प्रयागराज: इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मानव संसाधन विकास केंद्र और हिंदी विभाग के द्वारा 17वें पुनश्चर्या कार्यक्रम का आरंभ हुआ. यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में स्थित नाथा हाल में आयोजित किया गया. कार्यक्रम में शिरकत करने यूपी के विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित पहुंचे.
जानें अपने संबोधन में क्या बोले विधानसभा अध्यक्ष
उद्घाटन सत्र में हृदय नारायण दीक्षित ने अपने संबोधन में कहा कि निराला का काव्य काल और समय से परे है. उन्होंने अपने वक्तव्य में निराला की समकालीन कविताओं पर जोर दिया और कहा कि देश के अलग-अलग विश्वविद्यालयों में आज भी वर दे वीणावादिनी गाकर ही कार्यक्रम आरंभ होता है. अंग्रेजी साहित्य की शैली शेक्सपियर का उदाहरण देते हुए कहा कि यूरोप का कोई भी व्यक्ति कभी भी जनता की जुबान और आचार-विचार तक नहीं पहुंचा, जबकि तुलसीदास, कबीर और निराला जैसे हिंदुस्तान के जनजीवन में घुल-मिल गए.
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इस अवसर पर कुलपति ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छायावाद पर शीघ्र ही राष्ट्रीय स्तर की एक संगोष्ठी आयोजित करने की घोषणा की, जिसमें हर केंद्रीय विश्वविद्यालय से विद्वान वक्ता बुलाए जाएंगे. विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर आरके सिंह ने कहा कि छायावाद पर किसी विदेशी का प्रभाव नहीं था. कार्यक्रम के दौरान आए हुए विद्वान और मनीषियों ने कहा कि छायावाद की उत्पत्ति अपने देश में हुई है, जिसका उदाहरण हमारे ऋग्वेद में मिलता है. ऋग्वेद के ऋषि और मुनियों ने इसकी बहुत पहले ही घोषणा कर दी थी.
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कार्यक्रम में 40 प्रतिभागियों ने लिया हिस्सा-
दो सप्ताह तक चलने वाले इस कार्यक्रम में 11 राज्यों से 40 प्रतिभागियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. कार्यक्रम के दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए यूपी विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने बधाई देते हुए कहा कि बहुत दिनों के बाद विश्वविद्यालय में इस तरह से कार्य हो रहे हैं, जिससे इस विश्वविद्यालय की गरिमा पुनः निखरेगी.