प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग में शोध छात्रा के शोध कार्य में उसके पूर्व सुपरवाइजर को भी क्रेडिट देने का निर्देश दिया है. साथ ही छात्रा का शोध कार्य शीघ्र से शीघ्र पूरा कराने के लिए कहा है. शोध छात्रा प्रीति मिश्रा की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने छात्रा के अधिवक्ता शाश्वत आनंद को सुन कर दिया है.
दरअसल, याची ने विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग में वर्ष 2017 में तीन वर्षीय शोध कार्यक्रम पीएचडी में दाखिला लिया था. वहीं, आरंभ में उसके सुपरवाइजर प्रोफेसर अनुपम दीक्षित थे. प्रोफेसर दीक्षित वर्ष 2020 में सेवानिवृत्त हो गए. बाद में उनको 3 वर्ष का सेवा विस्तार दिया गया, जो कि जनवरी 2023 में समाप्त हो गया. इसके बाद विश्वविद्यालय ने प्रोफेसर गिरिजेश कुमार को छात्रा का नया सुपरवाइजर नियुक्त किया.
वहीं, यूजीसी के नियमानुसार पीएचडी कार्यक्रम 3 वर्ष में पूरा हो जाना चाहिए. मगर छात्रा का शोध 3 वर्ष में पूरा नहीं हो सका. इसे लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. कोर्ट ने कहा कि प्रोफेसर गिरिजेश कुमार की नियुक्ति नियमानुसार है. मगर पूर्व सुपरवाइजर प्रोफेसर अनुपम दीक्षित को भी शोध कार्य का क्रेडिट दिया जाए. विश्वविद्यालय के अधिवक्ता ने आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालय बहुत शीघ्र छात्रा का शोध कार्य पूरा करा देगा.
वहीं, दूसरे मामले में अधिवक्ता न्यासी समिति ने 254 दिवंगत अधिवक्ताओं के परिजनों को मिलने वाले मुआवजे को मंजूरी दे दी है. इसे लेकर सोमवार को बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के कैंप कार्यालय में न्यासी समिति की बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र ने की. बैठक में प्रमुख सचिव न्याय पीके श्रीवास्तव के अलावा बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष पांचू राम मौर्य, सदस्य जानकी शरण पांडे, सदस्य सचिव राकेश पाठक, अमरेंद्र नाथ सिंह भी मौजूद थे। बैठक में 254 मामलों को मंजूरी दी गई है. इससे दिवंगत अधिवक्ताओं के परिजनों को शीघ्र ही मुआवजे की राशि मिलने का रास्ता साफ हो गया है. यह जानकारी काउंसिल के अध्यक्ष पांचू राम मौर्य ने दी है.
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