प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट में सीबीआई ने वकीलों के खिलाफ दुराचार के झूठे केस की वापसी के नाम पर धन उगाही के लिए मऊआइमा सहित प्रयागराज के विभिन्न थानों में दर्ज 46 मामलों की जांच रिपोर्ट गुरुवार को सीलबंद लिफाफे में पेश की. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पेश प्रार्थनापत्र पर मामले में जांच कराने का निर्देश दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति गौतम चौधरी ने निक्की देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है. मामले में दूसरे पक्ष के अधिवक्ताओं का आरोप है कि वकीलों का एक गैंग सक्रिय है, जो झूठे केस कर चार्जशीट दाखिल होने के बाद वापसी के नाम पर धन उगाही कर बंटवारा करता है. पीड़िता के अनुसूचित जाति का होने के कारण सरकार से भी धन मिलता है. अकेले मऊआइमा थाने में ऐसे 36 केस दर्ज हैं. अधिवक्ता भूपेंद्र पांडेय ने कोर्ट को 51 आपराधिक केसों की सूची सौंपी थी. कोर्ट ने तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. कोर्ट के आदेश पर जांच करते हुए सीबीआई ने गुरुवार को सीलबंद लिफाफे में जांच रिपोर्ट सौंप दी (allahabad high court news).
इस दौरान कई अन्य अधिवक्ताओं ने इंटरवीनिंग अर्जी दाखिल कर कोर्ट को बताया कि उन्हें भी फर्जी तरीके (fake rape case against lawyers) से फंसाया गया है. कोर्ट ने उन वकीलों की अर्जी रिकॉर्ड पर लेते हुए मामले की सुनवाई के लिए छह फरवरी की तारीख लगा दी. हाईकोर्ट की एक अन्य खंडपीठ ने गोरखपुर के इसी तरह के मामले को भी इसी पीठ के समक्ष भेज दिया है.
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