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हाईकोर्ट ने कहा विभागीय कार्यवाही किए बगैर सिपाहियों की सेवा समाप्ति अवैध

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला दिया है कि सेवा में कन्फ़र्म हो चुके सिपाहियों की विभागीय कार्यवाही किए बगैर सेवा समाप्त करना गलत है.

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Published : Dec 9, 2021, 10:05 PM IST

विभागीय कार्यवाही किए बगैर सिपाहियों की सेवा समाप्ति अवैध-हाईकोर्ट
विभागीय कार्यवाही किए बगैर सिपाहियों की सेवा समाप्ति अवैध-हाईकोर्ट

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला दिया है कि सेवा में कन्फ़र्म हो चुके सिपाहियों की विभागीय कार्यवाही किए बगैर सेवा समाप्त करना गलत है.

कोर्ट ने कहा कि सिपाहियों की सेवा समाप्त करने से पूर्व उत्तर प्रदेश अधीनस्थ श्रेणी के पुलिस अधिकारियों की दंड एवं अपील नियमावली-1991 के नियम 14 (1) के तहत जांच कार्यवाही करना जरूरी है.

कोर्ट ने कहा कि ऐसे कन्फ़र्म हो चुके सिपाही को केवल कारण बताओ नोटिस जारी कर उससे प्राप्त जवाब के आधार पर सेवा से निकालने का आदेश गलत होगा.

यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने अभिषेक सिंह चौहान तथा न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने अजीत कुमार व कई सिपाहियों की अलग अलग याचिकाओं पर पारित किया है.

कोर्ट ने सिपाहियों की बर्खास्तगी रद्द कर दी है. प्रयागराज, बदायूं, गोरखपुर व आगरा में तैनात कन्फ़र्म हो चुके सिपाहियों को विभाग ने केवल कारण बताओ नोटिस जारी कर उनका जवाब लेने के बाद सेवा से बर्खास्त कर दिया था.

सिपाहियों की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम व अतिप्रिया गौतम का तर्क था कि कन्फ़र्म हो चुके सिपाही को बिना विभागीय कार्यवाही के सेवा समाप्ति का आदेश देना अवैधानिक है. कहा गया था कि 5 साल की कन्फ़र्म सेवा पूरी कर लेने के बाद सर्टिफिकेट की बिना विभागीय जांच कार्यवाही के सेवा समाप्ति का आदेश देना अवैधानिक है.


ये भी पढ़ेंः चार साल तक चली थी अखिलेश-डिंपल की लव स्टोरी, आस्ट्रेलिया से भेजते थे प्रेम की पाती...पढ़िए पूरी खबर

मामले के अनुसार याची सिपाहियों को पुलिस विभाग में एसपी कार्मिक, उत्तर प्रदेश इलाहाबाद के आदेश से 20 सितम्बर 2015 को अस्थाई रूप से चयनित किया गया था. बाद में सम्बन्धित जिलों के एसएसपी ने मई 2016 मे उन्हें नियुक्ति दे दी थी.

उसके बाद इन सिपाहियों ने दो वर्ष की अपनी ट्रेनिंग पूरी कर आरक्षी के पद पर कन्फ़र्म हो गए. ये सभी याची सिपाही स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कोटे में नियुक्त हुए थे और सभी ने 5 साल की सेवा पूरी कर ली थी. 5 साल बीत जाने के बाद इन सिपाहियों के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सर्टिफिकेट के सही होने पर शक करते हुए, उन्हें कारण बताओ नोटिस देकर जवाब मिलने के बाद सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था.

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प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला दिया है कि सेवा में कन्फ़र्म हो चुके सिपाहियों की विभागीय कार्यवाही किए बगैर सेवा समाप्त करना गलत है.

कोर्ट ने कहा कि सिपाहियों की सेवा समाप्त करने से पूर्व उत्तर प्रदेश अधीनस्थ श्रेणी के पुलिस अधिकारियों की दंड एवं अपील नियमावली-1991 के नियम 14 (1) के तहत जांच कार्यवाही करना जरूरी है.

कोर्ट ने कहा कि ऐसे कन्फ़र्म हो चुके सिपाही को केवल कारण बताओ नोटिस जारी कर उससे प्राप्त जवाब के आधार पर सेवा से निकालने का आदेश गलत होगा.

यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने अभिषेक सिंह चौहान तथा न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने अजीत कुमार व कई सिपाहियों की अलग अलग याचिकाओं पर पारित किया है.

कोर्ट ने सिपाहियों की बर्खास्तगी रद्द कर दी है. प्रयागराज, बदायूं, गोरखपुर व आगरा में तैनात कन्फ़र्म हो चुके सिपाहियों को विभाग ने केवल कारण बताओ नोटिस जारी कर उनका जवाब लेने के बाद सेवा से बर्खास्त कर दिया था.

सिपाहियों की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम व अतिप्रिया गौतम का तर्क था कि कन्फ़र्म हो चुके सिपाही को बिना विभागीय कार्यवाही के सेवा समाप्ति का आदेश देना अवैधानिक है. कहा गया था कि 5 साल की कन्फ़र्म सेवा पूरी कर लेने के बाद सर्टिफिकेट की बिना विभागीय जांच कार्यवाही के सेवा समाप्ति का आदेश देना अवैधानिक है.


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मामले के अनुसार याची सिपाहियों को पुलिस विभाग में एसपी कार्मिक, उत्तर प्रदेश इलाहाबाद के आदेश से 20 सितम्बर 2015 को अस्थाई रूप से चयनित किया गया था. बाद में सम्बन्धित जिलों के एसएसपी ने मई 2016 मे उन्हें नियुक्ति दे दी थी.

उसके बाद इन सिपाहियों ने दो वर्ष की अपनी ट्रेनिंग पूरी कर आरक्षी के पद पर कन्फ़र्म हो गए. ये सभी याची सिपाही स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कोटे में नियुक्त हुए थे और सभी ने 5 साल की सेवा पूरी कर ली थी. 5 साल बीत जाने के बाद इन सिपाहियों के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सर्टिफिकेट के सही होने पर शक करते हुए, उन्हें कारण बताओ नोटिस देकर जवाब मिलने के बाद सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था.

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