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हाईकोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर की भूमि का बही खाता बदलने के सभी रिकॉर्ड किए तलब

हाईकोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर की भूमि का इंदराज (बही खाता)बदलने के सभी रिकॉर्ड तलब किए हैं. इसी के साथ तहसीलदार छाता को अभिलेखों व रेवेन्यू अथार्टी के साथ पांच सितंबर को हाजिर होने का निर्देश दिया है.

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Published : Aug 17, 2023, 7:14 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा के शाहपुर गांव स्थित बांके बिहारी मंदिर के नाम दर्ज जमीन का राजस्व अभिलेखों समय-समय पर इंदराज (बही खाता) बदलने की स्थिति स्पष्ट करने के लिए इससे जुड़े सभी रिकॉर्ड तलब किए हैं. कोर्ट ने तहसीलदार छाता को अब पांच सितंबर को विवादित भूमि की आधारवर्ष खतौनी व इंदराज से संबंधित सभी रिकॉर्ड और किसी रेवेन्यू अथार्टी के साथ उपस्थित होने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने श्री बिहारी जी सेवा ट्रस्ट की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है.

आरोप है कि विधिक प्रक्रिया के बगैर शाहपुर स्थित बांके बिहारी मंदिर की भूमि पर पहले कब्रिस्तान फिर पुरानी आबादी दर्ज कर दी गई है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने तहसीलदार छाता से पूछा कि शाहपुर गांव के भूखंड संख्या 1081 की स्थिति समय-समय पर क्यों बदली गई. कोर्ट ने इसके लिए आधार वर्ष की खतौनी मांगी, लेकिन वह खतौनी किसी पक्ष के पास नहीं थी. इस पर कोर्ट ने समय-समय हुए इंदराज से जुड़े सभी रिकॉर्ड तलब किए हैं.

याचिका के अनुसार प्राचीन काल से ही मथुरा के शाहपुर गांव स्थित गाटा संख्या 1081 बांके बिहारी महाराज के नाम से दर्ज था. भोला खान पठान ने राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से 1994 में उक्त भूमि को कब्रिस्तान दर्ज करा लिया. जानकारी होने पर मंदिर ट्रस्ट ने आपत्ति दाखिल की. प्रकरण वक्फ बोर्ड तक गया और 8 सदस्यीय टीम ने जांच में पाया कि कब्रिस्तान गलत दर्ज किया गया है. इसके बावजूद जमीन पर बिहारी जी का नाम नहीं दर्ज किया गया. इस पर यह याचिका दायर की गई है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा के शाहपुर गांव स्थित बांके बिहारी मंदिर के नाम दर्ज जमीन का राजस्व अभिलेखों समय-समय पर इंदराज (बही खाता) बदलने की स्थिति स्पष्ट करने के लिए इससे जुड़े सभी रिकॉर्ड तलब किए हैं. कोर्ट ने तहसीलदार छाता को अब पांच सितंबर को विवादित भूमि की आधारवर्ष खतौनी व इंदराज से संबंधित सभी रिकॉर्ड और किसी रेवेन्यू अथार्टी के साथ उपस्थित होने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने श्री बिहारी जी सेवा ट्रस्ट की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है.

आरोप है कि विधिक प्रक्रिया के बगैर शाहपुर स्थित बांके बिहारी मंदिर की भूमि पर पहले कब्रिस्तान फिर पुरानी आबादी दर्ज कर दी गई है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने तहसीलदार छाता से पूछा कि शाहपुर गांव के भूखंड संख्या 1081 की स्थिति समय-समय पर क्यों बदली गई. कोर्ट ने इसके लिए आधार वर्ष की खतौनी मांगी, लेकिन वह खतौनी किसी पक्ष के पास नहीं थी. इस पर कोर्ट ने समय-समय हुए इंदराज से जुड़े सभी रिकॉर्ड तलब किए हैं.

याचिका के अनुसार प्राचीन काल से ही मथुरा के शाहपुर गांव स्थित गाटा संख्या 1081 बांके बिहारी महाराज के नाम से दर्ज था. भोला खान पठान ने राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से 1994 में उक्त भूमि को कब्रिस्तान दर्ज करा लिया. जानकारी होने पर मंदिर ट्रस्ट ने आपत्ति दाखिल की. प्रकरण वक्फ बोर्ड तक गया और 8 सदस्यीय टीम ने जांच में पाया कि कब्रिस्तान गलत दर्ज किया गया है. इसके बावजूद जमीन पर बिहारी जी का नाम नहीं दर्ज किया गया. इस पर यह याचिका दायर की गई है.

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