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हिंदू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता को नहीं मिली राहत, याचिका खारिज

हिंदू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अशोक कुमार पांडेय को इलाहाबाद हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है. अशोक कुमार पांडेय की याचिका खारिज कर दी गई है. हिंदू महासभा के नेता पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के संस्थापक सर सैयद अहमद खां पर टिप्पणी करने का आरोप है.

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Published : Jan 24, 2021, 7:40 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंदू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अशोक कुमार पाण्डेय की गिरफ्तारी पर रोक लगाने व सिविल लाइंस अलीगढ़ में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी है. हालांकि कोर्ट ने कहा कि याची अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल करे तो कोर्ट तुरंत उसे निस्तारित करे.

बता दें कि याची पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी व इसके संस्थापक सर शैयद अहमद खां के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करने, धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने और दो समुदायों के बीच घृणा फैलाने के बयान जारी करने का आरोप लगाया गया है.

कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जोगेन्दर सिंह केस में कहा है कि विवेचना के बाद गिरफ्तारी के लिए जरूरी साक्ष्य मिलने पर ही अभियुक्त को गिरफ्तार किया जाए. अनावश्यक गिरफ्तारी न की जाए. इस आदेश को अमल करने पर कोर्ट ने बल दिया है.

यह आदेश न्यायाधीश मनोज कुमार गुप्ता और न्यायाधीश राजेन्द्र कुमार की खंडपीठ ने अशोक कुमार पाण्डेय की याचिका पर दिया है. कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया दर्ज प्राथमिकी के तथ्यों से अपराध बनता है. प्राथमिकी रद्द नहीं की जा सकती है. कोर्ट ने गिरफ्तार करने पर भी रोक लगाने से इनकार कर दिया है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंदू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अशोक कुमार पाण्डेय की गिरफ्तारी पर रोक लगाने व सिविल लाइंस अलीगढ़ में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी है. हालांकि कोर्ट ने कहा कि याची अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल करे तो कोर्ट तुरंत उसे निस्तारित करे.

बता दें कि याची पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी व इसके संस्थापक सर शैयद अहमद खां के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करने, धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने और दो समुदायों के बीच घृणा फैलाने के बयान जारी करने का आरोप लगाया गया है.

कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जोगेन्दर सिंह केस में कहा है कि विवेचना के बाद गिरफ्तारी के लिए जरूरी साक्ष्य मिलने पर ही अभियुक्त को गिरफ्तार किया जाए. अनावश्यक गिरफ्तारी न की जाए. इस आदेश को अमल करने पर कोर्ट ने बल दिया है.

यह आदेश न्यायाधीश मनोज कुमार गुप्ता और न्यायाधीश राजेन्द्र कुमार की खंडपीठ ने अशोक कुमार पाण्डेय की याचिका पर दिया है. कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया दर्ज प्राथमिकी के तथ्यों से अपराध बनता है. प्राथमिकी रद्द नहीं की जा सकती है. कोर्ट ने गिरफ्तार करने पर भी रोक लगाने से इनकार कर दिया है.

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