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अपर मुख्य सचिव गृह बताएं न्यायिक जांच रिपोर्ट पर क्या की कार्रवाई, कोर्ट ने मांगा व्यक्तिगत हलफनामा

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Published : Mar 25, 2022, 9:54 PM IST

खुर्जा नगर कोतवाली पुलिस की हिरासत में मौत मामले में अपर मुख्य सचिव गृह को कृत कार्यवाही रिपोर्ट के साथ 19 अप्रैल तक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. न्यायिक जांच में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने हिरासत में मौत के लिए पुलिस अधिकारियों को जिम्मेदार‌ ठहराया है.

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इलाहाबाद हाई कोर्ट

प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुलंदशहर के खुर्जा नगर कोतवाली पुलिस की हिरासत में मौत पर अपर मुख्य सचिव गृह को कृत कार्यवाही रिपोर्ट के साथ 19 अप्रैल तक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. जानकारी मांगी है कि हिरासत में मौत के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों पर क्या कार्रवाई की गई.

न्यायिक जांच में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने हिरासत में मौत के लिए पुलिस अधिकारियों को जिम्मेदार‌ ठहराया है. कहा है कि पुलिस ने मृतक का पोस्टमार्टम तक नहीं कराया. लाश घर वालो‌ं को न सौंप पुलिस ने अंतिम संस्कार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि पुलिस हिरासत में मौत गंभीर मामला है. न्यायिक जांच में पुलिस की खुदकुशी की कहानी गलत साबित हुई है. ऐसे में बड़े अधिकारियों को संवेदनशीलता दिखाते हुए तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए. पीड़ित पक्ष को मुआवजा देने पर विचार करना चाहिए.

कोर्ट ने आदेश की प्रति प्रदेश के मुख्य सचिव को भेजने का भी निर्देश दिया है और याची को जांच रिपोर्ट देने को कहा है. याचिका की सुनवाई 19 अप्रैल को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र (Justice Ashwani Kumar Mishra) तथा न्यायमूर्ति रजनीश कुमार की खंडपीठ ने सुरेश‌ देवी और अन्य की याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता आशुतोष कुमार तिवारी व‌ धर्मेंद्र सिंह ने बहस की.

इसे भी पढे़ंः इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलसचिव अवमानना के दोषी करार, कोर्ट ने मांगी सफाई

मालूम हो कि याची के बेटे सोमदत्त उर्फ सोनू को पुलिस पकड़ कर थाने ले गई. उसने आपसी सहमति से अंतर्जातीय विवाह किया था. 11/12 दिसंबर 20 की रात पुलिस ने सोनू की जमकर पिटाई की. इससे उसकी थाने में ही मौत हो गई. याची ने पुलिस पर हिरासत में हत्या करने का आरोप लगाया. पुलिस इसे खुदकुशी बता रही है.

मामले की न्यायिक जांच की गई जिसमें हिरासत में मौत के आरोप की पुष्टि हुई है. मौत के लिए पुलिस को जवाबदेह ठहराया गया है. अपर शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि जांच रिपोर्ट 18 जनवरी 22 को अपर मुख्य सचिव गृह को जिलाधिकारी द्वारा भेजी जा चुकी है. उसके बाद क्या हुआ इसकी जानकारी नहीं है.

कोर्ट ने कहा कि हिरासत में मौत गंभीर मामला है वह भी तब जब न्यायिक जांच में आरोपों को सही पाया गया हो. इसमें साफ कहा गया है कि मौत के लिए पुलिस जिम्मेदार है. ऐसे में पुलिस विभाग के बड़े अधिकारियों को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए. पुलिस ने बिना पोस्टमार्टम कराए अंतिम संस्कार कर दिया. यह भी कहा कि दोषी पुलिस अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज कराई जाय और पीड़िता को मुआवजा देने पर विचार किया जाना चाहिए.

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प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुलंदशहर के खुर्जा नगर कोतवाली पुलिस की हिरासत में मौत पर अपर मुख्य सचिव गृह को कृत कार्यवाही रिपोर्ट के साथ 19 अप्रैल तक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. जानकारी मांगी है कि हिरासत में मौत के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों पर क्या कार्रवाई की गई.

न्यायिक जांच में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने हिरासत में मौत के लिए पुलिस अधिकारियों को जिम्मेदार‌ ठहराया है. कहा है कि पुलिस ने मृतक का पोस्टमार्टम तक नहीं कराया. लाश घर वालो‌ं को न सौंप पुलिस ने अंतिम संस्कार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि पुलिस हिरासत में मौत गंभीर मामला है. न्यायिक जांच में पुलिस की खुदकुशी की कहानी गलत साबित हुई है. ऐसे में बड़े अधिकारियों को संवेदनशीलता दिखाते हुए तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए. पीड़ित पक्ष को मुआवजा देने पर विचार करना चाहिए.

कोर्ट ने आदेश की प्रति प्रदेश के मुख्य सचिव को भेजने का भी निर्देश दिया है और याची को जांच रिपोर्ट देने को कहा है. याचिका की सुनवाई 19 अप्रैल को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र (Justice Ashwani Kumar Mishra) तथा न्यायमूर्ति रजनीश कुमार की खंडपीठ ने सुरेश‌ देवी और अन्य की याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता आशुतोष कुमार तिवारी व‌ धर्मेंद्र सिंह ने बहस की.

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मालूम हो कि याची के बेटे सोमदत्त उर्फ सोनू को पुलिस पकड़ कर थाने ले गई. उसने आपसी सहमति से अंतर्जातीय विवाह किया था. 11/12 दिसंबर 20 की रात पुलिस ने सोनू की जमकर पिटाई की. इससे उसकी थाने में ही मौत हो गई. याची ने पुलिस पर हिरासत में हत्या करने का आरोप लगाया. पुलिस इसे खुदकुशी बता रही है.

मामले की न्यायिक जांच की गई जिसमें हिरासत में मौत के आरोप की पुष्टि हुई है. मौत के लिए पुलिस को जवाबदेह ठहराया गया है. अपर शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि जांच रिपोर्ट 18 जनवरी 22 को अपर मुख्य सचिव गृह को जिलाधिकारी द्वारा भेजी जा चुकी है. उसके बाद क्या हुआ इसकी जानकारी नहीं है.

कोर्ट ने कहा कि हिरासत में मौत गंभीर मामला है वह भी तब जब न्यायिक जांच में आरोपों को सही पाया गया हो. इसमें साफ कहा गया है कि मौत के लिए पुलिस जिम्मेदार है. ऐसे में पुलिस विभाग के बड़े अधिकारियों को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए. पुलिस ने बिना पोस्टमार्टम कराए अंतिम संस्कार कर दिया. यह भी कहा कि दोषी पुलिस अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज कराई जाय और पीड़िता को मुआवजा देने पर विचार किया जाना चाहिए.

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