प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट के प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत अध्यापिका को राहत देते हुए सचिव बेसिक शिक्षा लखनऊ को निर्देश दिया है कि वह शिक्षिका का स्थानांतरण रामपुर से मेरठ जहां कि उनके पति नियुक्त हैं करने पर निर्णय लें. शिक्षिका का पति कैंसर से पीड़ित है और उनकी देखभाल करने के आधार पर शिक्षिका ने अंतर्जनपदीय तबादले की मांग की थी. कोर्ट ने कहा कि शिक्षिका का प्रत्यावेदन इस आधार पर न खारिज किया जाए कि सरकार ने अंतर्जनपदीय तबादले को लेकर के कोई नीति नहीं बनाई है.
रामपुर में कार्यरत सहायक अध्यापिका रीना रानी की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव ने दिया है. याचिकाकर्ता का कहना था कि वह रामपुर के शाहाबाद ब्लॉक में सहायक अध्यापिका है. उसके पति रवि कुमार भी इसी ब्लॉक में सहायक अध्यापक थे. मगर बाद में उनका स्थानांतरण मेरठ के रोहता ब्लॉक में कर दिया गया. हाल ही में याचिकाकर्ता के पति को कैंसर की बीमारी का पता चला और उनकी सर्जरी करानी पड़ी. वर्तमान में याची के पति की कीमोग्राफी हो रही है. याचिकाकर्ता की सास की ब्रेस्ट कैंसर से पहले ही मृत्यु हो चुकी है तथा उसके ससुर भी हृदय रोग से पीड़ित है. ऐसे में यदि उसका स्थानांतरण मेरठ कर दिया जाए, तो वह बेहतर तरीके से अपने पति व ससुर की देखभाल कर सकेगी. याचिकाकर्ता ने अंतर्जनपदीय स्थानांतरण की मांग की थी मगर उस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया. बेसिक शिक्षा विभाग के अधिवक्ता का कहना था कि प्रदेश सरकार ने अंतर्जनपदीय स्थानांतरण को को लेकर कोई नीति नहीं बनाई है. नीति ना होने के कारण स्थानांतरण करना संभव नहीं है.
कोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि बेसिक शिक्षा एक्ट के रूल 8(2) डी के तहत विशेष परिस्थितियों में महिला शिक्षकों के अंतर्जनपदीय स्थानांतरण का प्रावधान है. एक्ट के प्रभाव को नियमावली ना होने के आधार पर रोका नहीं जा सकता है. कोर्ट ने सचिव बेसिक शिक्षा को याची के स्थानांतरण पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है.
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