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हाईकोर्ट ने प्राइवेट वकील से कैविएट दाखिल करवाने पर डीएम इटावा से मांगा स्पष्टीकरण

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमीन के विवाद के संबंध में बिना क्षेत्राधिकार के लीज का टाइटल निर्णित करने के मामले में डीएम इटावा से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर दोनों मामलों में स्पष्टीकरण देने को कहा है.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Dec 14, 2022, 10:48 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला अधिकारी इटावा द्वारा एक जमीन के विवाद के संबंध में बिना क्षेत्राधिकार के लीज का टाइटल निर्णित करने और हाईकोर्ट में प्राइवेट वकील के माध्यम से कैविएट दाखिल कराए जाने को गंभीरता से लिया है. कोर्ट ने डीएम इटावा से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर दोनों मामलों में स्पष्टीकरण देने को कहा है कि किस क्षेत्राधिकार के तहत उन्होंने विवादित भूमि के टाइटल का निर्णय किया है. इटावा के डॉक्टर यश निगम की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने दिया.

याची का पक्ष कर रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी और विभु राय का कहना था कि जिलाधिकारी को टाइटल के प्रश्न पर सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है . प्रश्न गत जमीन को लेकर जिलाधिकारी ने एक कमेटी द्वारा जांच कराई जिसमें कहा गया कि संबंधित भूमि राज्य सरकार की है. जबकि उक्त भूमि की रजिस्टर्ड डीड प्रेम शंकर अग्रवाल के पक्ष में जिला बोर्ड द्वारा 8 फरवरी 1943 को की गई थी. इसके बाद प्रेम शंकर ने इस जमीन को 99 साल के लिए याची के पिता शिव वंश राव निगम के पक्ष में रजिस्टर्ड डीड द्वारा लीज कर दिया. जिलाधिकारी ने 31 अक्टूबर 2022 को याची को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा कि क्यों ना राजस्व अभिलेख में जमीन के हस्तांतरण को लेकर फर्जी इंद्राज को रद्द कर दिया जाए और क्यों ना याची को बेदखल किया जाए. इस संबंध में याची ने अपना लिखित जवाब दिया और साथ में दस्तावेज भी लगाए तथा बताया कि उसके पिता 70 वर्षों से उक्त भूमि पर निर्बाध रूप से काबिज है इसलिए उनकी टाइटल को लेकर कोई अवैधानिकता नहीं है.

याची की आपत्ति पर कोई निर्णय लिए बिना जिला पंचायत द्वारा याची को बेदखली का नोटिस जारी कर दिया गया. याची के अधिवक्ता का कहना था कि पूरी कार्रवाई एक व्यक्ति रणबीर सिंह चौहान की शिकायत पर की गई है जो कि पूरी तरीके से विद्वेष पूर्ण कार्रवाई है . कोर्ट ने जिलाधिकारी को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर बताने के लिए कहा है कि किस अधिकार के तहत उन्होंने लीज डीड के टाइटल को लेकर कार्रवाई की है जबकि उनके समक्ष कोई मामला लंबित नहीं था . जिलाधिकारी द्वारा इसी प्रकरण में हाईकोर्ट में प्राइवेट अधिवक्ता द्वारा कैविएट दाखिल कराए जाने पर भी हाईकोर्ट ने स्पष्टीकरण मांगा है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला अधिकारी इटावा द्वारा एक जमीन के विवाद के संबंध में बिना क्षेत्राधिकार के लीज का टाइटल निर्णित करने और हाईकोर्ट में प्राइवेट वकील के माध्यम से कैविएट दाखिल कराए जाने को गंभीरता से लिया है. कोर्ट ने डीएम इटावा से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर दोनों मामलों में स्पष्टीकरण देने को कहा है कि किस क्षेत्राधिकार के तहत उन्होंने विवादित भूमि के टाइटल का निर्णय किया है. इटावा के डॉक्टर यश निगम की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने दिया.

याची का पक्ष कर रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी और विभु राय का कहना था कि जिलाधिकारी को टाइटल के प्रश्न पर सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है . प्रश्न गत जमीन को लेकर जिलाधिकारी ने एक कमेटी द्वारा जांच कराई जिसमें कहा गया कि संबंधित भूमि राज्य सरकार की है. जबकि उक्त भूमि की रजिस्टर्ड डीड प्रेम शंकर अग्रवाल के पक्ष में जिला बोर्ड द्वारा 8 फरवरी 1943 को की गई थी. इसके बाद प्रेम शंकर ने इस जमीन को 99 साल के लिए याची के पिता शिव वंश राव निगम के पक्ष में रजिस्टर्ड डीड द्वारा लीज कर दिया. जिलाधिकारी ने 31 अक्टूबर 2022 को याची को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा कि क्यों ना राजस्व अभिलेख में जमीन के हस्तांतरण को लेकर फर्जी इंद्राज को रद्द कर दिया जाए और क्यों ना याची को बेदखल किया जाए. इस संबंध में याची ने अपना लिखित जवाब दिया और साथ में दस्तावेज भी लगाए तथा बताया कि उसके पिता 70 वर्षों से उक्त भूमि पर निर्बाध रूप से काबिज है इसलिए उनकी टाइटल को लेकर कोई अवैधानिकता नहीं है.

याची की आपत्ति पर कोई निर्णय लिए बिना जिला पंचायत द्वारा याची को बेदखली का नोटिस जारी कर दिया गया. याची के अधिवक्ता का कहना था कि पूरी कार्रवाई एक व्यक्ति रणबीर सिंह चौहान की शिकायत पर की गई है जो कि पूरी तरीके से विद्वेष पूर्ण कार्रवाई है . कोर्ट ने जिलाधिकारी को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर बताने के लिए कहा है कि किस अधिकार के तहत उन्होंने लीज डीड के टाइटल को लेकर कार्रवाई की है जबकि उनके समक्ष कोई मामला लंबित नहीं था . जिलाधिकारी द्वारा इसी प्रकरण में हाईकोर्ट में प्राइवेट अधिवक्ता द्वारा कैविएट दाखिल कराए जाने पर भी हाईकोर्ट ने स्पष्टीकरण मांगा है.

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