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APO भर्ती परीक्षा में 80 फीसदी पद आरक्षित करने के मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब

एपीओ भर्ती परीक्षा में 80 पद आरक्षित करने के मामले में दाखिल याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Sep 2, 2022, 3:48 PM IST

प्रयागराज: सहायक अभियोजन अधिकारी(एपीओ) परीक्षा में 80 प्रतिशत पद ओबीसी एससी/एसटी व अन्य वर्गों के लिए आरक्षित करने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लोक सेवा आयोग और यूपी सरकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने पूछा कि किन परिस्थितियों में 80% और पद आरक्षित किए गए, जबकि नियमानुसार किसी भी परीक्षा में 50 प्रतिशत से अधिक पदों का आरक्षण नहीं किया जा सकता है.

याची का कहना था कि एपीओ भर्ती परीक्षा का आयोजन उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने किया है. परीक्षा में गलत तरीके से आरक्षण लागू किए जाने के खिलाफ विनय कुमार पांडे ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर आरक्षण नियमों को चुनौती दी है. याची का कहना है कि 44 पदों के लिए इलाहाबाद व लखनऊ में लिखित परीक्षा आयोजित की गई थी.

परिणाम आने पर पता चला कि इसमें 44 पदों के सापेक्ष 36 पद आरक्षित वर्ग के लिए रखे गए हैं. जिनमें ओबीसी के लिए 21 पद अनुसूचित जनजाति के लिए 3 पद आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग के लिए 4 पद आरक्षित किए गए हैं. इसके अलावा 20 प्रतिशत छैतिज आरक्षण महिलाओं के लिए किया गया है. याची का कहना है की किसी भी दशा में पदों का आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता है. कोर्ट ने इस मामले में लोक सेवा आयोग उत्तर प्रदेश और राज्य सरकार को 2 सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

इसे पढ़ें- शाही ईदगाह-श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद, अब 9 और 26 सितंबर को होगी सुनवाई

प्रयागराज: सहायक अभियोजन अधिकारी(एपीओ) परीक्षा में 80 प्रतिशत पद ओबीसी एससी/एसटी व अन्य वर्गों के लिए आरक्षित करने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लोक सेवा आयोग और यूपी सरकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने पूछा कि किन परिस्थितियों में 80% और पद आरक्षित किए गए, जबकि नियमानुसार किसी भी परीक्षा में 50 प्रतिशत से अधिक पदों का आरक्षण नहीं किया जा सकता है.

याची का कहना था कि एपीओ भर्ती परीक्षा का आयोजन उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने किया है. परीक्षा में गलत तरीके से आरक्षण लागू किए जाने के खिलाफ विनय कुमार पांडे ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर आरक्षण नियमों को चुनौती दी है. याची का कहना है कि 44 पदों के लिए इलाहाबाद व लखनऊ में लिखित परीक्षा आयोजित की गई थी.

परिणाम आने पर पता चला कि इसमें 44 पदों के सापेक्ष 36 पद आरक्षित वर्ग के लिए रखे गए हैं. जिनमें ओबीसी के लिए 21 पद अनुसूचित जनजाति के लिए 3 पद आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग के लिए 4 पद आरक्षित किए गए हैं. इसके अलावा 20 प्रतिशत छैतिज आरक्षण महिलाओं के लिए किया गया है. याची का कहना है की किसी भी दशा में पदों का आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता है. कोर्ट ने इस मामले में लोक सेवा आयोग उत्तर प्रदेश और राज्य सरकार को 2 सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

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