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सितंबर में होगी हाईकोर्ट बार एसोसिएशन से 40 लाख कर वसूलने के मामले की सुनवाई

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (High Court Bar Association) से 40 लाख रुपये से अधिक आयकर वसूले जाने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर अगली सुनवाई सितंबर माह में करने का निर्देश दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Aug 25, 2021, 10:52 PM IST

प्रयागराजः हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (High Court Bar Association) से 40 लाख रुपये से अधिक आयकर वसूले जाने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने अगली सुनवाई सितंबर माह में करने का निर्देश दिया है. बार एसोसिएशन की याचिका पर न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति सुधारानी ठाकुर की खंडपीठ सुनवाई कर रही है. कोर्ट ने मामले को दो सप्ताह बाद उचित पीठ के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है.

आयकर विभाग ने वर्ष 2017-18 के लिए पुर्न कर निर्धारण का नोटिस दिया है. साथ ही 40 लाख रुपये का आयकर वसूला भी जा चुका है. इसको लेकर दो अलग-अलग याचिकाएं हाईकोर्ट में दाखिल कर चुनौती दी गई है. बार एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश रंजन व सहयोग कर रहे वरिष्ठ कर एवं वित्त सलाहकार डॉ. पवन जायसवाल ने प्रतिवाद कर बताया कि हाईकोर्ट बार एसोसिएशन आयकर के दायरे में नहीं है. क्योंकि यह संस्था सदस्यों के आपसी हितों के लिए सेवार्थ काम करती हैं. कोरोना काल में बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं की मृत्यु हुई है, जिनके आश्रितों को बार की ओर से 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जा रही है. ऐसी परिस्थिति में आयकर विभाग द्वारा कर वसूली करना और नोटिस जारी करना गलत है.

प्रयागराजः हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (High Court Bar Association) से 40 लाख रुपये से अधिक आयकर वसूले जाने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने अगली सुनवाई सितंबर माह में करने का निर्देश दिया है. बार एसोसिएशन की याचिका पर न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति सुधारानी ठाकुर की खंडपीठ सुनवाई कर रही है. कोर्ट ने मामले को दो सप्ताह बाद उचित पीठ के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है.

आयकर विभाग ने वर्ष 2017-18 के लिए पुर्न कर निर्धारण का नोटिस दिया है. साथ ही 40 लाख रुपये का आयकर वसूला भी जा चुका है. इसको लेकर दो अलग-अलग याचिकाएं हाईकोर्ट में दाखिल कर चुनौती दी गई है. बार एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश रंजन व सहयोग कर रहे वरिष्ठ कर एवं वित्त सलाहकार डॉ. पवन जायसवाल ने प्रतिवाद कर बताया कि हाईकोर्ट बार एसोसिएशन आयकर के दायरे में नहीं है. क्योंकि यह संस्था सदस्यों के आपसी हितों के लिए सेवार्थ काम करती हैं. कोरोना काल में बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं की मृत्यु हुई है, जिनके आश्रितों को बार की ओर से 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जा रही है. ऐसी परिस्थिति में आयकर विभाग द्वारा कर वसूली करना और नोटिस जारी करना गलत है.

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