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संगमनगरी की गहरेबाजी पर दिखा कोरोना का असर, नहीं जुटे दर्शक - horse-race in-prayagraj

यूपी के प्रयागराज जिले में सावन के पहले सोमवार से शुरु होने वाली गहरेबाजी प्रतियोगिता का शुभारंभ हुआ. कोरोना संक्रमण की वजह से इस बार बाहर से आने वाले गहरेबाज नहीं आए हैं. वहीं इस बार दर्शकों की संख्या में भारी कमी आई है.

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गहरेबाजी प्रतियोगिता
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Published : Jul 7, 2020, 4:45 AM IST

प्रयागराज: सोमवार से सावन का पवित्र महीना आरंभ हो गया है. सावन महीना भगवान शिव को बहुत ही प्रिय होता है. हिंदू मान्यता के अनुसार सावन का महीना भगवान शिव की उपासना का महीना माना जाता है. प्रयागराज में सावन के हर सोमवार को गहरेबाजी की प्रतियोगिता होती है. जिले में होने वाली यह प्रतियोगिता सदियों पुरानी है. सावन माह के हर सोमवार शाहवासी पूरे उत्साह के साथ गहरेबाजी का लुफ्त उठाते हैं. लेकिन इस बार कोरोना महामारी का डर गहरेबाजी प्रतियोगिता में देखने को मिला. देश के अलग-अलग कोने से आने वाले प्रतिभागियों की संख्या में कमी देखने को मिली. वहीं दूसरी ओर दर्शकों की संख्या भी काफी कम दिखी.

गहरेबाजी प्रतियोगिता पर दिखा कोरोना का असर.

पहले सोमवार से आखिरी सोमवार तक होती है प्रतियोगिता
गहरेबाज जमालुद्दीन ने बताया कि संगमनगरी की सबसे पुरानी यह परंपरा है. सावन माह के पहले सोमवार से लेकर आखिरी सोमवार तक गहरेबाजी की प्रतियोगिता होती है. प्रतियोगिता में दो दर्जन से अधिक नामचीन घोड़े शामिल होते हैं. सावन के अंतिम सोमवार को सर्वश्रेष्ठ घोड़े को प्रयाग गहरेबाजी संघ की ओर से पुरस्कृत किया जाता है. इस बार कोरोना महामारी के चलते गहरेबाजी में उत्साह नहीं देखने को मिल रहा है.

दूर-दूर से आते थे प्रतियोगी
गहरेबाज जमालुद्दीन ने बताया कि हर साल देश के अलग-अलग कोने से गहरेबाज आया करते थे. कानपुर, बनारस, गोरखपुर, प्रतापगढ़ आदि जिले से यहां गहरेबाजी में हिस्सा लेने के लिए घोड़ा लेकर गहरेबाज आया करते थे. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते बाहर से गहरेबाज नहीं आए. जमालुद्दीन ने बताया कि लगातार 30 सालों से सावन माह में यहां के पारंपरिक गहरेबाजी दौड़ में घोड़ा दौड़ाता आ रहा हूं. इस बार गहरेबाजी में गहरेबाज के साथ भीड़ भी कम है.

उत्साह बढ़ाने के लिए साथ देते हैं बाइकर
गहरेबाजी देखने आए दर्शक नौशाद अहमद ने बताया कि सावन माह में संगमनगरी में होने वाली गहरेबाजी की प्रतियोगिता पुरानी परंपरा है. यहां पर घोड़े दौड़ाने वाले प्रतियोगी का उत्साह बढ़ाने के लिए शहरवासी आते हैं और गहरेबाजों के पीछे बाइक लेकर उनका उत्साह बढ़ाते हैं. कोरोना संक्रमण की वजह से इस बार दर्शक भी कम आएं हैं.

प्रयागराज: सोमवार से सावन का पवित्र महीना आरंभ हो गया है. सावन महीना भगवान शिव को बहुत ही प्रिय होता है. हिंदू मान्यता के अनुसार सावन का महीना भगवान शिव की उपासना का महीना माना जाता है. प्रयागराज में सावन के हर सोमवार को गहरेबाजी की प्रतियोगिता होती है. जिले में होने वाली यह प्रतियोगिता सदियों पुरानी है. सावन माह के हर सोमवार शाहवासी पूरे उत्साह के साथ गहरेबाजी का लुफ्त उठाते हैं. लेकिन इस बार कोरोना महामारी का डर गहरेबाजी प्रतियोगिता में देखने को मिला. देश के अलग-अलग कोने से आने वाले प्रतिभागियों की संख्या में कमी देखने को मिली. वहीं दूसरी ओर दर्शकों की संख्या भी काफी कम दिखी.

गहरेबाजी प्रतियोगिता पर दिखा कोरोना का असर.

पहले सोमवार से आखिरी सोमवार तक होती है प्रतियोगिता
गहरेबाज जमालुद्दीन ने बताया कि संगमनगरी की सबसे पुरानी यह परंपरा है. सावन माह के पहले सोमवार से लेकर आखिरी सोमवार तक गहरेबाजी की प्रतियोगिता होती है. प्रतियोगिता में दो दर्जन से अधिक नामचीन घोड़े शामिल होते हैं. सावन के अंतिम सोमवार को सर्वश्रेष्ठ घोड़े को प्रयाग गहरेबाजी संघ की ओर से पुरस्कृत किया जाता है. इस बार कोरोना महामारी के चलते गहरेबाजी में उत्साह नहीं देखने को मिल रहा है.

दूर-दूर से आते थे प्रतियोगी
गहरेबाज जमालुद्दीन ने बताया कि हर साल देश के अलग-अलग कोने से गहरेबाज आया करते थे. कानपुर, बनारस, गोरखपुर, प्रतापगढ़ आदि जिले से यहां गहरेबाजी में हिस्सा लेने के लिए घोड़ा लेकर गहरेबाज आया करते थे. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते बाहर से गहरेबाज नहीं आए. जमालुद्दीन ने बताया कि लगातार 30 सालों से सावन माह में यहां के पारंपरिक गहरेबाजी दौड़ में घोड़ा दौड़ाता आ रहा हूं. इस बार गहरेबाजी में गहरेबाज के साथ भीड़ भी कम है.

उत्साह बढ़ाने के लिए साथ देते हैं बाइकर
गहरेबाजी देखने आए दर्शक नौशाद अहमद ने बताया कि सावन माह में संगमनगरी में होने वाली गहरेबाजी की प्रतियोगिता पुरानी परंपरा है. यहां पर घोड़े दौड़ाने वाले प्रतियोगी का उत्साह बढ़ाने के लिए शहरवासी आते हैं और गहरेबाजों के पीछे बाइक लेकर उनका उत्साह बढ़ाते हैं. कोरोना संक्रमण की वजह से इस बार दर्शक भी कम आएं हैं.

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