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दो निवास पर आरक्षण का लाभ देने से इंकार पर पुनर्विचार का निर्देश

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पुलिस कांस्टेबल भर्ती-2015 के ओबीसी अभ्यर्थी याची की नियुक्ति पर छह सप्ताह में विचार करने का निर्देश दिया है. याची ने ओबीसी कैटेगरी में ऑनलाइन आवेदन किया था.

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इलाहाबाद हाई कोर्ट
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Published : Apr 18, 2022, 10:48 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पुलिस कांस्टेबल भर्ती-2015 के ओबीसी अभ्यर्थी याची की नियुक्ति पर छह सप्ताह में विचार करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमसेरी ने इमरान खान की याचिका पर उसके अधिवक्ता सुनील यादव को सुनकर दिया है. याची ने ओबीसी कैटेगरी में ऑनलाइन आवेदन किया था.

कागजात की जांच के दौरान उसने आरक्षण के समर्थन में निर्धारित अवधि के जाति प्रमाणपत्र के साथ दो निवास प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया. दो निवास प्रमाणपत्र जमा करने के कारण बोर्ड ने उसे सामान्य श्रेणी की सूची में डालते हुए असफल करार दिया.

इसे भी पढ़ेंः मां के साथ रह रहे पुत्र से माह में एक दिन पिता को मुलाकात करने की मिली इजाजत

याची का कहना है कि उसने ओबीसी कैटेगरी के कट ऑफ से ज्यादा नंबर हासिल किए हैं, इसलिए दो निवास प्रमाणपत्र देने के कारण उसे आरक्षण का लाभ लेने से वंचित नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने याची को ओबीसी अभ्यर्थी मानते हुए आरक्षण का लाभ प्रदान करने और ओबीसी कैटेगरी में नियुक्ति करने पर छह सप्ताह में विचार कर निर्णय लेने का आदेश दिया है.

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पुलिस कांस्टेबल भर्ती-2015 के ओबीसी अभ्यर्थी याची की नियुक्ति पर छह सप्ताह में विचार करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमसेरी ने इमरान खान की याचिका पर उसके अधिवक्ता सुनील यादव को सुनकर दिया है. याची ने ओबीसी कैटेगरी में ऑनलाइन आवेदन किया था.

कागजात की जांच के दौरान उसने आरक्षण के समर्थन में निर्धारित अवधि के जाति प्रमाणपत्र के साथ दो निवास प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया. दो निवास प्रमाणपत्र जमा करने के कारण बोर्ड ने उसे सामान्य श्रेणी की सूची में डालते हुए असफल करार दिया.

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याची का कहना है कि उसने ओबीसी कैटेगरी के कट ऑफ से ज्यादा नंबर हासिल किए हैं, इसलिए दो निवास प्रमाणपत्र देने के कारण उसे आरक्षण का लाभ लेने से वंचित नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने याची को ओबीसी अभ्यर्थी मानते हुए आरक्षण का लाभ प्रदान करने और ओबीसी कैटेगरी में नियुक्ति करने पर छह सप्ताह में विचार कर निर्णय लेने का आदेश दिया है.

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