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नोबेल पुरस्कार विजेता से मिलने के लिए करना पड़ा 50 साल इंतजारः कैलाश सत्यार्थी - नोबेल पुरुस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में नोबेल पुरुस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी पहुंचे. इलाहाबाद विश्वविद्यालय दीक्षांत समारोह में आयोजित कार्यक्रम में कैलाश सत्यार्थी ने शिरकत की. इस दौरान उन्होंने अपने अनुभवों को साझा किया.

नोबेल पुरुस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी प्रयागराज पहुंचे
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Published : Sep 6, 2019, 12:39 PM IST

प्रयागराज: नोबेल पुरुस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी को बचपन से इच्छा थी कि किसी नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त व्यक्ति से मिले और उसके साथ एक फोटो खिंच जाए . इसके लिए उन्होंने 50 साल तक इंतजार किया. उन्होंने यह बातें शुक्रवार प्रयागराज में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के दौरान बताई. उन्होंने कहा कि उन्हें जर्मनी में दलाई लामा से मिलने का मौका मिला, उनसे मिलने के बाद मैं चाहता था कि मेरी एक फोटो हो जाए लेकिन मेरे पास कोई फोटोग्राफर नहीं था और उन्होंने जब मुझे छुआ तो मुझे लगा कि मुझे सब कुछ मिल गया.

नोबेल पुरुस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी प्रयागराज पहुंचे
युवा खुद अंदर राजनेता और हीरों को ढूढेंजब भी मैं छात्रों के बीच जाता हूं उन्हें अपने हाथों से डिग्रियां देता हूं या फिर गले लगाता हूं. तब मैं अपने आप को 8 से 10 साल की उम्र में जा कर देखता हूं तो मुझे लगता है कि यह मौका इन लोगों को नहीं खोने देना चाहिए. ऐसा मौका इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आयोजित हुए 22 वर्ष के बाद दीक्षांत समारोह में मिला. हर युवा को अपने अंदर एक आक्रोश पालना चाहिए. यह आक्रोश उन्हें किसी से बदला लेने के लिए नहीं बल्कि समाज में कुछ कर दिखाने के लिए होना चाहिये.

युवाओं से अपील करता हूं कि युवा छोटे दायरे में रह के काम न करें. इससे सफलता और दायरा बिल्कुल सीमित हो जाता है. वह अपने दायरे और कर्म का विस्तार करें जिससे समाज में एक परिवर्तन आए. युवा राजनेता, हीरो या अन्य किसी के पीछे न भागे बल्कि उस हीरो या राजनेता की छवि अपने अंदर ढूंढे क्योंकि हर व्यक्ति के अंदर राजनेता और महान व्यक्तित्व छिपा होता है.

युवाओं के लिए हंड्रेड मिलियन टू हंड्रेड मिलियन अभियान का शुभांरभ

युवाओं के लिए कैलाश सत्यार्थी द्वारा शुरू किए गए हंड्रेड मिलियन टू हंड्रेड मिलियन अभियान पिछले डेढ़ सालों में 35 देशों में फैल चुका है. इस समय 10 करोड़ ऐसे युवा हैं जो यौन शोषण और हिंसा के शिकार हैं. आज 25 वर्ष से कम की आयु के तीन अरब युवा है. इसमें सैकड़ों करोड़ ऐसे है जो चाहते है उन्हें मौका मिले तो दुनिया के बेहतरी के लिए कुछ कर सके. हमे लगता है कि ऐसे लोगो का संम्मान करना चाहिए.

प्रयागराज: नोबेल पुरुस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी को बचपन से इच्छा थी कि किसी नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त व्यक्ति से मिले और उसके साथ एक फोटो खिंच जाए . इसके लिए उन्होंने 50 साल तक इंतजार किया. उन्होंने यह बातें शुक्रवार प्रयागराज में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के दौरान बताई. उन्होंने कहा कि उन्हें जर्मनी में दलाई लामा से मिलने का मौका मिला, उनसे मिलने के बाद मैं चाहता था कि मेरी एक फोटो हो जाए लेकिन मेरे पास कोई फोटोग्राफर नहीं था और उन्होंने जब मुझे छुआ तो मुझे लगा कि मुझे सब कुछ मिल गया.

नोबेल पुरुस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी प्रयागराज पहुंचे
युवा खुद अंदर राजनेता और हीरों को ढूढेंजब भी मैं छात्रों के बीच जाता हूं उन्हें अपने हाथों से डिग्रियां देता हूं या फिर गले लगाता हूं. तब मैं अपने आप को 8 से 10 साल की उम्र में जा कर देखता हूं तो मुझे लगता है कि यह मौका इन लोगों को नहीं खोने देना चाहिए. ऐसा मौका इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आयोजित हुए 22 वर्ष के बाद दीक्षांत समारोह में मिला. हर युवा को अपने अंदर एक आक्रोश पालना चाहिए. यह आक्रोश उन्हें किसी से बदला लेने के लिए नहीं बल्कि समाज में कुछ कर दिखाने के लिए होना चाहिये.

युवाओं से अपील करता हूं कि युवा छोटे दायरे में रह के काम न करें. इससे सफलता और दायरा बिल्कुल सीमित हो जाता है. वह अपने दायरे और कर्म का विस्तार करें जिससे समाज में एक परिवर्तन आए. युवा राजनेता, हीरो या अन्य किसी के पीछे न भागे बल्कि उस हीरो या राजनेता की छवि अपने अंदर ढूंढे क्योंकि हर व्यक्ति के अंदर राजनेता और महान व्यक्तित्व छिपा होता है.

युवाओं के लिए हंड्रेड मिलियन टू हंड्रेड मिलियन अभियान का शुभांरभ

युवाओं के लिए कैलाश सत्यार्थी द्वारा शुरू किए गए हंड्रेड मिलियन टू हंड्रेड मिलियन अभियान पिछले डेढ़ सालों में 35 देशों में फैल चुका है. इस समय 10 करोड़ ऐसे युवा हैं जो यौन शोषण और हिंसा के शिकार हैं. आज 25 वर्ष से कम की आयु के तीन अरब युवा है. इसमें सैकड़ों करोड़ ऐसे है जो चाहते है उन्हें मौका मिले तो दुनिया के बेहतरी के लिए कुछ कर सके. हमे लगता है कि ऐसे लोगो का संम्मान करना चाहिए.

Intro:नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी को बचपन से इच्छा थी कि वह किसी नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त व्यक्ति से मिले और कम से कम उसके साथ एक फोटो खिंचवाई तो जीवन धन्य हो जाता इसके लिए उन्होंने 50 साल तक इंतजार किया जब उन्हें जर्मनी में दलाई लामा से मिलने का मौका मिला उन्होंने यह बातें आज प्रयागराज में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के दौरान एक बातचीत में बताइ। उन्होंने कहा कि उनसे मिलने के बाद मैं चाहता था कि मेरी एक फोटो हो जाए लेकिन मेरे पास कोई फोटोग्राफर नहीं था लेकिन उन्होंने जब मुझे छुआ तो मुझे लगा कि मुझे सब कुछ मिल गया।


Body:आगे उन्होंने कहा कि आज जब भी मैं छात्रों के बीच जाता हूं उन्हें अपने हाथों से डिग्रियां देता हूं या फिर गले लगाता हूं और फिर मैं अपने आप को 8 से 10 साल की उम्र में जा कर देखता हूं तो मुझे लगता है कि यह मौका इन लोगों को नहीं खोने देना चाहिए। आज ऐसा मौका इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आयोजित हुए 22 वर्ष के बाद दीक्षांत समारोह में मिला। उन्होंने कहा कि हर युवा को अपने अंदर एक आक्रोश पालना चाहिए यह आक्रोश उन्हें किसी से बदला लेने के लिए नहीं बल्कि समाज में कुछ कर दिखाने के लिए होना चाहिये। उन्होंने युवाओं से अपील करते हुए बातचीत में कहा कि युवा छोटे दायरे में रह के काम ना करें इससे सफलता और दायरा बिल्कुल सीमित हो जाता है वह अपने दायरे और कर्म का विस्तार करें जिससे समाज में एक परिवर्तन आए। बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि युवा आज राजनेता हीरो या अन्य किसी के पीछे न भागे बल्कि उस हीरो या राजनेता की छवि अपने अंदर ढूंढे क्योंकि हर व्यक्ति के अंदर राजनेता और महान व्यक्तित्व छिपा होता है।


Conclusion:युवाओं के लिए कैलाश सत्यार्थी द्वारा शुरू किए गए हंड्रेड मिलियन टू हंड्रेड मिलियन अभियान की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि यह अभियान पिछले डेढ़ सालों में 35 देशों में फैल चुका है। इस समय 10 करोड़ ऐसे युवा हैं जो यौन शोषण और हिंसा के शिकार हैं। आज 25 वर्ष से कम की आयु के तीन अरब युवा है और इसमें सैकड़ों करोड़ ऐसे है जो चाहते है उन्हें मौका मिले तो दुनिया के बेहतरी के लिए कुछ कर सके हमे लगता है कि ऐसे लोगो का संम्मान करना चाहिए। बाईट: कैलाश सत्यार्थी नोबल पुरस्कार विजेता प्रवीण मिश्र प्रयागराज।
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