प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के 'लुटेरे' अस्पतालों के खिलाफ जनहित याचिका में अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने के लिए 2 सप्ताह का समय दिया है. साथ ही याचिका को 16 जुलाई को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है. यह भी कहा कि याची के वकील इस बीच जनहित याचिका की कॉपी स्थायी अधिवक्ता को दे सकते हैं. यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति एमएन भंडारी एवं न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने आगरा के समाजसेवी गजेंद्र शर्मा की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर दी है.
याचिका में सरकारी नियम-कायदों की अनदेखी, मरीजों के आर्थिक शोषण, भारी-भरकम बिल, अमानवीयता और संवेदनहीनता को मुद्दा बनाया गया है. आगरा के समाजसेवी गजेंद्र शर्मा की ओर से दायर इस याचिका में यूपी सरकार के साथ ही राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और कोविड उपचार से जुड़ी अथॉरिटी को विपक्षी के तौर पर पक्षकार बनाया गया है.
याची के अधिवक्ता राहुल शर्मा ने बताया कि निजी अस्पतालों, नर्सिंग होम्स, डायग्नोस्टिक सेंटर्स, पैथोलॉजी लैब्स में कोविड-19 के मरीजों और उनके परिजनों से मनमाना शुल्क वसूला गया. केंद्र और राज्य सरकार की ओर से समय-समय पर चिकित्सीय सुविधाओं के लिए शुल्क तय किए गए, लेकिन उसका पालन नहीं किया गया. विभिन्न मदों में हजारों-लाखों के बिल बनाए गए. कई मामलों में 20 से 50 गुना तक शुल्क लिया गया. किसी भी स्तर पर पारदर्शिता नहीं बरती गई. कहीं मृत मरीजों के नाम पर तो कहीं ऑक्सीजन की आड़ में लाखों की वसूली की गई.
'लुटेरे' अस्पतालों का शिकार लोगों की शिकायत जिला प्रशासन और स्वास्थ्य महकमे के सक्षम अधिकारियों तक भी पहुंची. मध्यस्थता से कुछ लोगों को अधिक वसूली रकम का एक हिस्सा वापस भी मिला, लेकिन आरोपी अस्पतालों पर कठोर कार्रवाई नहीं की गई.
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