प्रयागराज: एक बार फिर राजनीतिक अखाड़ों में उस वक्त खलबली मच गई, जब जेल में बंद एक हिस्ट्रीशीटर ने ब्लॉक प्रमुख चुनाव में अपना परचम लहरा दिया. जिले के कौड़िहार ब्लॉक प्रमुख की सीट पर जीत का परचम लहराने वाला मुजफ्फर हिस्ट्रीशीटर है. मुजफ्फर ने जेल में रहकर रणनीति बनाई और चुनावी रणभूमि में सभी को चित कर दिया. वैसे तो चुनाव के राजनीतिक अखाड़े में जेल में रहकर चुनाव जीतना कोई नई बात नहीं है, लेकिन दिग्गज पार्टियों के बीच जेल में बंद निर्दलीय प्रत्याशी का ब्लॉक प्रमुख बनना चर्चा का विषय है.
नवाबगंज के चकरी गांव के हिस्ट्रीशीटर मुजफ्फर पर पशु तस्करी समेत 15 अपराधिक मामले दर्ज हैं. पूरा मुक्ति पुलिस ने अभी 3 दिन पहले ही मुजफ्फर पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की थी. वहीं मुजफ्फर ने चुनाव में कोई दिक्कत न आ सके, इसको लेकर एक हफ्ते पहले न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया, जिसके बाद उसे नैनी जेल भेज दिया गया. 8 जुलाई को वह जेल से बाहर आकर नामांकन नहीं कर सका तो नामांकन प्रस्तावक की ओर से कराया गया. लेकिन मतदान के दिन मुजफ्फर नैनी जेल से वोट डालने जरूर आया. वहीं जब चुनावी घोषणा हुई तो परिणाम चौंकाने वाले आए. जेल में बंद हिस्ट्रीशीटर ही कौड़िहार से ब्लॉक प्रमुख बन गया.
इसे भी पढ़ें-ब्लॉक प्रमुख चुनाव में बीजेपी की बंपर विजय, योगी ने मोदी के सिर बांधा जीत का सेहरा
बता दें शनिवार ब्लॉक प्रमुख चुनाव के नतीजे चौंकाने वाले रहे. सत्ताधारी पार्टी भाजपा ने प्रचंड जीत दर्ज की, तो वहीं सपा ने 92 और अन्य ने 85 सीटें जीती हैं. पहले जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में 75 में से 67 और अब ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में 825 में से 645 से अधिक पदों पर भाजपा की इस जीत ने विपक्षी पार्टियों की चिंता बढ़ा दी है. दरअसल, यूपी पंचायत चुनाव को आगामी विधानसभा चुनाव का ट्रेलर माना जा रहा है, यही वजह है कि सभी पार्टियां पूरे दमखम के साथ चुनावी रण में उतरीं. हालांकि तमाम बवाल, उपद्रव और हिंसक घटनाओं के बीच सम्पन्न हुए इस चुनाव पर हर बार की तरह इस बार भी विपक्षी दल लोकतंत्र की हत्या, सत्ताधारी दल पर चुनाव में धांधली, अलोकतांत्रिक तरीके से पंचायत पर कब्जे का आरोप लगा है.