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पुलिस भर्ती में चयनित को 23 साल बाद नियुक्ति देने का निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1998 की पुलिस भर्ती में चयनित मुरादाबाद के कृष्ण कुमार को 23 साल बाद सेवा में बहाल करने का निर्देश दिया है.

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Published : Nov 18, 2021, 9:51 PM IST

पुलिस भर्ती में चयनित को 23 साल बाद नियुक्ति देने का निर्देश.
पुलिस भर्ती में चयनित को 23 साल बाद नियुक्ति देने का निर्देश.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1998 की पुलिस भर्ती में चयनित मुरादाबाद के कृष्ण कुमार को 23 साल बाद सेवा में बहाल करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि यदि याची फिट न पाया जाय तो उसे कार्यालय में तैनात किया जाए.

एसपी कार्मिक इंचार्ज डीआईजी स्थापना उप्र ने सत्यापन हलफनामे में तथ्य छिपाने के कारण नियुक्ति देने से इंकार कर दिया था. कोर्ट के पुनर्विचार के आदेश के बाद भी नियुक्ति नहीं दी गई तो कोर्ट ने कहा कि भर्ती के 23 साल बाद विभाग को विचार करने का आदेश देना उचित नहीं है इसलिए कहा कि याची को बहाल किया जाए. साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि वह बकाए वेतन का हकदार नहीं होगा.

यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने कृष्ण कुमार की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है. याचिका पर अधिवक्ता राजेश यादव ने बहस की. याची 1998 पुलिस भर्ती में चयनित किया गया. उसके खिलाफ 1991 में आपराधिक केस दर्ज हुआ था, जिसमें वह 1999 में बरी हो चुका है.

इसकी जानकारी छिपाने के कारण नियुक्ति देने से इंकार कर दिया गया जिसे चुनौती दी तो कोर्ट ने आदेश रद्द कर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया. गलत जानकारी देने पर धोखाधड़ी का केस दर्ज हुआ जिसके आधार पर नियुक्ति नहीं दी गई. चार अगस्त 2017 के इस आदेश को चुनौती दी गई.

ये भी पढ़ेंः अखिलेश के 'चिलमजीवी' बयान से नाराज संत समाज, स्वामी जितेन्द्रानंद ने कहा- मुश्किल होगी उनकी मिशन 2022 की राह

कोर्ट ने कहा कि जब हाईकोर्ट ने जानकारी छिपाने पर नियुक्ति से इंकार के आदेश को रद्द कर पुनर्विचार का निर्देश दिया तो उसी आधार पर दोबारा नियुक्ति देने से इंकार करना सही नहीं है. याची आपराधिक केस में बरी हो चुका है तो धोखाधड़ी के केस का कोई मायने नहीं है.

कोर्ट ने कहा कि 23 साल बाद विभाग को भेजने के बजाए निर्देश देना उचित रहेगा और याची को कांस्टेबल पद पर पुलिस में या कार्यालय में तैनात करने का निर्देश दिया है.

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प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1998 की पुलिस भर्ती में चयनित मुरादाबाद के कृष्ण कुमार को 23 साल बाद सेवा में बहाल करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि यदि याची फिट न पाया जाय तो उसे कार्यालय में तैनात किया जाए.

एसपी कार्मिक इंचार्ज डीआईजी स्थापना उप्र ने सत्यापन हलफनामे में तथ्य छिपाने के कारण नियुक्ति देने से इंकार कर दिया था. कोर्ट के पुनर्विचार के आदेश के बाद भी नियुक्ति नहीं दी गई तो कोर्ट ने कहा कि भर्ती के 23 साल बाद विभाग को विचार करने का आदेश देना उचित नहीं है इसलिए कहा कि याची को बहाल किया जाए. साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि वह बकाए वेतन का हकदार नहीं होगा.

यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने कृष्ण कुमार की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है. याचिका पर अधिवक्ता राजेश यादव ने बहस की. याची 1998 पुलिस भर्ती में चयनित किया गया. उसके खिलाफ 1991 में आपराधिक केस दर्ज हुआ था, जिसमें वह 1999 में बरी हो चुका है.

इसकी जानकारी छिपाने के कारण नियुक्ति देने से इंकार कर दिया गया जिसे चुनौती दी तो कोर्ट ने आदेश रद्द कर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया. गलत जानकारी देने पर धोखाधड़ी का केस दर्ज हुआ जिसके आधार पर नियुक्ति नहीं दी गई. चार अगस्त 2017 के इस आदेश को चुनौती दी गई.

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कोर्ट ने कहा कि जब हाईकोर्ट ने जानकारी छिपाने पर नियुक्ति से इंकार के आदेश को रद्द कर पुनर्विचार का निर्देश दिया तो उसी आधार पर दोबारा नियुक्ति देने से इंकार करना सही नहीं है. याची आपराधिक केस में बरी हो चुका है तो धोखाधड़ी के केस का कोई मायने नहीं है.

कोर्ट ने कहा कि 23 साल बाद विभाग को भेजने के बजाए निर्देश देना उचित रहेगा और याची को कांस्टेबल पद पर पुलिस में या कार्यालय में तैनात करने का निर्देश दिया है.

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