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हाईकोर्ट का आदेश, डीआईओएस जौनपुर के खिलाफ प्रमुख सचिव करें कार्रवाई

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Published : Nov 28, 2022, 9:34 PM IST

हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव को डीआईओएस जौनपुर पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए है. आरोप है कि बार-बार समय देने के बावजूद अदालत में जवाब दाखिल नहीं किया था.

हाईकोर्ट
हाईकोर्ट

प्रयागराज: अनुकंपा नियुक्ति के एक मामले में हाई कोर्ट में तलब डीआईओएस जौनपुर तक कोर्ट का आदेश नहीं पहुंचने के मामले को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए प्रमुख सचिव शासन को डीआईओएस के संबंध में दी गई जांच रिपोर्ट के आधार पर निर्णय लेने और उचित कार्रवाई का निर्देश दिया है.

कोर्ट ने मामले की जांच के आदेश देते हुए मुख्य स्थाई अधिवक्ता जे एन मौर्या से कहा था कि इस बात की जांच करें कि हाईकोर्ट का आदेश मुख्य स्थाई अधिवक्ता कार्यालय से कब भेजा गया और किसे प्राप्त हुआ. कोर्ट ने कहा कि यदि जरूरी हो तो वह जिला अधिकारी कार्यालय जौनपुर और डीआईओएस कार्यालय जौनपुर की भी जांच करें. कोर्ट के आदेश के अनुपालन में मुख्य स्थाई अधिवक्ता ने अपनी रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत की, कोर्ट में मौजूद डीआईओएस जौनपुर ने भी रिपोर्ट के संबंध में अपना व्यक्तिगत हलफनामा प्रस्तुत किया. इसे रिकॉर्ड पर लेते हुए कोर्ट ने कहा है कि प्रमुख सचिव शासन स्वयं इस रिपोर्ट को देखकर निर्णय लें कि डीआईओएस जौनपुर के खिलाफ क्या कार्रवाई की जानी चाहिए. यदि उन्हें लगता है कि इस मामले में किसी कार्रवाई की आवश्यकता है तो कार्रवाई करके अगली सुनवाई पर अदालत को अवगत कराएं.

यह आदेश न्यायमूर्ति एसडी सिंह ने अंकिता श्रीवास्तव की याचिका पर दिया. कोर्ट ने पिछली कई सुनवाई पर जवाब के लिए समय देते हुए कहा था कि जवाब न दाखिल होने पर डीआईओएस स्वयं उपस्थित रहें. कोर्ट के आदेश पर डीआईओएस जौनपुर अदालत में हाजिर हुए. पूछने पर उन्होंने बताया कि उन्होंने 2 जुलाई 2022 को जौनपुर कार्यभार ग्रहण किया है और अदालत के आदेश की कोई जानकारी उनको नहीं है. उनके कार्यालय के स्टाफ ने भी इस संबंध में उनको कोई जानकारी नहीं दी है. डीआईओएस ने यह भी कहा कि ईमेल के द्वारा भी उनको कोई सूचना नहीं दी गई है और ना ही उनके पास सीधे कोई ऐसी सूचना आई है.

इस पर कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं मुख्य स्थाई अधिवक्ता द्वारा अदालत को बार-बार आश्वासन दिए जाने के बावजूद इस पर अमल नहीं होता है. कोर्ट के आदेश पर मुख्य स्थाई अधिवक्ता ने अपनी जांच रिपोर्ट 22 नवंबर को कोर्ट में सौंपी, डीआईओएस जौनपुर ने भी इस रिपोर्ट के संबंध में अपना स्पष्टीकरण अदालत में स्वयं उपस्थित होकर दिया. इसके बाद अदालत ने प्रमुख सचिव को नियमानुसार कार्रवाई का आदेश देते हुए अदालत में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है.

यह है मामला
याचिका में डीआईओएस जौनपुर के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें उन्होंने अनुकंपा नियुक्ति के लिए याची के दावे को इसलिए रद्द कर दिया था कि याची विवाहित पुत्री है. अधिवक्ता का कहना था कि डाइंग इन हार्नेस रूल 1974 में संशोधन कर विवाहित पुत्री को भी परिवार की परिभाषा में शामिल कर लिया गया है। ऐसे में डीआईओएस का आदेश अवैधानिक है.

यह भी पढ़ें- आसाराम बापू दुष्कर्म केस में मुख्य गवाह का हत्यारोपी गुजरात से गिरफ्तार

प्रयागराज: अनुकंपा नियुक्ति के एक मामले में हाई कोर्ट में तलब डीआईओएस जौनपुर तक कोर्ट का आदेश नहीं पहुंचने के मामले को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए प्रमुख सचिव शासन को डीआईओएस के संबंध में दी गई जांच रिपोर्ट के आधार पर निर्णय लेने और उचित कार्रवाई का निर्देश दिया है.

कोर्ट ने मामले की जांच के आदेश देते हुए मुख्य स्थाई अधिवक्ता जे एन मौर्या से कहा था कि इस बात की जांच करें कि हाईकोर्ट का आदेश मुख्य स्थाई अधिवक्ता कार्यालय से कब भेजा गया और किसे प्राप्त हुआ. कोर्ट ने कहा कि यदि जरूरी हो तो वह जिला अधिकारी कार्यालय जौनपुर और डीआईओएस कार्यालय जौनपुर की भी जांच करें. कोर्ट के आदेश के अनुपालन में मुख्य स्थाई अधिवक्ता ने अपनी रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत की, कोर्ट में मौजूद डीआईओएस जौनपुर ने भी रिपोर्ट के संबंध में अपना व्यक्तिगत हलफनामा प्रस्तुत किया. इसे रिकॉर्ड पर लेते हुए कोर्ट ने कहा है कि प्रमुख सचिव शासन स्वयं इस रिपोर्ट को देखकर निर्णय लें कि डीआईओएस जौनपुर के खिलाफ क्या कार्रवाई की जानी चाहिए. यदि उन्हें लगता है कि इस मामले में किसी कार्रवाई की आवश्यकता है तो कार्रवाई करके अगली सुनवाई पर अदालत को अवगत कराएं.

यह आदेश न्यायमूर्ति एसडी सिंह ने अंकिता श्रीवास्तव की याचिका पर दिया. कोर्ट ने पिछली कई सुनवाई पर जवाब के लिए समय देते हुए कहा था कि जवाब न दाखिल होने पर डीआईओएस स्वयं उपस्थित रहें. कोर्ट के आदेश पर डीआईओएस जौनपुर अदालत में हाजिर हुए. पूछने पर उन्होंने बताया कि उन्होंने 2 जुलाई 2022 को जौनपुर कार्यभार ग्रहण किया है और अदालत के आदेश की कोई जानकारी उनको नहीं है. उनके कार्यालय के स्टाफ ने भी इस संबंध में उनको कोई जानकारी नहीं दी है. डीआईओएस ने यह भी कहा कि ईमेल के द्वारा भी उनको कोई सूचना नहीं दी गई है और ना ही उनके पास सीधे कोई ऐसी सूचना आई है.

इस पर कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं मुख्य स्थाई अधिवक्ता द्वारा अदालत को बार-बार आश्वासन दिए जाने के बावजूद इस पर अमल नहीं होता है. कोर्ट के आदेश पर मुख्य स्थाई अधिवक्ता ने अपनी जांच रिपोर्ट 22 नवंबर को कोर्ट में सौंपी, डीआईओएस जौनपुर ने भी इस रिपोर्ट के संबंध में अपना स्पष्टीकरण अदालत में स्वयं उपस्थित होकर दिया. इसके बाद अदालत ने प्रमुख सचिव को नियमानुसार कार्रवाई का आदेश देते हुए अदालत में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है.

यह है मामला
याचिका में डीआईओएस जौनपुर के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें उन्होंने अनुकंपा नियुक्ति के लिए याची के दावे को इसलिए रद्द कर दिया था कि याची विवाहित पुत्री है. अधिवक्ता का कहना था कि डाइंग इन हार्नेस रूल 1974 में संशोधन कर विवाहित पुत्री को भी परिवार की परिभाषा में शामिल कर लिया गया है। ऐसे में डीआईओएस का आदेश अवैधानिक है.

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