दीपदान के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होता है.

कालिंदी महोत्सव
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Published : Nov 14, 2021, 12:06 PM IST

प्रयागराज: देवोत्थानी एकादशी की पूर्व संध्या पर प्रयागराज में कालिंदी महोत्सव का आयोजन किया जाता है. सोमवार को होने वाली देवोत्थान एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार माह के शयन के बाद जागेंगे. इसकी पूर्व संध्या पर रविवार की रात यमुना किनारे बाबा मौजगिरी घाट पर जूना अखाड़ा की तरफ से कालिंदी महोत्सव के दौरान दीपदान कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. इस साल कालिंदी महोत्सव में हजारों दीपों से दीपदान किया जाएगा. साथ ही कोरोना के समूल नाश के लिए माता यमुना और भगवान से प्रार्थना की जाएगी. इसके अलावा कोरोना से मरने वालों की आत्मा की शांति के लिए भी प्रार्थना की जाएगी.

प्रयागराज में यमुना किनारे मौजगिरी घाट पर जूना अखाड़ा के संतों द्वारा कालिंदी महोत्सव का आयोजन किया जाता है. इस आयोजन में घाटों को आकर्षक तरीके से दीपों से सजाया जाता है और फिर श्रद्धालु यहां यमुना में दीपदान करते हैं. इसमें दीपदान के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होता है. जूना अखाड़ा और दत्तात्रेय सेवा समिति की तरफ से आयोजित इस कार्यक्रम में सभी अखाड़ों को भी दीपदान में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है.

जानकारी देते महंत चेतन पुरी.
कार्तिक माह में यमुना में दीपदान का विशेष महत्व
कार्तिक माह यमुना नदी में दीपदान करना विशेष फलदायी होता है. यही वजह है कि प्रयागराज में पूरे कार्तिक माह के दौरान श्रद्धालु यमुना नदी में सुबह स्नान करने के बाद शाम को दीपदान करते हैं. पिछले कई सालों से यमुना किनारे मौजगिरी घाट पर कालिंदी महोत्सव का आयोजन किया जाता है.
कालिंदी महोत्सव की तैयारी.
कालिंदी महोत्सव की तैयारी.
सोमवार को है देवोत्थानी एकादशी
हिन्दू धर्म में हर पर्व और त्यौहार का अलग महत्व है, लेकिन दो पर्व ऐसे होते हैं, जिनसे सनातन धर्म में वर्ष भर के शुभ और मांगलिक कार्यों के लिए शुभ और अशुभ समयावधि को निर्धारित किया जाता है. ये पर्व हैं देवशयनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी. आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है तथा कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को देव उठनी या फिर प्रबोधनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. प्रत्येक वर्ष देवशयनी एकादशी के बाद से सभी मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाता है, तो वहीं दूसरी ओर देवोत्थान एकादशी के बाद शुभ और मांगलिक कार्यों का दौर शुरू हो जाता है. इसलिए हिन्दू पंचांग के अनुसार इस दिन को विशेष माना जाता है.
कालिंदी महोत्सव की तैयारी.
कालिंदी महोत्सव की तैयारी.

मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री हरि विष्णु आषाढ़ शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि को क्षीरसागर में विश्राम करने के लिए चले जाते हैं. श्री हरि विष्णु लगभग चार माह तक योग निद्रा में विश्राम करने के बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी अर्थात देवोत्थान एकादशी के दिन निद्रा से जागते हैं. भगवान श्री हरि विष्णु के योग निद्रा से जागने के बाद ही शुभ और मांगलिक कार्यक्रम जैसे मुंडन, शादी, नामकरण आदि शुरू हो जाते हैं.

इसे भी पढ़ें- सूर्य देव की कृपा से आज इन राशि वाले लोगों की चमकेगी किस्मत

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प्रयागराज: देवोत्थानी एकादशी की पूर्व संध्या पर प्रयागराज में कालिंदी महोत्सव का आयोजन किया जाता है. सोमवार को होने वाली देवोत्थान एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार माह के शयन के बाद जागेंगे. इसकी पूर्व संध्या पर रविवार की रात यमुना किनारे बाबा मौजगिरी घाट पर जूना अखाड़ा की तरफ से कालिंदी महोत्सव के दौरान दीपदान कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. इस साल कालिंदी महोत्सव में हजारों दीपों से दीपदान किया जाएगा. साथ ही कोरोना के समूल नाश के लिए माता यमुना और भगवान से प्रार्थना की जाएगी. इसके अलावा कोरोना से मरने वालों की आत्मा की शांति के लिए भी प्रार्थना की जाएगी.

प्रयागराज में यमुना किनारे मौजगिरी घाट पर जूना अखाड़ा के संतों द्वारा कालिंदी महोत्सव का आयोजन किया जाता है. इस आयोजन में घाटों को आकर्षक तरीके से दीपों से सजाया जाता है और फिर श्रद्धालु यहां यमुना में दीपदान करते हैं. इसमें दीपदान के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होता है. जूना अखाड़ा और दत्तात्रेय सेवा समिति की तरफ से आयोजित इस कार्यक्रम में सभी अखाड़ों को भी दीपदान में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है.

जानकारी देते महंत चेतन पुरी.
कार्तिक माह में यमुना में दीपदान का विशेष महत्व
कार्तिक माह यमुना नदी में दीपदान करना विशेष फलदायी होता है. यही वजह है कि प्रयागराज में पूरे कार्तिक माह के दौरान श्रद्धालु यमुना नदी में सुबह स्नान करने के बाद शाम को दीपदान करते हैं. पिछले कई सालों से यमुना किनारे मौजगिरी घाट पर कालिंदी महोत्सव का आयोजन किया जाता है.
कालिंदी महोत्सव की तैयारी.
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सोमवार को है देवोत्थानी एकादशी
हिन्दू धर्म में हर पर्व और त्यौहार का अलग महत्व है, लेकिन दो पर्व ऐसे होते हैं, जिनसे सनातन धर्म में वर्ष भर के शुभ और मांगलिक कार्यों के लिए शुभ और अशुभ समयावधि को निर्धारित किया जाता है. ये पर्व हैं देवशयनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी. आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है तथा कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को देव उठनी या फिर प्रबोधनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. प्रत्येक वर्ष देवशयनी एकादशी के बाद से सभी मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाता है, तो वहीं दूसरी ओर देवोत्थान एकादशी के बाद शुभ और मांगलिक कार्यों का दौर शुरू हो जाता है. इसलिए हिन्दू पंचांग के अनुसार इस दिन को विशेष माना जाता है.
कालिंदी महोत्सव की तैयारी.
कालिंदी महोत्सव की तैयारी.

मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री हरि विष्णु आषाढ़ शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि को क्षीरसागर में विश्राम करने के लिए चले जाते हैं. श्री हरि विष्णु लगभग चार माह तक योग निद्रा में विश्राम करने के बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी अर्थात देवोत्थान एकादशी के दिन निद्रा से जागते हैं. भगवान श्री हरि विष्णु के योग निद्रा से जागने के बाद ही शुभ और मांगलिक कार्यक्रम जैसे मुंडन, शादी, नामकरण आदि शुरू हो जाते हैं.

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