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हिंदी दिवस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंदी में दिया ये महत्वपूर्ण आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court ) ने कहा कि बिना एफआईआर के भी गैंगस्टर एक्ट की कार्यवाही हो सकती है. हिंदी दिवस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का हिंदी में महत्वपूर्ण आदेश दिया गया.

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हिंदी दिवस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि गैंगस्टर एक्ट की कार्यवाही बिना आपराधिक केस दर्ज हुए भी हो सकती है
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Published : Sep 14, 2022, 10:01 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court ) ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि गैंगस्टर एक्ट की कार्यवाही बिना आपराधिक केस दर्ज हुए भी हो सकती है. हिंदी दिवस के अवसर पर हिंदी भाषा में पारित आदेश में कोर्ट ने कहा है कि अभियोग कार्यवाही के लिए यह जरूरी नहीं है, कि कोई एफआईआर दर्ज हो और गिरोह चार्ट बना हो. कोर्ट ने कहा कि यह आरोपी के क्रियाकलाप से तय होगा गैंग है या नहीं है.

यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने रामपुर के इरफान व फहीम की याचिका को खारिज करते हुए दिया है. अजीमनगर इलाके में टांडा खेड़ा गांव निवासी दोनों याचियों के खिलाफ रामपुर के कोतवाली में एफआईआर दर्ज है. दोनों अपराधों में लिप्त हैं. गैंग बनाकर अपराध करते हैं. इसके साथ ही ऐसा करके दहशत फैला रखी है. कोर्ट ने कहा कि भले ही डर से कोई प्राथमिकी दर्ज कराने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा हो. अपराधी के क्रियाकलाप गिरोह की परिभाषा में आ रहे हों. इसके बिना किसी केस दर्ज हुए गैंगस्टर एक्ट के तहत अभियोग की कार्यवाही की जा सकती है.

यह भी पढ़ें-AU की फीस बढ़ोतरी को सांसद वरुण गांधी ने बताया दुखद, बोले- छात्रों के सपनों पर प्रहार क्यों

इस प्रकरण में गैंगरेप किया गया और एफआईआर दर्ज न कराने के लिए धमकी दी गई. इतनी दहशत फैलाई गई कि प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकी. ऐसे अपराध के लिए गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्यवाही सही है. कोर्ट ने कहा कि आरोपियों ने लोक व्यवस्था अस्त व्यस्त की है. समाज विरोधी गतिविधियों में लिप्त होकर भय का माहौल बनाया और यह गैंगस्टर एक्ट के तहत अभियोग की कार्यवाही के लिए पर्याप्त है. इसी के साथ कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए याचियों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.

यह भी पढ़ें-फर्रुखाबाद कलेक्ट्रेट के बाहर युवकों के बीच मारपीट का Video Viral

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court ) ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि गैंगस्टर एक्ट की कार्यवाही बिना आपराधिक केस दर्ज हुए भी हो सकती है. हिंदी दिवस के अवसर पर हिंदी भाषा में पारित आदेश में कोर्ट ने कहा है कि अभियोग कार्यवाही के लिए यह जरूरी नहीं है, कि कोई एफआईआर दर्ज हो और गिरोह चार्ट बना हो. कोर्ट ने कहा कि यह आरोपी के क्रियाकलाप से तय होगा गैंग है या नहीं है.

यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने रामपुर के इरफान व फहीम की याचिका को खारिज करते हुए दिया है. अजीमनगर इलाके में टांडा खेड़ा गांव निवासी दोनों याचियों के खिलाफ रामपुर के कोतवाली में एफआईआर दर्ज है. दोनों अपराधों में लिप्त हैं. गैंग बनाकर अपराध करते हैं. इसके साथ ही ऐसा करके दहशत फैला रखी है. कोर्ट ने कहा कि भले ही डर से कोई प्राथमिकी दर्ज कराने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा हो. अपराधी के क्रियाकलाप गिरोह की परिभाषा में आ रहे हों. इसके बिना किसी केस दर्ज हुए गैंगस्टर एक्ट के तहत अभियोग की कार्यवाही की जा सकती है.

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इस प्रकरण में गैंगरेप किया गया और एफआईआर दर्ज न कराने के लिए धमकी दी गई. इतनी दहशत फैलाई गई कि प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकी. ऐसे अपराध के लिए गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्यवाही सही है. कोर्ट ने कहा कि आरोपियों ने लोक व्यवस्था अस्त व्यस्त की है. समाज विरोधी गतिविधियों में लिप्त होकर भय का माहौल बनाया और यह गैंगस्टर एक्ट के तहत अभियोग की कार्यवाही के लिए पर्याप्त है. इसी के साथ कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए याचियों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.

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